सूर्य की संरचना और बनावट | Structure and Composition of sun in Hindi
Important information about Sun in Hindi
सूर्य के बारे में परिचय :
धरती पर जीवन संभव रखने के लिए बहुत से स्त्रोत निर्भर करते हैं। धरती पर जितने भी प्राणी रहते हैं उन सभी के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है और धरती पर ऊर्जा के कई स्रोत हैं। धरती पर बने बांध ही और उससे प्राप्त ऊर्जा, सोलर ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, सूर्य की ऊर्जा, कहीं न कहीं चाँद ऊर्जा का स्त्रोत है।सभी धरती पर जीवन कायम रखने के लिये अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं। इन सभी तत्वों में से सूर्य की ऊर्जा एक ऐसी ऊर्जा है जो सभी के लिए जरूरी है और ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। र्य एक गैसीय गोला है और इसका तापमान इतना ज्यादा है कि इसे हम ठोस या फिर तरल स्थिति में नहीं कह सकते हैं।
अगर सूर्य ग्रहण की बात करें तो बहुत बार लगे हैं 2021 में भी 2 बार सूर्य ग्रहण और दो बार चंद्र ग्रहण लगेंगे। पर 21 जून 2020 में जो सूर्य ग्रहण लगा था उसने पुरे चन्द्रमा को ढक लिया था। आदि काल से सूर्य ग्रहण को लेकर भ्रम भी चलाया जाता है। आइये जानते हैं सूर्य कैसे बना और इसकी संरचना कैसे हुई है।
जब पूर्ण सूर्य कोरोना जहां लगता है तो आकाश में देखने से पूरा आसमान धुंधला सा दिखता है उसे हम सोलर कोरोना कहते हैं। सूर्य की बनावट को लेकर नीचे कुछ तथ्य दिए गए हैं।
- सूर्य का व्यास 14,00,000 किलोमीटर होता है।
- सूर्य के केंद्रीय भाग का तापमान लगभग 15×10″6 केबिन है।
- सूर्य की साथ का तापमान 6000 केबिन है।
- सूर्य के केंद्रीय भाग का घनत्व 150 ग्राम प्रति घन सेमी.है।
- सूर्य का द्रव्यमान धरती की तुलना से साढ़े तीनं लाख गुना अधिक होता है।
- सूर्य का द्रव्यमान लगभग 2×10″30 किलोग्राम है।
- अगर 109 धरतियों को इकट्ठा किया जाये तो एक सूर्य बनता है।
- सूर्य के घूमने की रफ़्तार की बात करें तो निश्चय ही यह एक गैस का गोला है इसलिए इसकी रफ़्तार अलग - अलग हिस्सों में अलग अलग होती है। वैसे सूर्य अपनी Axis पर 25 दिनों में का बार चक्कर काटता है। ध्रुव क्षेत्रों में सूर्य ज्यादा समय लेता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में यह लगभग 31 दिन में एक चकार काटता है।
- सूर्य का झुकाव Axis की और लगभग 83 डिग्री होता है।
सूर्य की संरचना का धरती की संरचना के साथ संबंध | Relation Between Earth and Sun
सूर्य की सरंचना से जुड़े कुछ और जरूरी तथ्य | Facts about the Composition of Sun
- सूर्य की बनावट नाभिकीय प्रक्रिया के परिणामस्वरूप हुई है।
- सूर्य में प्रकाश मंडल फिर वर्ण मंडल और बाद में संक्रमण मंडल हैं।
- सूर्य के बाहरी क्षेत्र को आभा मण्डल या फिर कोरोना मंडल कहते हैं।
- सूर्य के मध्य भाग से जो किरणे जो बहुत ज्वलित होती हैं संवहन प्रक्रिया के द्वारा धरती पर पहुंचती हैं।
- सूर्य के सबसे केंद्र भाग का तापमान 15 ×10″6 केल्विन होता है। पर ये बहार की तरफ आने के साथ तापमान कम होता जाता है।
- वर्ण मंडल में तापमान कम होकर 4×10″3 केल्विन होता है।
- ऊर्जा में बढ़ोतरी विकिरण के बजाय संवहन प्रक्रिया से उन क्षेत्रों में होता है जिनमें तापमान घट कर 2×10″6 केल्विन से कम रह जाता है।
- सूर्य के अंदर के भाग को नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता है इस भाग को संवहन क्षेत्र कहते हैं।
- सूर्य में वायुमंडलीय परत भी पाई जाती है जो सूर्य के प्रकाश मंडल के ख़तम होने के बाद शुरू होती है।
- सूर्य का बाहरी हिस्सा लाल रंग का दिखता है ये लाल रंग हाइड्रोजन में जो परमाणु संरचना होती है उसी के कारण होती है।
- इस लाल प्रकाश का तरंगदैर्घ्य अर्थात तरंगों की तीव्रता 656 नैनोमीटर होता है।
सूर्य की रासायनिक बनावट | Chemical composition of the sun
सूर्य की बनावट वैसे तो हीलियम और हाइड्रोजन के नाभकीय टकराव के कारण हुई है पर सूर्य के केंद्र में 3 प्रतिशत के लगभग और गैसें भी पाई जाती हैं। सूर्य में क्रमश 71% हाइड्रोजन , 26.5% हीलियम तथा 2.5% और तत्व मौजूद हैं। सूर्य को सौर मंडल का पितामह माना जाता है किउंकि ये सभी ग्रहों और उपग्रहों के बीच में स्थित है।
सूर्य के केंद्र भाग का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेंटीग्रेट है। लगभग चालीस लाख टन ऊर्जा का विषर्जन सूर्य दुआरा प्रति सेकण्ड में किया जाता है। इस वक्त जब से सूर्य अस्तित्व में आया है इसकी आयु 4.7 अरब वर्ष हो गई है। सूर्य आने वाले समय में 10 अरब वर्ष तक वजूद में रहेगा अर्थात इसकी आयु 10 अरब वर्ष अनुमानित है।
सूर्य की किरणे धरती तक पहुंचने के लिए लगभग 8 मिनट और 16 सेकण्ड का समय लगाती हैं। सूर्य और धरती के बीच की दूरी 16 करोड़ और 96 लाख किलोमीटर है। सूर्य में हीलियम की मौजूदगी की खोज 8 अगस्त 1868 में अंग्रेज खगोलविद लाकियर ने की थी। धरती पर हीलियम की खोज बाद में हुई थी जो लगभग 1895 में हुई थी ये खोज भी खगोलविद लाकियर ने की थी।
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सूर्य की तीन परतें | Three layers of the sun
पहली परत - सूर्य का केन्द्र भाग (Core Part)
- सूर्य के केंद्रीय भाग का व्यास लगभग तीन लाख और अढतालिस हजार किलोमीटर है।
- सूर्य का केंद्रीय भाग का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेंटीग्रेड है।
- सूर्य का केंद्रीय भाग में जो पदार्थ हैं वे सभी प्लाज्मा होते हैं।
- प्लाज्मा किसी भी पदार्थ की आखिरी स्टेज होती है और इसमें अपार ऊर्जा का संचालन होता है।
- इस भाग में जो भी प्रक्रिया होती है उसे नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया कहते हैं।
दूसरी परत -- रेडियोधर्मी क्षेत्र (Radioactive Zone)
तीसरा परत -- संवहन क्षेत्र (Convective Zone)
सूर्य की बनावट में तीन मंडल | Three circles in the Sun's texture
1.पहला मंडल प्रकाश मंडल (Photo sphere)
2. दूसरा मंडल वर्ण मण्डल (Chromosphere)
वर्ण मण्डल (Chromo sphere) से जो भी गैसों का विसर्जन होता है उसे स्पिक्युल कहते हैं। यह एक प्रकाश मंडल है इसलिए कभी कभी रासायनिक परिवर्तन के कारण इस क्षेत्र से तीव्र प्रकाश निकलता है और इस प्रकाश से एक्स (X) और गामा किरणों का विसर्जन होता है जिन्हे ज्वाला के नाम से भी जाना जाता है।
3. तीसरा मंडल कोरोना मंडल (Corona sphere)
Question :- सौर स्थिति (SOLAR ROTATION) क्या होती है ?
Answer :- सूर्य जब अपने Axis पर पश्चिम से पूर्व की और घूमता है तो इसे सौर स्थिति (SOLAR ROTATION) कहा जाता है सूर्य अपनी स्थिति पर बड़ी तेज गति से घूमता है और इस घुमाव में यह सात डिग्री का कोण बनाता है। 25.8 दिन दिनों में यह अपना चक्र पूरा करता है।Question :- सूर्य- सन- स्पॉट क्या होते हैं ?
Answer :- इन्हें सौर कलंक का नाम भी दिया गया है। ये स्पॉट प्रकाश मंडल में होते हैं। ये स्पॉट तब बनाते हैं जब सूर्य का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से कम होता है ये कलंक उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उत्पन्न होते हैं।
जो अंदर के काळा भाग होते हैं उन्हें अम्ब्रा और जो चारों और जो काळा भाग होते हैं उन्हें पेनुम्ब्रा कहा जाता है। ये जो काळा स्पॉट होते हैं उनका जीवन घंटो या फिर महीनों में होता है अर्थात ये जल्दी ख़तम हो जाते हैं।
इन स्पॉटों के पैदा होने की अवधि लगभग 11 साल है अर्थात ये 11 साल के बाद उत्पन्न होते हैं ? ये जो सन स्पॉट पैदा होते हैं उन्हें सौर चक्र भी कहा जाता है। ये ही स्पॉट हैं जो धरती के वातावरण अर्थात जलवायु को भी प्रभावित करते हैं।
Question :- सौर हवायै (SOLAR WINDS) क्या होती हैं ?
इन हवाओं के प्रभाव से पृथ्वी के वायुमंडल में आयनित गैस की परत बिगड़ने लगती है और ध्रुवों पर ऑरोरस दिखने लगता है।
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Question :- Aurora - भोर क्या होता है ?
Answer :- कॉस्मिक किरणों, सौर हवाओं और पृथ्वी के चुंबकीय प्रभावों के बीच घर्षण के कारण, पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों के साथ एक चमक उत्पन्न होती है, जिसे अरोरास कहा जाता है। यह चमक चुंबकीय ध्रुवों के ऊपर इलाकों में होती है। जब यह चमक उत्तरी भू-चुंबकीय ध्रुव के ऊपर होती है, तो इसे अरोड़ा बोरेलिस कहा जाता है और जब यह दक्षिणी भू-चुंबकीय ध्रुव के ऊपर होता है, तो इसे अरोरा सूक्ष्म जीव कहा जाता है।
Question :- Isolation क्या होता है ?
Frequently Asked Question
प्रश्न -- सूर्य की कौन सी किरणें धरती के लिए जरूरी होती हैं ?
उत्तर -- पराबैंगनी और अवरक्त किरणें
प्रश्न -- सूर्य का तापमान मापने के लिए किस नियम का इस्तेमाल किया जाता है ?
उत्तर -- स्टीफन नियम का।
प्रश्न -- सबसे पहले किसने ये पता लगाया कि सभी ग्रह सूर्य के इर्द गिर्द घूमते हैं ?
उत्तर -- केपलर ने
प्रश्न -- कौन सा चक्र है जो सोर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलता है ?
उत्तर -- कार्बन चक्र
प्रश्न -- धरती पर विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत क्या है ?
उत्तर --- सूर्य
प्रश्न -- सूर्य का तापमान कितना हो तो सूर्य का प्रकाश नारंगी रंग का हो जाता है ?
उत्तर -- 4000 डिग्री।
प्रश्न --- अंतरिक्ष के जो तूफान उठते हैं वे किस यंत्र द्वारा मापी जाते हैं ?
उत्तर -- क्रोनोग्राफ से
सूर्य की संरचना संबधी कुछ और तथ्य:
- सूर्य के आविष्कार या संरचना से पहले सूर्य को एक परिपूर्ण या ऐसा माना जाता था कि इसमें कोई परिवर्तन नहीं होते पर सूर्य की खोज के बाद ये जानकारी हासिल हुई कि इसमें हमेशा परिवर्तन होते रहते है।
- सूर्य की संरचना ऐसे हुई है जैसे एक गैसों का पुलाव हो।
- सूर्य पर जो काळा रंग के धब्बे दिखाई देते हैं वे इसमें चुम्बकीय बदलाव के कारण होते हैं।
- काळा रंग के जो सन स्पॉट होते हैं वे सूर्य के तापमान के कारण होते हैं।
- इन काले सन स्पॉट को नंगी आँखों से देखना हानिकारक होता है।
- 1826 और 1850 के बीच में खगोलशास्त्री हेनरिक श्वाबे ने पहली बार सूर्य का दैनिक रकोर्ड रखा था।
- खगोलशास्त्री हेनरिक श्वाबे Actually में Structure of Sun के बारे में खोज नहीं कर रहे थे पर वे बुध के बीच के क्षेत्र का अध्ययन कर रहे थे।
- इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि 10 साल बाद सूर्य में बदलाव आते हैं और उन्हें सन स्पॉट कहते हैं।
- सूर्य में जो सन स्पॉट होते हैं उनकी संख्या अलग अलग होती है।
- सौर चुंबकीय क्षेत्र को परमाणुओं की एक संपत्ति का उपयोग करके मापा जाता है जिसे जीमन प्रभाव कहा जाता है।
- सूर्य में वर्णक्रमीय रेखाएं तब बनती हैं जब इलेक्ट्रॉन एक स्तर से दूसरे स्तर पर स्थानांतरित होते हैं।
- वे चुंबकीय तूफान हैं जो एक गैसीय सतह विस्फोट के साथ बहुत उज्ज्वल स्पॉट दिखाई देते हैं।
- सौर फ्लेयर्स द्वारा कोरोना भाग में 10 से 20 मिलियन तक गर्म किया जाता है।
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