हम सभी जानते हैं की मनुष्य कई कुदरती आपदाओं का शिकार होता है। इन कुदरती आपदाओं में है भूचाल,सुनामी,भूस्खलन,सूखा पड़ना, अकाल पड़ना। इनमे से भूस्खलन (Landsliding) भी एक खतरनाक कुदरती आपदा है। GK Pustak के इस भाग में हम भूस्खलन ( Landsliding ) और भूस्खलन के कारणों,उससे बचने के उपायों के सामान्य ज्ञान बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
भूसंख्लन के कारण - GK हिंदी में / Causes of Land Sliding in Hindi
Introduction
भारत में मानव-प्रेरित भूस्खलनों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। विचारणीय है कि 2004-2020 के अंतराल के बीच में 28% निर्माण-प्रेरित landslide की परिघटनाएं घटित हुई थीं। यदि हम चीन की बात करें तो चीन (9%), पाकिस्तान में (6%), फिलिपिन्स में (5%), नेपाल में (5%) और मलेशिया में (5%) का स्थान है।
भूस्खलन के कारण कृत्रिम झीलों का निर्माण हो जाता है, जो प्रभावित फ्लैश फ्लड (अकस्मात् आने वाली बाढ़) को प्रेरित कर सकता है. पृथ्वी पर लैंडस्लाइड तीसरी सर्वाधिक विनाशक प्राकृतिक आपदा है।भूस्खलन आपदा प्रबंधन पर प्रतिवर्ष लगभग 400 अरब डॉलर का व्यय किया जा रहा रहा है।
भूस्खलन के बारे में सामान्य ज्ञान
भूस्खलन के कारण प्रमुख कारण
Landslide की घटनाएँ मुख्य रूप से प्राकृतिक कारणों से घटित होती हैं जैसे भूकंपीय कम्पन और दीर्घकालिक वर्षा या सीपेज के कारण मृदा परतों के मध्य जल का दाब आदि। हाल के दशकों में, भूस्खलन के लिए उत्तरदायी मानवीय कारण महत्त्वपूर्ण हो गये हैं। हम आपको बता दें की आजकल मनुष्य ने कुदरत से छेड़खानी करनी शुरू कर दी है।
पहाड़ों में Dams का निर्माण किया जा रहा है। सड़कों का निर्माण हो रहा है। इन कारणों में ढलानों पर स्थित वनस्पति की कटाई, प्राकृतिक जल निकासी में अवरोध, जल या सीवर लाइनों में रिसाव तथा सड़क, रेल, भवन-निर्माण के कार्यों के चलते ढलानों को परिवर्तित करना आदि शामिल हैं।
भूस्खलन की किस्मे
मौसम-प्रेरित भूस्खलन
उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्मकाल के दौरान landslide की घटनाएँ उस समय अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, जब एशिया के कुछ हिस्सों में चक्रवात, तूफान और टाइफून की अधिकता होती है और मानसूनी मौसम के कारण भारी वर्षा होती है। अगर हम उतरी भारत की बात करें तो पहाड़ी इलाकों में Land Sliding की घटना आम हो गई है। उत्तराखंड में जो landsliding हुई उसमे 10000 से भी ज्यादा लोगों की मोत हो गई थी। जब बरसात आती है Landsliding की घटनाये आम हो जाती हैं।
अवैध खनन भी एक कारण है
भारत में पहाड़ों को काटने के कारण होने वाले लैंडस्लाइड ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रमुख समस्या हैं। जहाँ लोग घरों के निर्माण के लिए अवैध रूप से पहाड़ी ढलानों पर स्थित सामग्री को एकत्रित करते हैं। घातक भूस्खलन सामान्यतः सडकों और बहुमूल्य संसाधनों से समृद्ध स्थलों के निकट स्थित बसावटों में अधिक घटित होते हैं। घर ही नहीं सरकार दुआरा बनाई जा रही सड़कों, और Dams, का निर्माण भी Land Sliding का एक प्रमुख कारण है।
भूकम्प का आना
हिमालयी क्षेत्र अत्यधिक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है जहाँ अधिक तीव्रता वाले भूकंप आते हैं और इस प्रकार यह क्षेत्र भूकम्प-प्रेरित भूस्खलन के लिए भी प्रवण बन जाता है। भूकम्प-प्रेरित लैंडस्लाइड के कारण हिमालय में लगभग 70 जल बिजली परियोजना संकट में हैं। भूकंप से टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं और भूकंप से भी लैंडस्लीडिंग का खतरा बना रहता है।
भारत से संबंधित लैंडस्लाइड डाटा
ग्लोबल फैटल लैंडस्लाइड डेटाबेस (Global Fatal Landslide Database : G F L D) के अनुसार, एशिया महाद्वीप को सर्वाधिक प्रभावित माना गया है जहां 75% (भारत में 20%) landslide की घटनाएँ घटीं. ये घटनाएँ मुख्य रूप से हिमालयी चाप के साथ संलग्न क्षेत्र में घटित हुई हैं। लैंडस्लाइड से सम्बन्धित वैश्विक डेटाबेस के अनुसार, विश्व के शीर्ष दो भूस्खलन हॉट स्पॉट भारत में विद्यमान हैं। हिमालयी चाप की दक्षिणी सीमा और दक्षिण-पश्चिम भारत का तट जहाँ पश्चिमी घाट स्थित है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (G S I) के अनुसार, भारत के कुल स्थलीय क्षेत्र का लगभग 12.6% भूस्खलन-प्रवण संकटग्रस्त क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
सिक्किम की सुभेद्यता: यह 4,895 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र लैंडस्लाइड के प्रति संवेदनशील है, जिसमें से 3,638 वर्ग किमी क्षेत्र मानव जनसंख्या, सड़कों और अन्य अवसंरचनाओं से घिरा हुआ है।
LANDLINE WARNING SYSTEM
पूर्वोत्तर हिमालय के सिक्किम-दार्जिलिंग क्षेत्र में एक वास्तविक समय (Real Time) आधारित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली की स्थापना की गई है. इसके माध्यम से 24 घंटे पहले ही अग्रिम चेतावनी जारी की जा सकेगी. इस प्रणाली में 200 से अधिक सेंसर हैं जो भूगर्भीय और हाइड्रोलॉजिकल मापदंडों जैसे – वर्षा, पोर प्रेशर (मृदा में स्थित जल का दाब) और भूकंपीय गतिविधियों का मापन कर सकते हैं।
इसे सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन के सहयोग से केरल स्थित अमृता विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने स्थापित किया है। इसे आंशिक रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया है. इस विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में केरल के मुन्नार जिले में एक भूस्खलन चेतावनी प्रणाली की स्थापना की जा चुकी है।
भूस्खलन रोकथाम के लिए उठाये जा सकने वाले मानवीय कदम
देश को प्रभावित करने वाली landslide घटनाओं से सम्बन्धित सूची तैयार करना और उसे निरंतर अद्यतन करना।
सीमा सड़क संगठन, राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों के परामर्श से क्षेत्रों की पहचान और प्राथमिक निर्धारण के बाद सूक्ष्म और वृहत स्तर पर भूस्खलन खतरे की क्षेत्रीय मैपिंग करना जरूरी है।
भूस्खलन शोध, अध्ययन और प्रबन्धन के लिए एक स्वायत्त राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना करना।
ढलानों के स्थिरीकरण के लिए गति अवरोधकों (pacesetter) की स्थापना करना.
Landslide सम्बन्धी शिक्षा एवं पेशेवरों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
भूस्खलन अध्ययन पर नई संहिता और दिशा-निर्देशों का विकास करना और मौजूदा दिशा-निर्देशों में संशोधन करना।
वर्तमान में लैंडस्लाइड को रोकने से सम्बन्धित भारत द्वारा उठाये कदम
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GEOLOGICAL SURVEY OF INDIA : G S I)
G S I भूस्खलन डेटा संग्रह और भूस्खलन अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की एक “नोडल एजेंसी” है तथा इसके द्वारा सभी प्रकार के भूस्खलनों और ढाल स्थिरता सम्बन्धी शोध कार्य किया जाता है। यह खान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है।
नेशनल लैंडस्लाइड ससेप्टिबिलिटी मैपिंग (N L S M) 2014
G S I द्वारा 2018 के अंत तक लगभग 1.71 लाख वर्ग किसी क्षेत्र को कवर करने वाले भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रों (Landslide Susceptibility Maps) के निर्माण को सम्पन्न करने हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। इस परियोजना द्वारा भारत के सभी भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों का समेकित भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र और भूस्खलन इन्वेंटरी मानचित्र प्रदान किया जाएगा, जिसका उपयोग आपदा प्रबंधन समूहों के वास्तुकारों तथा भावी योजनाकारों द्वारा किया जा सकता है.
नेशनल लैंडस्लाइड रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट (N L R M P)
N D M A (National Disaster Management Authority) द्वारा एक नेशनल लैंडस्लाइड्स रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट (N L R M P) चलाया जा रहा है. इस परियोजना के अंतर्गत मिजोरम में एक भूस्खलन स्थल का चयन किया गया है.
भूस्खलन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम (INTERNATIONAL PROGRAMMER ON LANDSLIDES)
भूस्खलन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम I P L का उद्देश्य लैंडस्लाइड जोखिम शमन पर विशेष रूप से विकासशील देशों में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी अनुसंधान और क्षमता निर्माण करना है. समाज और पर्यावरण के लाभ के लिए सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का संरक्षण किया जायेगा. I P L की गतिविधियों द्वारा आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (I S D R) में योगदान दिया जाएगा।
खाद्यान्न फसलों में चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मक्का, राई, जौ, जई और अन्य प्रकार के मोटे अनाज शामिल हैं. पेय फसलों में चाय, कहवा, और कोको, रेशेदार फसलों में कपास, जूट, सनई, पटुआ और हेम्प शामिल हैं. औद्योगिक फसलों में गन्ना, रबड़ और तम्बाकू सम्मिलित हैं. आशा है कि आपको suitable temperature, rainfall and soil for crops का यह पोस्ट पसंद आएगा.