हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मेले और त्यौहार | HP GK | Fairs and Festivals of Himachal Pradesh in Hindi
HP Fairs and festivals in Hindi:
हम सभी जानते है की हिमाचल प्रदेश को देवों की भूमि कहा जाता है। और हिमाचल प्रदेश में कई उत्सव और त्योहार मनाये जाते है। और उनमें से ही हिमाचल प्रदेश में होने वाली सभी परीक्षाओं में कोई न कोई सवाल जरूर पूछा जाता है। इसलिए हम Gk Pustak के माध्यम से इस भाग में हिमाचल प्रदेश के सभी त्योहारों और उत्सवों (Fairs and Festivals) के सामान्य (main festivals of himachal pradesh ) ज्ञान की जानकारी दे रहे है क्योंकि इनमे से अवश्य एक सवाल पूछा जाता है।
2 : शूलनी मेला (Shoolini Mela )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मनाया जाता है। यह मेला सोलन जिले का एक एक राज्य स्तर का मेला है। ये हर साल जून महीने में मनाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के मेले और त्यौहार:
1 : सारहि मेला (Saree Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मनाया जाता है। यह सोलन जिले का का राज्य स्तर का मेला है। यर सोलन के अर्की नामक स्थान में मनाया जाता है। ये मेला हर साल जुलाई में मनाया जाता है और बैलों की लड़ाई के लिए जाना जाता है । इस मेले में वहां के गावों वासी अपने अपने बेलों को लड़ाई के लिए मैदान में लाते हैं।2 : शूलनी मेला (Shoolini Mela )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मनाया जाता है। यह मेला सोलन जिले का एक एक राज्य स्तर का मेला है। ये हर साल जून महीने में मनाया जाता है।
3 : फूल यात्रा:
हिमाचल प्रदेश के ज़िला चम्बा का यह एक ज़िला स्तर का मेला है यह मेला ज़िला चम्बा के पांगी नामक जगह पर होता है। ये मेला हर वर्ष अक्टूबर month में मनाया जाता है। इस मेले में पांगी के लोग फूलों सर पर हर लगाकर प्रदर्शनी करते है।
हिमाचल प्रदेश के ज़िला चम्बा का यह एक ज़िला स्तर का मेला है यह मेला ज़िला चम्बा के पांगी नामक जगह पर होता है। ये मेला हर वर्ष अक्टूबर month में मनाया जाता है। इस मेले में पांगी के लोग फूलों सर पर हर लगाकर प्रदर्शनी करते है।
4: सुई मेला:
ज़िला चम्बा का दूसरा ज़िला स्तर का मेला मिंजर मेले के बाद सुई मेला है। ये मेला चम्बा जिले में हर वर्ष अप्रैल महीने में मनाया जाता है। ये मेला चम्बा ज़िले में ही मनाया जाता है। इस मेले की विशेषता ये है कि इस मेले में सिर्फ महिलाओं और बच्चों दुआरा ही भाग लिया जाता है। ये मेला ज़िला चंबा की रानी नैना देवी के बलिदान की याद में मनाया जाता है। माना जाता है कि नैना देवी की समाधि के बाद यहां पर पानी की एक पर्वी निकली थी।
5: भरमौर यात्रा
हिमाचल प्रदेश में यह मेला भी चम्बा ज़िला के भरमौर तह सील में मनाया जाता है। यह भी चम्बा जिले का एक ज़िला स्तर का मेला है जो अगस्त महीने मैं मनाया जाता है। इस मेले में वहां के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और भरमौर तहसील के लोग बड़े हर्षो उलाश से मनाते हैं।
6 - छतराड़ी यात्रा
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के छतराड़ी नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। और यहां के लोग वहां की देवी मां की पूजा करते हैं।
7 : मणि महेश यात्रा ( Mani Mahesh Yatra )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में मनाया जाता है और यह का राज्य स्तर का मेला या यात्रा है ये यात्रा चम्बा जिले के लक्ष्मी नारायण मंदिर से शुरू होती है इसकी शुरुआत एक छड़ी के साथ होती है। मणि महेश का मेला अगस्त महीने में कृष्णा अष्टमी से शुरू होकर राधा अष्टमी वाले दिन खत्म होता है । माना जाता है की राधा अष्टमी वाले दिन यहां पर कैलाश पर्वत पर मणि के दर्शन होते हैं। और लोग भोले शंकर के दर्शन करते हैं और पूरा कैलाश पर्वत बम्ब बम्ब भोले के जयकारों से गूंज उठता है।
8: भोजरी उत्स्व
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में ही में मनाया जाता है। यह भी चम्बा जिले का राज्य स्तरीय मेला है। ये मेला मणिमहेश यात्रा के ठीक चार दिन बाद शुरू होता है। इस मेले की भी ये विशेषता है कि इस मेले में भी सुई मेले की भांति बच्चे और महिलाएं ही भाग ले सकते हैं।
9 : मिंजर मेला (Minjar Fair of District Chamba )
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले का यह मेला एक राष्ट्रीय स्तर का मेला है। यह मेला हर साल अगस्त महीने में मनाया जाता है। ये मेला साहिल वर्मन ने शुरू करवाया था। इस मेले वरुण की पूजा की जाती है और हिन्दू देवता वरुण को समर्पित है। हिमाचल प्रदेश के ही नहीं पर पुरे भारत के लोग इस मेले में भाग लेने आते हैं। यह लगभग 7 दिन तक चलता है और संध्या में भारत की अलग - अलग हस्तियां वहां के लोगों का मनोरंजन करते है। मिंजर यहां की लोकल भाषा में मक्की के ऊपर लगे फूलों को कहा जाता है।
10 : त्रिलोकपुर मेला (Trilokpur Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में मनाया जाता है। यह सिरमौर जिले का राज्य स्तर का मेला है। यह मेला माता बाला सुंदरी को समर्पित है। सिरमौर जिले में यह मेला त्रिलोकपुर नामक पवित्र स्थान में मनाया जाता है। यह मेला हर साल नवरात्रों वाले दिन मनाया जाता है।
11 : रेणुका मेला (Renuka Mela )
यह मेला भी सिरमौर जिले का राज्य स्तर का मेला है। यह मेला रेणुका झील के किनारे मनाया जाता है। यह हर साल मेला नवंबर महीने में मनाया जाता है।
12 : पावन द्वादसी मेला
यह मेला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले का जिला स्तर का मेला है। सिरमौर में यह मेला सुरहा नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। इस मेले में सिरमौर के लोग हर्षोउल्लास से हिस्सा लेते है।
13 : पिपलू मेला (Piplu Mela )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला ऊना जिले में मनाया जाता है। यह ऊना जिले का जिले स्तर का मेला है। यह मेला पिपलू नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला साल के मई जून में मनाया जाता है। माना जाता है की यहां के लोग यहां के पीपल के वृक्ष की पूजा करते है जिसके पीछे एक पुराना इतिहास है जिसे
14 : चिंतपूर्णी मेला :
यह मेला हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में मनाया जाता है। यह मेला ऊना जिले का ये भी राज्य स्तर का मेला है। यह मेला माँ चिंतपूर्णी को समर्पित है। इस मेले मैं माँ चिंतपूर्णी की पूजा बड़ी ही धूमधाम से की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार माँ चिंतपूर्णी को चिंता को हरने वाली मन जाता है। यह मेला अक्टूबर में हर साल लगता है।
15 : बाबा बड़भाग सिंह मेला (बाबा Vadbhag Singh Fair )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला ऊना जिले में मनाया जाता है। यह मेला भी ऊना जिले का राज्य स्तरीय मेला है। ये मेला हर साल जून महीने में मनाया जाता है। ये मेला हिन्दू न केवल हिन्दू धर्म बल्कि सिख धर्म के लिए भी बहुत मान्य मन जाता है। कहीं न कहीं बाबा बड़भाग सिंह का मेला हिन्दू और सिख धर्म धार्मिक आस्था के साथ जुड़ा हुआ है।
16 : नलवाड़ी मेला (Nalwadi Fair )
ज़िला चम्बा का दूसरा ज़िला स्तर का मेला मिंजर मेले के बाद सुई मेला है। ये मेला चम्बा जिले में हर वर्ष अप्रैल महीने में मनाया जाता है। ये मेला चम्बा ज़िले में ही मनाया जाता है। इस मेले की विशेषता ये है कि इस मेले में सिर्फ महिलाओं और बच्चों दुआरा ही भाग लिया जाता है। ये मेला ज़िला चंबा की रानी नैना देवी के बलिदान की याद में मनाया जाता है। माना जाता है कि नैना देवी की समाधि के बाद यहां पर पानी की एक पर्वी निकली थी।
5: भरमौर यात्रा
हिमाचल प्रदेश में यह मेला भी चम्बा ज़िला के भरमौर तह सील में मनाया जाता है। यह भी चम्बा जिले का एक ज़िला स्तर का मेला है जो अगस्त महीने मैं मनाया जाता है। इस मेले में वहां के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और भरमौर तहसील के लोग बड़े हर्षो उलाश से मनाते हैं।
6 - छतराड़ी यात्रा
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के छतराड़ी नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। और यहां के लोग वहां की देवी मां की पूजा करते हैं।
7 : मणि महेश यात्रा ( Mani Mahesh Yatra )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में मनाया जाता है और यह का राज्य स्तर का मेला या यात्रा है ये यात्रा चम्बा जिले के लक्ष्मी नारायण मंदिर से शुरू होती है इसकी शुरुआत एक छड़ी के साथ होती है। मणि महेश का मेला अगस्त महीने में कृष्णा अष्टमी से शुरू होकर राधा अष्टमी वाले दिन खत्म होता है । माना जाता है की राधा अष्टमी वाले दिन यहां पर कैलाश पर्वत पर मणि के दर्शन होते हैं। और लोग भोले शंकर के दर्शन करते हैं और पूरा कैलाश पर्वत बम्ब बम्ब भोले के जयकारों से गूंज उठता है।
8: भोजरी उत्स्व
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में ही में मनाया जाता है। यह भी चम्बा जिले का राज्य स्तरीय मेला है। ये मेला मणिमहेश यात्रा के ठीक चार दिन बाद शुरू होता है। इस मेले की भी ये विशेषता है कि इस मेले में भी सुई मेले की भांति बच्चे और महिलाएं ही भाग ले सकते हैं।
9 : मिंजर मेला (Minjar Fair of District Chamba )
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले का यह मेला एक राष्ट्रीय स्तर का मेला है। यह मेला हर साल अगस्त महीने में मनाया जाता है। ये मेला साहिल वर्मन ने शुरू करवाया था। इस मेले वरुण की पूजा की जाती है और हिन्दू देवता वरुण को समर्पित है। हिमाचल प्रदेश के ही नहीं पर पुरे भारत के लोग इस मेले में भाग लेने आते हैं। यह लगभग 7 दिन तक चलता है और संध्या में भारत की अलग - अलग हस्तियां वहां के लोगों का मनोरंजन करते है। मिंजर यहां की लोकल भाषा में मक्की के ऊपर लगे फूलों को कहा जाता है।
10 : त्रिलोकपुर मेला (Trilokpur Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में मनाया जाता है। यह सिरमौर जिले का राज्य स्तर का मेला है। यह मेला माता बाला सुंदरी को समर्पित है। सिरमौर जिले में यह मेला त्रिलोकपुर नामक पवित्र स्थान में मनाया जाता है। यह मेला हर साल नवरात्रों वाले दिन मनाया जाता है।
11 : रेणुका मेला (Renuka Mela )
यह मेला भी सिरमौर जिले का राज्य स्तर का मेला है। यह मेला रेणुका झील के किनारे मनाया जाता है। यह हर साल मेला नवंबर महीने में मनाया जाता है।
12 : पावन द्वादसी मेला
यह मेला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले का जिला स्तर का मेला है। सिरमौर में यह मेला सुरहा नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। इस मेले में सिरमौर के लोग हर्षोउल्लास से हिस्सा लेते है।
13 : पिपलू मेला (Piplu Mela )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला ऊना जिले में मनाया जाता है। यह ऊना जिले का जिले स्तर का मेला है। यह मेला पिपलू नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला साल के मई जून में मनाया जाता है। माना जाता है की यहां के लोग यहां के पीपल के वृक्ष की पूजा करते है जिसके पीछे एक पुराना इतिहास है जिसे
14 : चिंतपूर्णी मेला :
यह मेला हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में मनाया जाता है। यह मेला ऊना जिले का ये भी राज्य स्तर का मेला है। यह मेला माँ चिंतपूर्णी को समर्पित है। इस मेले मैं माँ चिंतपूर्णी की पूजा बड़ी ही धूमधाम से की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार माँ चिंतपूर्णी को चिंता को हरने वाली मन जाता है। यह मेला अक्टूबर में हर साल लगता है।
15 : बाबा बड़भाग सिंह मेला (बाबा Vadbhag Singh Fair )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला ऊना जिले में मनाया जाता है। यह मेला भी ऊना जिले का राज्य स्तरीय मेला है। ये मेला हर साल जून महीने में मनाया जाता है। ये मेला हिन्दू न केवल हिन्दू धर्म बल्कि सिख धर्म के लिए भी बहुत मान्य मन जाता है। कहीं न कहीं बाबा बड़भाग सिंह का मेला हिन्दू और सिख धर्म धार्मिक आस्था के साथ जुड़ा हुआ है।
16 : नलवाड़ी मेला (Nalwadi Fair )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले का एक महत्वपूर्ण और मशहूर मेला है। यह मेला केहलूर के शासक अमर चंद द्वारा शुरू करवाया गया था। इसका दूसरा नाम "पशु मेला " है अर्थात इसे पशु मेले के नाम से भी जाना जाता है। अगर हम इसके इतिहास के बात करें तो यह मेला W Goldstin ने 1889 में शुरू करवाया था। नलवाड़ के मेले में बेलों की पूजा की जाती है। यह मेला बिलासपुर के जहनु मैदान में मनाया जाता है। ही मेल्स हर साल मार्च महीने में शुरू होता है।
17 : नैना देवी मंदिर मेला (Naina Devi Fair )
यह मेला भी बिलासपुर जिए में मनाया जाता है। यह मेला बिलासपुर जिले का राज्य स्तरीय मेला है। यह मेला हर साल अगस्त ही महीने में मनाया जाता है। यह मेला बिलसपुर जिले के नैना देवी मंदिर में हर साल आयोजित किया जाता है। और यहां के लोग माता नैना देवी की पूजा बड़ी ही धूमधाम से करते है।
18 : गुग्गा मेला (Guga Fair )
17 : नैना देवी मंदिर मेला (Naina Devi Fair )
यह मेला भी बिलासपुर जिए में मनाया जाता है। यह मेला बिलासपुर जिले का राज्य स्तरीय मेला है। यह मेला हर साल अगस्त ही महीने में मनाया जाता है। यह मेला बिलसपुर जिले के नैना देवी मंदिर में हर साल आयोजित किया जाता है। और यहां के लोग माता नैना देवी की पूजा बड़ी ही धूमधाम से करते है।
18 : गुग्गा मेला (Guga Fair )
यह मेला भी बिलासपुर जिले का राज्य स्तरीय मेला है। बिलासपुर जिले में यह विहृरु मेला नामक स्थान पर मनाया जाता है।यह मेला अगस्त के अंत में शुरू होता है या सितंबर के शुरुआत शुरुआत में मनाया जाता है।
19 : मारकंडा मेला (Markanda Fair )
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले का यह मेला हर साल अप्रैल में मनाया जाता है। यह मेला बिलासपुर जिले के जुखाला नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मन जाता है की यह मेला ऋषि मार्कंड़य को समर्पित है।
20 : ढुंगरी मेला (Dhungri Fair)
यह मेला हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के मनाली में मनाया जाता है मनाली एक मशहूर सैलानी स्थल भी है। यह कुल्लू किले में मेला गर्मियों में मई महीने में मनाया जाता है। यह माना जाता है यह मेला महाभारत काल के माँ हिडिम्बा को समर्पित है।
21:.बूढी दीवाली
यह मेला हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मनाया जाता है। यह मेला हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले के निरमंड नामक स्थान में मनाया जाता है। वहां के लोगों का यह विचार है की इस मेले का संबध महा भारत से है। यह मेला लगातार तीन दिन तक चलता है और यह मेला अमावस के दिन मनाया जाता है।
22 : भुण्डा उत्सव (Bhunda Utsav )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में ही में मनाया जाता है। यह मेला कुल्लू जिले के निरमंड में ही में मनाया जाता है इस मेले की विशेषता ये है की यह मेला भी कुंभ मेले के साथ ये मिलती है की ये भी कुंभ मेले की भांति हर 12 साल बाद मनाया जाता है। भुण्डा मेले का संबंध भगवान परशुराम से माना जाता है।
23 : कुल्लू का दशहरा (Dussehra )
यह मेला कुल्लू जिले का एक राष्ट्रीय स्तर का मेला है इस मेले की यह विशेषता कि यह लगातार 7 दिन तक चलता है। इस मेले की शुरुआत 1651 ई में वहां के राजा जगत सिंह द्वारा की गई। कुल्लू का दशहरा मशहूर मैदान ढालपुर में मनाया जाता है।
24 : पुरग मेला (Purag Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिए में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के कोटखाई इलाके में मनाया जाता है। यह मेला हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह मेला भोले शंकर महादेव को समर्पित है।
25 : फ़ाग मेला (Fag Mela )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के शिमला जले में मनाया जाता है। यह मेला भी शिमला जिले का एक ज़िला स्तर का मेला है। यह मेला रामपुर नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल फागुन महीने में मनाया जाता है।
26 : भैंसो का मेला (fair of Buffaloes )
22 : भुण्डा उत्सव (Bhunda Utsav )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में ही में मनाया जाता है। यह मेला कुल्लू जिले के निरमंड में ही में मनाया जाता है इस मेले की विशेषता ये है की यह मेला भी कुंभ मेले के साथ ये मिलती है की ये भी कुंभ मेले की भांति हर 12 साल बाद मनाया जाता है। भुण्डा मेले का संबंध भगवान परशुराम से माना जाता है।
23 : कुल्लू का दशहरा (Dussehra )
यह मेला कुल्लू जिले का एक राष्ट्रीय स्तर का मेला है इस मेले की यह विशेषता कि यह लगातार 7 दिन तक चलता है। इस मेले की शुरुआत 1651 ई में वहां के राजा जगत सिंह द्वारा की गई। कुल्लू का दशहरा मशहूर मैदान ढालपुर में मनाया जाता है।
24 : पुरग मेला (Purag Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिए में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के कोटखाई इलाके में मनाया जाता है। यह मेला हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह मेला भोले शंकर महादेव को समर्पित है।
25 : फ़ाग मेला (Fag Mela )
यह मेला भी हिमाचल प्रदेश के शिमला जले में मनाया जाता है। यह मेला भी शिमला जिले का एक ज़िला स्तर का मेला है। यह मेला रामपुर नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल फागुन महीने में मनाया जाता है।
26 : भैंसो का मेला (fair of Buffaloes )
यह मेला भी शिमला जिले में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के मशोबरा नामक स्थान में मनाया जाता है। हर साल सितम्बर महीने में इस मेले का आयोजन होता है। इसे भैंसों का मेला इसलिए खा जाता है किउंकि यहां पर बढ़िया बढ़िया किसम के नस्ल की भैसों की प्रदर्शनी होती है।
27 : पत्थर का मेला
यह मेला शिमला जिले में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के मशोबरा नामक मशहूर स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। इसे पत्थर का मेला इसलिए कहा जाता है .
28 : रोहड़ू मेला (Rohru Mela )
यह मेला मेला भी हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के रोहड़ू में मनाया जाता है।यह मेला हिमाचल के मेलों में से राज्य स्तर का मेला है। यह मेला हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है। इस मेले में रोहड़ू के culture की एक बहुत बढ़िया झलक देखने को मिलती है। .
29 : ग्रीष्मोत्स्व मेला
यह मेला शिमला जिले के साथ सिरमौर में भी मनाया जाता है पर शिमला में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले का राष्ट्रीय स्तर का मेला है। इस मेले की शुरूआत हर साल मई महीनें होती है ये शिमला मैं बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला ग्रीष्म ऋतू में मनाया जाता है इसलिए इसे ग्रीष्मोत्सव मेले का नाम दिया गया है।
30 : महासू नाग मेला (Mhasu Nag Mela )
यह मेला मंडी जिले में मनाया जाता है। यह मेला ज़िला मंडी का ज़िला स्तर का मेला है। मंडी जिले में यह मेला करसोग नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल के मई महीने में मनाया जाता है।
31 :.सैचू मेला (Saichu Mela )
यह मेला मंडी जिले का राज्य स्तरीय मेला है। यह मेला मंडी जिले के रिवालसर झील के किनारे में मनाया जाता है। हर साल 13 अप्रैल को इस मेले को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला सभी धर्म हिन्दू, सिख,और बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है आस्था का प्रतीक है और बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
32 : मंडी का शिवरात्रि मेला (Shivratri Fair of Mandi District )
हिमाचल प्रदेश के सभी मेलों में मंडी जिले का शिवरात्रि का मेला पुरे भारत में प्रशिद्ध है। यह मेला मंडी जिले का ये मेला राष्ट्रीय स्तर का है। यह त्यौहार मंडी जिले में शिवरात्रि वाले दिन मनाया जाता है और बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। मंडी जले का यह मेला बहुत मेला पुराना और हिमाचल के मेलों में अपनी छवि के लिए जाना जाता है । मंडी में यह मेला मंडी जिले के पड्डल मैदान में मनाया जाता है। इसे मंडी के राजा अकबर सेन ने 1527 ई में शुरू करवाया था।
33: . दियोट सिद्ध मेला (Deot Sidh Mela )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला हमीरपुर जिले में ही मनाया जाता है। इस मेले का आयोजन हर साल मार्च अप्रैल में होता है।
34 : गसोता मेला (Gasota Mela )
यह मेला हमीरपुर जिले में हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है।
35 : हमीर उत्सव (Hamir Utsav )
हमीर उत्सव हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। यह मेला Sujan पुर तिहरा में मनाया जाता है जी की स्थापना राजा संसार चंद ने की थी।
36 : हमीरपुर का होली मेला (Holi का त्यौहार )
हमीरपुर का होली का त्योहार पुरे भारत में प्रसिद्ध है हम सभी जानते हैं की होली रंगों का त्योहार माना जाता है। यह मेला हर साल मार्च में मनाया जाता है। पर हिमाचल प्रदेश में इसका अपना स्थान है।
37: डल मेला (Dal Mela)
हिमाचल प्रदेश में यह मेला काँगड़ा जिले में मनाया जाता है। इस मेले का आयोजन हर साल अगस्त में होता है।
38 : ज्वालामुखी मेला (Jwalamukhi Mela)
27 : पत्थर का मेला
यह मेला शिमला जिले में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के मशोबरा नामक मशहूर स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। इसे पत्थर का मेला इसलिए कहा जाता है .
28 : रोहड़ू मेला (Rohru Mela )
यह मेला मेला भी हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले के रोहड़ू में मनाया जाता है।यह मेला हिमाचल के मेलों में से राज्य स्तर का मेला है। यह मेला हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है। इस मेले में रोहड़ू के culture की एक बहुत बढ़िया झलक देखने को मिलती है। .
29 : ग्रीष्मोत्स्व मेला
यह मेला शिमला जिले के साथ सिरमौर में भी मनाया जाता है पर शिमला में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला शिमला जिले का राष्ट्रीय स्तर का मेला है। इस मेले की शुरूआत हर साल मई महीनें होती है ये शिमला मैं बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला ग्रीष्म ऋतू में मनाया जाता है इसलिए इसे ग्रीष्मोत्सव मेले का नाम दिया गया है।
30 : महासू नाग मेला (Mhasu Nag Mela )
यह मेला मंडी जिले में मनाया जाता है। यह मेला ज़िला मंडी का ज़िला स्तर का मेला है। मंडी जिले में यह मेला करसोग नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला हर साल के मई महीने में मनाया जाता है।
31 :.सैचू मेला (Saichu Mela )
यह मेला मंडी जिले का राज्य स्तरीय मेला है। यह मेला मंडी जिले के रिवालसर झील के किनारे में मनाया जाता है। हर साल 13 अप्रैल को इस मेले को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला सभी धर्म हिन्दू, सिख,और बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है आस्था का प्रतीक है और बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
32 : मंडी का शिवरात्रि मेला (Shivratri Fair of Mandi District )
हिमाचल प्रदेश के सभी मेलों में मंडी जिले का शिवरात्रि का मेला पुरे भारत में प्रशिद्ध है। यह मेला मंडी जिले का ये मेला राष्ट्रीय स्तर का है। यह त्यौहार मंडी जिले में शिवरात्रि वाले दिन मनाया जाता है और बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। मंडी जले का यह मेला बहुत मेला पुराना और हिमाचल के मेलों में अपनी छवि के लिए जाना जाता है । मंडी में यह मेला मंडी जिले के पड्डल मैदान में मनाया जाता है। इसे मंडी के राजा अकबर सेन ने 1527 ई में शुरू करवाया था।
33: . दियोट सिद्ध मेला (Deot Sidh Mela )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला हमीरपुर जिले में ही मनाया जाता है। इस मेले का आयोजन हर साल मार्च अप्रैल में होता है।
34 : गसोता मेला (Gasota Mela )
यह मेला हमीरपुर जिले में हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है।
35 : हमीर उत्सव (Hamir Utsav )
हमीर उत्सव हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में मनाया जाता है। यह मेला हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। यह मेला Sujan पुर तिहरा में मनाया जाता है जी की स्थापना राजा संसार चंद ने की थी।
36 : हमीरपुर का होली मेला (Holi का त्यौहार )
हमीरपुर का होली का त्योहार पुरे भारत में प्रसिद्ध है हम सभी जानते हैं की होली रंगों का त्योहार माना जाता है। यह मेला हर साल मार्च में मनाया जाता है। पर हिमाचल प्रदेश में इसका अपना स्थान है।
37: डल मेला (Dal Mela)
हिमाचल प्रदेश में यह मेला काँगड़ा जिले में मनाया जाता है। इस मेले का आयोजन हर साल अगस्त में होता है।
38 : ज्वालामुखी मेला (Jwalamukhi Mela)
हिमाचल प्रदेश में यह मेला काँगड़ा जिले में हर साल नवरात्रों के दिन में जवालामुखी मंदिर में लगता है।
39 : कालेश्वर मेला (Kaleshwar Fair )
यह मेला भी काँगड़ा जिले में लगता है और हर साल अप्रैल महीने के वैशाखी वाले दिन लगता है। यह एक राज्य स्तरीय मेला है।
40 : फुलेच उत्स्व (Fultech Utsav )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में मनाया जाता है। इसके नाम से ही पता चलता है की फुलेच का अर्थ होता है फूल और इसलिए इसे फुलैच मेला कहा जाता है। यह हर साल सितम्बर में मनाया जाता है।
41: गोची मेला (Gochi Mela )
यह मेला हिमाचल के कलाँग नामक स्थान में मनाया जाता है। यह लाहौल स्पीति जिले का एक जिला स्तर का मेला है। केलांग लाहौल स्पीति में है। इसे हर वर्ष फरवरी महीने में मनाया जाता है।
42: हालवा मेला (Halda Mela )
यह मेला हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले दो घाटियों में चंद्र और भागा में मनाया जाता है। यह मेला दिसंबर जनवरी मैं हर साल मनाया जाता है। इस मेले को वहां के लोगों द्वारा दिवाली के पर्व की तरह मनाया जाता है।
43 : लोसर उत्स्व (Losar Utsav )
हिमाचल प्रदेश में यह मेला दोनों जिलों ज़िला किन्नौर और लाहौल स्पीति में मनाया जाता है। यह एक का राज्य स्तरीय मेला है। इसका संबंध तिब्बत के नव वर्ष से है इसलिए यह मेला जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश में यह मेला दोनों जिलों ज़िला किन्नौर और लाहौल स्पीति में मनाया जाता है। यह एक का राज्य स्तरीय मेला है। इसका संबंध तिब्बत के नव वर्ष से है इसलिए यह मेला जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।
44: लदारचा मेला
यह मेला हिमाचल प्रदेश के ल्होल स्पीति के काजा नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था से जुड़ा हुआ है।.यह मेला वहां के लोगो द्वारा जुलाई महीने में हरसाल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
यह मेला हिमाचल प्रदेश के ल्होल स्पीति के काजा नामक स्थान पर मनाया जाता है। यह मेला लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था से जुड़ा हुआ है।.यह मेला वहां के लोगो द्वारा जुलाई महीने में हरसाल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
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