नमस्कार दोस्तों,राजस्थान के जिलों में जैसलमेर भी एक जिला है इस जिले का अपना इतिहास है, भौगोलिक स्थिति है, मंदिर हैं,दुर्ग हैं और किले हैं। और हर कोई राजस्थान के जैसलमेर जिले के सामान्य ज्ञान के बारे में जानना चाहता है। अक्सर इस जिले के बारे में राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में कोई न कोई सवाल जरूर पूछा जाता है।
GK Pustak के इस भाग में हम आपको राजस्थान के जैसलमेर जिले के बारे में सामान्य ज्ञान (Jaisalmer GK in Hindi) की जानकारी हिंदी में देने वाले हैं और ये जानकारी राजस्थान में होने वाली किसी भी परीक्षा में जरूर काम आएगी। इस पोस्ट में जैसलमेर जिले के इतिहास,भौगोलिक स्थित, जनसांख्यिकी, प्रशासनिक ढांचे, वन्य जिव अभ्यारण्य,नदियों,और ऐतिहासिक या पर्यटन स्थलों की जानकारी भी दी गई है।
भारतीय इतिहास के अनुसार जैसलमेर की स्थापना लगभग 1178 में मध्यकाल में रावत जैसल दुआरा की गई। इस जिले की स्थापना यदुवंशी भाटी के वंशज दुआरा की गई है। आजादी से पहले तक जब तक जैसलमेर भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बना लगातार 770 वर्षों तक जैसलमेर में शाषन किया था जो अपने आप में एक Record है।
दूसरी बात यह की भारत में लगभग 300 वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य का अस्तित्व रहा उसके बावजूद भी ये रियासत अपने अस्तित्व को कायम रखने में कायम रहा। इस रियासत का इतिहास हमे बताता है की अंग्रेजी राज के समय भी ये रियासत अपने प्रभुत्व,गरिमा और,परम्परा पर कायम रहा।
Jaisalmer District GK | राजस्थान के जैसलमेर जिले के बारे में सामान्य ज्ञान
राजस्थान के जैसलमेर जिले का इतिहास
भारतीय इतिहास के अनुसार जैसलमेर की स्थापना लगभग 1178 में मध्यकाल में रावत जैसल दुआरा की गई। इस जिले की स्थापना यदुवंशी भाटी के वंशज दुआरा की गई है। आजादी से पहले तक जब तक जैसलमेर भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बना लगातार 770 वर्षों तक जैसलमेर में शाषन किया था जो अपने आप में एक Record है।
दूसरी बात यह की भारत में लगभग 300 वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य का अस्तित्व रहा उसके बावजूद भी ये रियासत अपने अस्तित्व को कायम रखने में कायम रहा। इस रियासत का इतिहास हमे बताता है की अंग्रेजी राज के समय भी ये रियासत अपने प्रभुत्व,गरिमा और,परम्परा पर कायम रहा।
आजादी के बाद जब भारत एक गणराज्य देश बना तब यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया और राजस्थान के जिले के रूप में अस्तित्व में आया। 06.10.1949 को जैसलमेर रियासत को पृथक जिले का नाम मिला, सन् 1953 में इसे जोधपुर जिले में शामिल कर उपखण्ड का दर्जा मिला, सन् 1954 में जैसलमेर को पुन: जिला बनाया गया।
राजस्थान का जैसलमेर जिला 26 ° .4 '-28 ° 23' उत्तर और 69 ° .20'-72 ° .42 ' पूर्व मध्याह्न रेखाओं के बीच स्थित है। जैसलमेर जिले में ये बात याद रखने वाली है की यह जिला राजस्थान का ही नहीं but भारत देश का क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा जिला है।
जैसलमेर जिले की भौगोलिक स्थिति
इस जिले की लम्बाई पूर्व से पश्चिम 270 किलोमीटर है और लंबाई उत्तर दक्षिण 186 किलोमीटर है। वर्तमान मानचित्र में जिला जैसलमेर के उत्तर में बीकानेर जिला राजस्थान का, पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में भारतीय बॉर्डर, बाड़मेर और जोधपुर, दक्षिण में और पूर्व में जोधपुर और बीकानेर जिलों द्वारा घिरा हुआ है।
जिला जैसलमेर जिले से जुड़े अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की कुल लंबाई 471 किलोमीटर है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा जिला और इसका क्षेत्रफल 38,401 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। जैसलमेर जिले में कुल वनक्षेत्र 588.17 वर्ग किलोमीटर है। अगर मानचित्र में देखें तो जैसलमेर का आकार सप्त बहुभुज आकार है।
1 - जैसलमेर जिले के तहसीलों की संख्या – 3
2 - जैसलमेर जिले की उप तहसीलों की संख्या – 4
3 - जैसलमेर जिले के उपखण्डों की संख्या – 3
4 जैसलमेर जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या – 128
5 - जैसलमेर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 2 है
1. जैसलमेर, 2. पोकरण
जैसलमेर जिले में कुल वनक्षेत्र – 588.17 वर्ग किलोमीटर
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या— 6,69,919
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार पुरुष जनसंख्या — 3,61,708
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार स्त्री जनसंख्या — 3,08,211
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार लिंगानुपात — 852
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार जनसंख्या घनत्व — 17(न्यूनतम) जिलों में सबसे कम है।
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार साक्षरता दर — 57.2%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार पुरुष साक्षरता दर — 72%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता — 39.7%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार दशकीय वृद्धि दर — 31.8%
जिला जैसलमेर जिले से जुड़े अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की कुल लंबाई 471 किलोमीटर है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा जिला और इसका क्षेत्रफल 38,401 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। जैसलमेर जिले में कुल वनक्षेत्र 588.17 वर्ग किलोमीटर है। अगर मानचित्र में देखें तो जैसलमेर का आकार सप्त बहुभुज आकार है।
जैसलमेर जिले का प्रसासनिक ढांचा | Administrative Structure Of Jaisalmer District
1 - जैसलमेर जिले के तहसीलों की संख्या – 3
2 - जैसलमेर जिले की उप तहसीलों की संख्या – 4
3 - जैसलमेर जिले के उपखण्डों की संख्या – 3
4 जैसलमेर जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या – 128
5 - जैसलमेर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 2 है
1. जैसलमेर, 2. पोकरण
जैसलमेर जिले की Demographic | जनसांख्यिकी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या— 6,69,919
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार पुरुष जनसंख्या — 3,61,708
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार स्त्री जनसंख्या — 3,08,211
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार लिंगानुपात — 852
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार जनसंख्या घनत्व — 17(न्यूनतम) जिलों में सबसे कम है।
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार साक्षरता दर — 57.2%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार पुरुष साक्षरता दर — 72%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता — 39.7%
जैसलमेर जिले की 2011 जनगणना के अनुसार दशकीय वृद्धि दर — 31.8%
जैसलमेर जिले की प्रमुख नदियां और झीलें
काकनी या काकनेय या मसूरदी नदी
यह नदी जैसलमेर से लगभग 27 किलोमीटर दूर दक्षिण में कोठारी/कोटरी गाँव से निकलती है। यह नदी जैसलमेर में कुछ ही रास्ता तय करती है। अगर आंतरिक प्रवाह की बात करें तो यह नदी जैसलमेर की ही नहीं राजस्थान की सबसे छोटी नदी है।
लेकिन जब वर्षा का मौसम होता है तो इस नदी का आंतरिक प्रवाह बढ़ जाता है और काफी दूर तक बहती है। इस नदी स्थानीय भाषा में मसूरदी नदी के नाम से जाना जाता है। यह काफी दूर तक पहले उत्तर की दिशा में फिर पश्चिम की तरफ बहते हुए बुझ/बुज झील में गिरती है। अगर हम के निर्माण की बात करें तो बुझ झील का निर्माण इसी नदी के द्वारा होता है।
जब भारी वर्षा होती है तो उन दिनों में यह नदी अपने सामान्य पथ से हटकर निरन्तर उत्तरी दिशा में सीधे ही लगभग 20 किलोमीटर तक बहते हुए मीठा खाड़ी में गिर जाती है। जैसलमेर की अन्य नदियों हैं लाठी, चांदण, धऊआ, धोगड़ी आदि के नाम आते है।
कावोद झील
लेकिन जब वर्षा का मौसम होता है तो इस नदी का आंतरिक प्रवाह बढ़ जाता है और काफी दूर तक बहती है। इस नदी स्थानीय भाषा में मसूरदी नदी के नाम से जाना जाता है। यह काफी दूर तक पहले उत्तर की दिशा में फिर पश्चिम की तरफ बहते हुए बुझ/बुज झील में गिरती है। अगर हम के निर्माण की बात करें तो बुझ झील का निर्माण इसी नदी के द्वारा होता है।
जब भारी वर्षा होती है तो उन दिनों में यह नदी अपने सामान्य पथ से हटकर निरन्तर उत्तरी दिशा में सीधे ही लगभग 20 किलोमीटर तक बहते हुए मीठा खाड़ी में गिर जाती है। जैसलमेर की अन्य नदियों हैं लाठी, चांदण, धऊआ, धोगड़ी आदि के नाम आते है।
कावोद झील
यह जैसलमेर की खारे पानी की झील है, इस झील का पानी नमक आयोडीन की दृष्टि से सबसे अच्छा है।
गड़ीसर झील
जैसलमेर जिले में गड़ीसर झील अन्य झील है और इसका निर्माण 1340 ई. में गड़ासी सिंह ने करवाया था।जैसलमेर की अन्य झीलें हैं धारसी सागर, अमर सागर, बुझ झील आदि है।
जैसलमेर जिले राष्ट्रीय मरु उद्यान
राज्य सरकार ने 4 अगस्त, 1980 को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अन्तर्गत इसे राश्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। यह 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (1900 वर्ग किलोमीटर) में फैला हुआ है। कहने को तो यह राष्ट्रीय मरू उद्यान है, परन्तु वास्तव में यह एक अभयारण्य ही है। राजस्थान की राज्य सरकार ने इसे राष्ट्रीय मरू उद्यान घोषित करने की इच्छा 8 मई,1981 को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत एक प्रस्ताव जारी किया था।
एक सामान्य ज्ञान की बात है कि यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा वन्य जीव अभयारण है। इस वन्य जीवन अभयारण का मुख्य उदेश्य यहां की वनस्पति और यहां पर मौजूद जीवाश्मों की रक्षा करना और यहां पर रह रहे जीवों को उचित वातावरण प्रदान करना है। मरू उद्यान को राज्य पक्षी गोडावण पक्षी की शरणस्थली कहा जाता है।
गोडावण के अलावा मरू उद्यान में काले हिरण, चिंकारा, चौसिंगा, वन्य जीव पिजरा, मरू बिल्ली, लोमड़ी, गोह, खरगोश, ग्रे-पेट्रीज, सेण्ड ग्राउज, प्रवासी पक्षियों में हुबारा बस्टर्ड, स्पेनिश स्पेरा, कामन केन्स तथा सरीसृप में कोबरा, पीवणा व रसल्स वाइपर आदिजीव इस अभ्यारण्य में पाए जाते हैं।
गड़ीसर झील
जैसलमेर जिले में गड़ीसर झील अन्य झील है और इसका निर्माण 1340 ई. में गड़ासी सिंह ने करवाया था।जैसलमेर की अन्य झीलें हैं धारसी सागर, अमर सागर, बुझ झील आदि है।
जैसलमेर जिले के वन्य जीव अभयारण्य
जैसलमेर जिले राष्ट्रीय मरु उद्यान
राज्य सरकार ने 4 अगस्त, 1980 को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अन्तर्गत इसे राश्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। यह 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (1900 वर्ग किलोमीटर) में फैला हुआ है। कहने को तो यह राष्ट्रीय मरू उद्यान है, परन्तु वास्तव में यह एक अभयारण्य ही है। राजस्थान की राज्य सरकार ने इसे राष्ट्रीय मरू उद्यान घोषित करने की इच्छा 8 मई,1981 को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत एक प्रस्ताव जारी किया था।
एक सामान्य ज्ञान की बात है कि यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा वन्य जीव अभयारण है। इस वन्य जीवन अभयारण का मुख्य उदेश्य यहां की वनस्पति और यहां पर मौजूद जीवाश्मों की रक्षा करना और यहां पर रह रहे जीवों को उचित वातावरण प्रदान करना है। मरू उद्यान को राज्य पक्षी गोडावण पक्षी की शरणस्थली कहा जाता है।
गोडावण के अलावा मरू उद्यान में काले हिरण, चिंकारा, चौसिंगा, वन्य जीव पिजरा, मरू बिल्ली, लोमड़ी, गोह, खरगोश, ग्रे-पेट्रीज, सेण्ड ग्राउज, प्रवासी पक्षियों में हुबारा बस्टर्ड, स्पेनिश स्पेरा, कामन केन्स तथा सरीसृप में कोबरा, पीवणा व रसल्स वाइपर आदिजीव इस अभ्यारण्य में पाए जाते हैं।
वुड फोसिल्स पार्क
यह आकल गाँव जैसलमेर में है, इस पार्क में लगभग 18 करोड़ वर्ष प्राचीन 25 फॉसिल्स विद्यमान है।
प्रथम साका— इस साके में अलाउद्दीन खिलजी व मूलराज के मध्य युद्ध हुआ। मूलराज ने केसरिया व रानियों ने जौहर किया।
द्वितीय साका— यह साका 1357 में फिरोजशाह तुगलक व रावल दूदा के बीच में हुआ।
तृतीय अर्द्ध साका — यह साका 1550 में कांधार के अमीर अली व लूणकरण के के बीच में हुआ।लूणकरण ने केसरिया तो किया परन्तु रानियों के जौहर नहीं किया इसलिए इसे अर्ध साके के नाम से जाना जाता है।
जैसलमेर जिले का जैसलमेर दुर्ग
इस दुर्ग का नीव का पत्थर महारावल जैसलदेव ने 12 जुलाई 1155 में रखा था। यहां पर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण 1437 ई में महारावल वैरसी ने करवाया था।
जैसलमेर जिले का तनोट माता का मंदिर
इस मंदिर के बारे में यह बहुत जरूरी तथ्य है की इस मंदिर की रक्षा भारतीय सेना BSF के द्वारा की जाती है। यह मंडी भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित है और 1965 में हए भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारतीय सेना का विजय स्तम्भ अभी भी वहां पर मौजूद है।
जैसलमेर जिले का नथमल की हवेली
यह आकल गाँव जैसलमेर में है, इस पार्क में लगभग 18 करोड़ वर्ष प्राचीन 25 फॉसिल्स विद्यमान है।
जैसलमेर जिले के पर्यटन स्थल
जैसलमेर दुर्ग के ढ़ाई साके प्रसिद्ध हैं।प्रथम साका— इस साके में अलाउद्दीन खिलजी व मूलराज के मध्य युद्ध हुआ। मूलराज ने केसरिया व रानियों ने जौहर किया।
द्वितीय साका— यह साका 1357 में फिरोजशाह तुगलक व रावल दूदा के बीच में हुआ।
तृतीय अर्द्ध साका — यह साका 1550 में कांधार के अमीर अली व लूणकरण के के बीच में हुआ।लूणकरण ने केसरिया तो किया परन्तु रानियों के जौहर नहीं किया इसलिए इसे अर्ध साके के नाम से जाना जाता है।
जैसलमेर जिले का जैसलमेर दुर्ग
इस दुर्ग का नीव का पत्थर महारावल जैसलदेव ने 12 जुलाई 1155 में रखा था। यहां पर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण 1437 ई में महारावल वैरसी ने करवाया था।
जैसलमेर जिले का तनोट माता का मंदिर
इस मंदिर के बारे में यह बहुत जरूरी तथ्य है की इस मंदिर की रक्षा भारतीय सेना BSF के द्वारा की जाती है। यह मंडी भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित है और 1965 में हए भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारतीय सेना का विजय स्तम्भ अभी भी वहां पर मौजूद है।
जैसलमेर जिले का नथमल की हवेली
इस हवेली का निर्माण 1881 से 1885 के बीच लालू व हाथी नामक दो भाइयों ने करवाया। सालिम सिंह की हवेली इस हवेली का निर्माण सालिम सिंह ने करवाया था। यह एक 9 मंजिला इमारत है। इसे कमल महल व रूप महल के नाम से भी जाना जाता है। इस इमारत की 8 वीं व 9 वीं मंजिल लकड़ी से बनी हुई हैं।
जैसलमेर का लक्ष्मीनारायण का मन्दिर :- लक्ष्मीनारायण का मंदिर का निर्माण 1437 में महाराजा बैरीशाल ने करवाया। जैसलमेर के शासक लक्ष्मीनारायण जी को जैसलमेर का शासक मानते थे एवं स्वयं को उनका दीवान मानते थे। इस मंदिर को पर्यटन स्थल के लिए महत्वपूर्ण मन जाता है।
जैसलमेर का लक्ष्मीनारायण का मन्दिर :- लक्ष्मीनारायण का मंदिर का निर्माण 1437 में महाराजा बैरीशाल ने करवाया। जैसलमेर के शासक लक्ष्मीनारायण जी को जैसलमेर का शासक मानते थे एवं स्वयं को उनका दीवान मानते थे। इस मंदिर को पर्यटन स्थल के लिए महत्वपूर्ण मन जाता है।