उत्तर प्रदेश के 75 जिले हैं और उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से फतेहपुर भी एक जिला है। उत्तर प्रदेश के नाम इतिहास 1834 से है। फतेहपुर जिले का इतिहास बहुत ही Interesting है और परीक्षा की दृष्टि से भी रोचक है। उत्तर प्रदेश में होने वाली सभी परीक्षाओं में इस जिले के इतिहास से संबंधित सवाल पूछे जाते है इसलिए आज हम Gk Pustak के माध्यम से "फतेहपुर जिले का इतिहास" (History of Fatehpur District in Hindi) पोस्ट के माध्यम से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के इतिहास की जानकारी दे रहे हैं।
फतेहपुर जिले के नाम के पीछे इतिहास / फतेहपुर का नाम फतेहपुर कैसे पड़ा / नामकरण
फतेहपुर के नाम का इतिहास पुराणी परम्पराओं के साथ जुड़ा हुआ है जो यहां की स्थानीय परम्पराओं के साथ जुड़ती है। जिले का नाम मुख्यालय फतेहपुर के नाम रखा गया है। स्थानीय परंपरा के अनुसार जब जौनपुर पर इब्राहीम शाह लोधी ने विजय प्राप्त की थी तो इस नाम की उत्पत्ति हुई है। इब्राहीम शाह सूरी वंश का पांचवा शासक था जिसने अथगढिया के राजा सीतानन्द से लड़ाई जीती थी और उसके बाद इस क्षेत्र पर अपना कब्जा किया था।
फतेहपुर के इतिहास को बंगाल के शासक जलालुद्दीन के साथ भी जोड़ा जाता है। फतेहपुर जे इतिहास के पीछे कुछ इतिहास कार फ़तहेमंद खान के साथ भी जोड़ते हैं उनका कहना है उसके नाम के बाद इस जगह का नाम फतेहपुर पड़ा था।
फतेहपुर जिले की तहसील खागा के डेण्डासई नामक पर पाए गए शिलालेख इसके नाम या फ़तहेमंद खान के इतिहास और फतेहपुर जिले का नाम पर नजर डालते हैं। अर्थात फतेहपुर शहर की स्थापना फ़तहेमंद खान दुआरा की गई थी।
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया तक का फतेहपुर का इतिहास
भारत में कन्नौज साम्राज्य बहुत समृद्ध था और फतेहपुर उस समय कन्नौज का ही हिस्सा था। इस धरती पर तब अर्गल के राजाओं के राजाओं का अधिपत्य था। 15 वीं शताब्दी तक फतेहपुर जौनपुर के राजाओं के कब्जे में रहा जब भारत में मुग़लों का आगमन हुआ तब इसे कोड़ा प्रान्त में रखा गया था। अकबर ने भी इस जिले का आबंटन किया और आधा हिस्सा मुग़ल सरकार और आधा हिस्सा वहां के राजाओं को दिया था।
17 वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य में गिरावट आने लगी और उस वक्त फतेहपुर को अवध के राजयपाल को दे दिया था। मराठो ने भी इस जिले पर अपना अधिपत्य जमाया था उन्होंने 1736 में इस शहर प् कब्ज़ा कर लिया। मराठों ने फतेहपुर जिले पर 1736 से लेकर 1750 तक राज किया। 1750 के बाद इस जिले पर पठानों ने फिर से अपना कब्ज़ा कर लिया। आप पठानों का अधिपत्य भी कुछ ज्यादा समय नहीं रहा और 1801 में फिर से इस धरती पर ब्रिटिश इष्ट इण्डिया कम्पनी ने अपना आधिपत्य स्थापित किया।
फतेहपुर जिले के इतिहास से जुड़े कुछ जरूरी तथ्य Gk facts about the History of Fatehpur District)
- फतेहपुर जिले ने जनपद के रूप में 31 अगस्त 1826 में दर्जा प्राप्त किया। लगभग 187 साल परहले।
- 1826 से पहले फतेहपुर के जितने परगने थे इलाहाबाद और कानपुर के अधीन थे।
- 1826 में लगभग 13 परगनों को अलग करके इस जनपद की स्थापना की गई थी।
- 10 नवंबर ,1801 में नवाब वाजिद अली को ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया के दवाब के कारण नवाब वाजिद अली ने
- दक्षिण दुआब और रुहेलखण्ड का हिस्सा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया।
- 1814 ईसवी में फतेहपुर के नामकरण को लेकर आवाज उठी।
- इसके बाद भिटौरा नामक स्थान पर इस जिले के नाम को लेकर एक ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बनाई गई।
- कारणों को लेकर इस ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को 1825 में भिटौरा से फतेहपुर लाया गया।
- ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के अनुसार फतेहपुर में चार को फतेहपुर में मिलाया गया वे थे कोड़ा, अमौली, खजुहा और बिंदकी ये कानपुर से लिए गए थे।
- इसी मजिस्ट्रेट ने इलाहाबाद में से 6 थानों को फतेहपुर जिले में शामिल किया वे थे फतेहपुर, गाजीपुर, हसवा, एकडला, हथगाम और कड़ा
- अगस्त 1826 ईसवी में 13 परगनों को आपस में मिलकर फतेहपुर जिला बनाया गया था। तब से आज तक ये जिले के रूप में ही में चलता आ रहा है।