Pushkar Fair, History, Essay in Hindi | पुष्कर मेला, पुष्कर इतिहास, और निबंध
पुष्कर के मेले में का इतिहास और परिचय
पुष्कर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। यह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। यह अरावली पर्वत श्रेणी में स्थित है यह पवित्र स्थान अजमेर से दूर पश्चिम की और 11 किलोमीटर दूर स्थित है। छोटे छोटे कुटीर उद्योगों के अलावा ये स्थान पशु मेले के लिए विख्यात है। यहां पर एक झील है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। उस झील के किनारे ब्रम्हा जी का मंदिर है।
इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु स्नान केने के लिए आते हैं। हर साल अक्टूबर और नवंबर में इस स्थान पर मेला लगता है। यह मेला हिन्दू धर्म के लिए महत्व का मेला है। इस स्थान की दूरी समुद्र तल से लगभग 2349 मीटर है।
पुष्कर मंदिर का इतिहास मुग़ल काल से भी जुड़ा हुआ है पुष्कर में महाभारत काल के पांच कुंड थे पर ओरंगजेब ने इन कुंडों को ध्वस्त कर दिया था। और उन्हें बाद में बनाया गया। ये स्थान पांडवों के अज्ञात वास के लिए जाना जाता है। यहां से या इस स्थान से 11 किलोमीटर दूर पहाड़ियां शुरू हो जाती हैं इस लिए इस स्थान को
ऋषि मुनियों की धरती भी माना जाता है।
ये धरती ऋषि वामदेव की तपोस्थली है।
- महाऋषि अगस्त ने यहां पर तपश्या की थी।
- यहां की नाग पहाड़ियों पर राजा भर्तहरि ने घोर तपस्या की थी।
पुष्कर वर्णन पद्मपुराण में भी मिलता है। हिंदुओं के देवता जिन्हे सृष्टि का रचना धार माना जाता है यहां पर यज्ञ किया था। इस स्थान पर भगवान् ब्रह्मा का एक मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर के इलावा सावित्री, बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर है।
महाभारत के इलावा पुष्कर का उल्लेख रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है। इस धरती का तालुक रामायण काल के ऋषि वाल्मीकि से है। रामायण काल के 62 श्लोक जो बाल कांड से संबंधित हैं विश्वामित्र दुआरा इसी धरती पर प्रचलित किये गए हैं। मेनका यहाँ के पावन जल में स्नान के लिए आई थीं।
पुष्कर मंदिर का इतिहास बौद्ध धर्म से भी जुड़ा हुआ है। ये दूसरी शताब्दी की बात है जब बौद्ध भिक्षु यहां पर निवास करते थे। यहां पर पाण्डुलेन गुफा के लेख में ये वर्णित है की विख्यात राजा नहपाण का दामाद था और इसने पुष्कर आकर 3000 गाय दान की थी और गाव को दान दिया था।
पुष्कर मेला ( Pushkar Fair )
भारत में राजस्थान राज्य मेले और त्योहारों क्र लिए जाना जता है। पुष्कर मेला राजस्स्थान के अजमेर जिले में लगता है। यह स्थान अजमेर से दूर 11 किलोमीटर स्थित है। यहां पर कार्तिक पर्णिमा के दी हर साल मेला लगता है। यह हिन्दुओं का पवित्र स्थान है। इस मेले में हजारों की संख्या में हिन्दू श्रद्धालु पुष्कर झील में स्नान करते है। यहाँ पर स्नान अपनी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।
पुष्कर मेले में अजमेर के प्रशासन का सहयोग
इस मेले को और ज्यादा Famous करने के लिए और सुचारु ढंग से चलने के लिए यहां के प्रशासन का भी बहुत हाथ है। बाहर से आये पर्यटकों के लिए विशेष प्रभंध किये जाते है। लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं और अलग अलग सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं। इस मेले में शांति बनाये रखने के किये Police का भी सहयोग होता है। यहां पर भारत का मशहुर पशु मेला भी लगता है इसलिए ये स्थान लोगों के लिए और भी आकर्षक के केंद्र बना होता है।
पुष्कर मेला और विदेशी सैलानी
भारत एक ऐसा देश है जिसकी अपनी पुरानी सभ्यता है इसलिए अजमेर जिले में भारत के लोग ही नहीं पर पूरी दुनिया के लोग इस मेले में को देखने के लिए आते हैं पुष्कर मेले ने सैलानियों के लिए एक अलग पहचान बनाई हुई है। विदेश से आये सैलानियों के अलावा भारत के आदि वासी भी इस मेले की शोभा बढ़ते हैं। यह मेला अजमेर जिले के रेगिस्तान में लगता है।
भारत में किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बडी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है। हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृति यों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी पडी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है।
हजारों लोग पुष्कर झील के किनारे जाते हैं जहां मेला लगता है। पुरुष अपने पशु धन का व्यापार करते हैं, जिसमें ऊंट, घोड़े, गाय, भेड़ और बकरी शामिल होती हैं।ग्रामीण परिवार हस्तकला के स्टॉल पर कंगन, कपड़े, वस्त्र और कपड़ों की ख़रीददारी करते हैं। संगीत, गीत और प्रदर्शनियों का अनुसरण करने के लिए एक ऊंट दौड़ त्योहार से शुरू होती है। इन घटनाओं के बीच, सबसे अधिक इंतजार इस बात का है कि ऊंट किस तरह से वस्तुओं को लाने में सक्षम है। प्रदर्शित करने के लिए, पुरुष एक के बाद एक ऊंटों के समूह पर चढ़ते हैं।