उत्तर प्रदेश के कवि और लेखक | Famous Writers & authors of Uttar Pradesh in Hindi : UP GK
नमस्कार दोस्तों हम सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश साहित्य कारों, काव्यकारों, नाटक लेखक कारों, कवियों की धरती रही है और है भी। इस धरती से कई ऐसी महान हस्तियां निकली हैं। और उत्तर प्रदेश में कोई भी परीक्षा हो उत्तर प्रदेश के Writers, Poets, आदि से सवाल जरूर पूछे जाते है। उत्तर प्रदेश में कई लेखक और उपन्यासकार हुए है।
उत्तर प्रदेश के परीक्षा में बैठने वाले अक्सर इस से सबंधी प्रश्नों की तलाश में रहते है। इस भाग में हम Famous writers of Uttar Pradesh, Famous
authors of Uttar Pradesh, Uttar Pradesh ke lekhak, या फिर उत्तर प्रदेश के कवि का का सामान्य ज्ञान Gk Pustak के माध्यम से दिया गया है इससे आपको सभी की जानकारी वहीं पर मिलेगी।
उत्तर प्रदेश के कवी और लेखक
मुंशी प्रेम चंद हिंदी साहित्य के लेखक
मुंशी प्रेम चंद को हिंदी साहित्य के सम्राट भी कहा जाता है। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी शहर से लगभग 8 KM दूर लमही गांव में हुआ था। उनके साहित्य और कहानियां देश प्रेम और आम जनता के साथ जुडी हुई हैं। उनके पिता मुंशी राय थे। उनका बचपन मुश्किलों से घिरा हुआ है।
8 साल की में उनकी माता जी का निधन हो गया था। उसके बाद उनके पिता जी ने 15 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी पर वे शादी भी टूट गई। उसके बाग़ उन्होंने एक विधवा से शादी की। 13 साल की उम्र में उन्होंने कहानियां लिखनी शुरू कर दीऔर 300 से भी ज्यादा कहानियां प्रकाशित हुई। 8 अक्टूबर 1936 में उनकी मृत्यु हो गई।
मुंशी प्रेम चंद के प्रमुख उपन्यास -- गोदान, प्रतिज्ञा,वरदान सेवा सदन,प्रेम आश्रम,निर्मला,कर्मभूमि,गबन,रंग भूमि,मनोरमा,आदि मुख्य है।
जय शंकर प्रसाद
जय शंकर प्रसाद भी उत्तर प्रदेश के Famous उपन्यास कारों में से एक हैं। उनका जन्म 30 जनवरी 1889 में उत्तर पप्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ। पहले उनका आरम्भिक जीवन सही था शिक्षा के लिए सभी अध्यापक घर पर आते थे। पर बाद में 12 साल की छोटी उम्र में उनके पिता जी का देहांत हो गया। कुछ समय बाद उनके माता जी का भी देहांत हो गया। अब सारा बड़े भाई पर था पर जब वे 17 साल के थे तो उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया।
सबसे पहले उन्होंने ब्रज भाषा में अपनी रचनायें लिखी बाद में खड़ी बोली का इस्तेमाल किया। 14 जनवरी 1937 में उनकी मृत्यु हो गई।
जय शंकर प्रसाद की द्वारा लिखे काव्य -- झरना , आँशु , लहर, प्रेम पथिक ,महाराणा का महत्व, कानन कुसुम, कामायनी (1935), आदि।
जय शंकर द्वारा लिखे गए उपन्यास -- स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त ,ध्रुवस्वामिनी ,जन्मेजय का नाग यज्ञ,राज्यश्री, कामना,एक घूंट जय शंकर प्रसाद द्वारा लिखी कहानियां -- छाया ,प्रतिध्वनि ,आकाशदीप ,आंधी , इन्द्रजाल
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़रुखाबाद जिले में हुआ था। उनका महादेवी नाम रखने के पीछे ये कहानी है की उनके पीढ़ी में सात पीढ़ियों के बाद एक लड़की का जन्म हुआ था इसलिए उनका नाम महादेवी रखा गया था। पहले वे बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थी पर महात्मा गाँधी के Contact में आने के बाद वे एक अच्छी समाज सेवी के रूप में सामने आई। 11 सितम्बर 1987 में उनका निधन हो गया।
महादेवी वर्मा द्वारा लिखे काव्य -- नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942),यामा ,सप्तपर्णा आदि।
महादेवी वर्मा के विविध संकलन -- स्मारिका ,स्मृति चित्र ,संभाषण ,संचयन ,दृष्टिबोध आदि।
महादेवी वर्मा के पुनर्मुद्रित संकलन -- यामा (1940) , दीपगीत (1983), नीलाम्बरा (1983) , आत्मिका (1983) आदि।
महादेवी वर्मा द्वारा लिखे निबंध -- शृंखला की कड़ियाँ, विवेचनात्मक गद्य, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध।
सुभद्रा कुमारी चौहान
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के निहालपुर गांव में हुआ था। असहयोग आंदोलन के चलते वे राजनीती में आ गई और जबल पुर में अपना राजनितिक डेरा जमा लिया। उनका जन्म 16 अगस्त 1904 को हुआ था। 15 फारवरी 1948 में एक सड़क हादसे में उनकी मृत्यु हो गई।
सुभद्रा देवी द्वारा लिखे कहानी संग्रह -- बिखरे मोती (१९३२) ,उन्मादिनी (१९३४) ,सीधे साधे चित्र (१९४७)
सुभद्रा देवी द्वारा लिखी कविताएँ -- मुकुल ,त्रिधारा
सुभद्रा देवी की कहानी की प्रसिद्ध पंक्तियाँ
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
मुझे छोड़ कर तुम्हें प्राणधन सुख या शांति नहीं होगी यही बात तुम भी कहते थे सोचो, भ्रान्ति नहीं होगी।
भारतेन्दु हरीशचंद्र
भारतेन्दु हरीशचंद्र का जन्म 9 सितंबर 1850 और मृत्यु 6 जनवरी 1885 को हुई थी। उत्तर प्रदेश के साहित्य इतिहास में उनका बहुत योगदान है। उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जा सकता है। उनके पिता का नाम गोपाल चंद्र था। बड़ी बात ये है कि वे एक वेश्या परिवार से संबध रखने के बाद भी एक अच्छे साहित्यकार बने। उन्हें हिंदी के इलावा अंग्रेजी,उर्दू ,मराठी,भाषा का अच्छा ज्ञान था।
भारतेन्दु द्वारा लिखे नाटक -- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, सत्य हरिश्चन्द्र ,श्री चंद्रावली,विषस्य विषमौषधम् , भारत दुर्दशा, नीलदेवी,अंधेर नगरी,प्रेमजोगिनी, सती प्रताप आदि।
भारतेन्दु द्वारा लिखे निबंध संग्रह --- नाटक, कालचक्र, लेवी प्राण लेवी, भारतवर्षोन्नति
कैसे हो सकती है? ,कश्मीर कुसुम ,जातीय संगीत , संगीत सार ,हिंदी , स्वर्ग में विचार सभा आदि।
काव्यकृतियां ---- भक्तसर्वस्व,प्रेममालिका , प्रेम माधुरी, प्रेम-तरंग, उत्तरार्द्ध भक्तमाल, प्रेम-प्रलाप, होली, मधु मुकुल, राग-संग्रह, वर्षा-विनोद, विनय प्रेम
फूलों का गुच्छा, प्रेम फुलवारी, कृष्णचरित्र, दानलीला , तन्मय लीला आदि।
मैथिली शरण गुप्त / उत्तर प्रदेश के कवी और लेखक
मैथिली शरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले में हुई थी और उनकी मृत्यु भी झाँसी में 12 दिसंबर, 1964, में हुई थी। ये खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया।
इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान दिया।
मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य--- साकेत, यशोधरा
मैथिलीशरण गुप्त के खण्डकाव्य--- जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, द्वापर, गुरु तेग बहादुर, गुरुकुल , जय भारत, युद्ध, झंकार , पृथ्वीपुत्र, वक संहार [क], शकुंतला, विश्व वेदना,सिद्धराज, नहुष, अंजलि और अर्घ्य, अजित, अर्जन और विसर्जन, काबा और कर्बला, किसान, कुणाल गीत, राजा प्रजा, विष्णुप्रिया, उर्मिला, लीला[ग], प्रदक्षिणा, दिवोदास [ख] आदि।
नाटक - शक्ति, सैरन्ध्री [क], स्वदेश संगीत, हिड़िम्बा , हिन्दू, चंद्रहास, रंग में भंग , राजा-प्रजा, वन वैभव [क], विकट भट , विरहिणी , वैतालिक आदि।
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