कांगड़ा जिले के वन्य जीव अभ्यारण्य | HP GK | Wildlife Sanctuaries of Kangra District.
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भारतीय राज्य के रूप में प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है और इसमें कई वन्यजीव अभ्यारण्य और संरक्षित क्षेत्र हैं। हालांकि, कृपया ध्यान दें कि इन अभ्यारण्यों की स्थिति बदल सकती है, और इसके बाद नए अभ्यारण्य स्थापित किए गए हो सकते हैं। इस वक्त यहां कांगड़ा जिले के कुछ वन्यजीव अभ्यारण्य हैं:
पोंग बांध वन्यजीव अभ्यारण्य को महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है, यह अभ्यारण्य कांगड़ा जिले में सबसे प्रसिद्ध है। इस वन्य जीव अभ्यारण्य का निर्माण 1 जून 1983 में हुआ था और 307 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पोंग बांध सरोवर के आसपास स्थित है और खासकर सर्दियों में अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षियों के लिए घर है। इस अभ्यारण्य में सांबर हिरण, बार्किंग हिरण, चीते, और अन्य कई प्राणियों के प्रजातियों को भी निवास मिलता है।
2. धौलाधार वन्यजीव अभ्यारण्य: (निर्माण वर्ष 1994, क्षेत्र फल 944 वर्ग किलोमीटर )
धौलाधार वन्यजीव अभ्यारण्य हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित है जिसका निर्माण 1994 में किया गया था और लगभग 944 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। धौलाधार पर्वत श्रृंग में स्थित, यह अभ्यारण्य अपने हरियाली भरे जंगलों और विविध वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। यहां आपको चीते, हिमालय काले भालू, और अलग-अलग प्रकार की मोरों की प्रजातियों का सामना कर सकता है।
कांगड़ा जिले के वन्य जीव अभ्यारण्य | Wildlife Sanctuaries of Kangra District.
1. पोंग बांध वन्यजीव अभ्यारण्य: (निर्माण वर्ष 1 जून 1983, क्षेत्रफल 307 वर्ग किलोमीटर )पोंग बांध वन्यजीव अभ्यारण्य को महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है, यह अभ्यारण्य कांगड़ा जिले में सबसे प्रसिद्ध है। इस वन्य जीव अभ्यारण्य का निर्माण 1 जून 1983 में हुआ था और 307 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पोंग बांध सरोवर के आसपास स्थित है और खासकर सर्दियों में अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षियों के लिए घर है। इस अभ्यारण्य में सांबर हिरण, बार्किंग हिरण, चीते, और अन्य कई प्राणियों के प्रजातियों को भी निवास मिलता है।
2. धौलाधार वन्यजीव अभ्यारण्य: (निर्माण वर्ष 1994, क्षेत्र फल 944 वर्ग किलोमीटर )
धौलाधार वन्यजीव अभ्यारण्य हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित है जिसका निर्माण 1994 में किया गया था और लगभग 944 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। धौलाधार पर्वत श्रृंग में स्थित, यह अभ्यारण्य अपने हरियाली भरे जंगलों और विविध वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। यहां आपको चीते, हिमालय काले भालू, और अलग-अलग प्रकार की मोरों की प्रजातियों का सामना कर सकता है।
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