दोस्तों हम सभी जानते हैं कि राजस्थान राज्य में जालोर जिए की अपनी ही भौगोलिक स्थति और ऐतिहासिक संरचना है और अवश्य ही इस जिले से संबंधित कोई न कोई सवाल परीक्षा में अवश्य पूछा जाता है। आज हम Gk Pustak के माध्यम से जालौर जिले के इतिहास, भौगोलिक स्थिति, जनसांख्यिकी, प्रशासनिक ढांचे,पर्यटन स्थलों और जालोर जिले के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जालौर जिले के सामान्य ज्ञान के बारे में बहुत ही जरूरी तथ्य दे रहे हैं जो राजस्थान में होने वाली चाहे भी परीक्षा हो कहीं न कहीं आपके सामान्य ज्ञान में जरूर इजाफा करेंगे।
JALORE GK iN HINDI |
Jalore District GK :
राजस्थान के जालौर जिले का सामान्य ज्ञान
जालौर जिले की ऐतिहासिक जानकारी या ऐतिहासिक तथ्य
1181 की बात है अल्हना के सबसे छोटे बेटे कीर्तिपाल, नाडोल के चहमाना शासक, ने परमारों से जालौर पर कब्जा कर लिया था। 1311 में उस वक्त तुर्की का अलाउद्दीनखिलजी गद्दी पर विराजमान था। इसी दौरान यहां का शासक कान्हडदेव था।
खिलजी ने 1311 में जालौरपर हमला कर दिया और कब्ज़ा कर लिया। जालोर, महाराणा प्रताप की माँ जीवन कुंवर का गृहनगर थ।यह लगभग (1572–1597) की बात है। सन् 1182 में चौहान वंश कीर्तिपाल चौहान ने जालौर में चौहान वंश की स्थापना की। अलाउद्दीन खिलजी तुर्क हमलावर ने जालौर का नाम जलालाबाद रखा।आजादी केबाद ये भारत गणराज्य के जिले के रूप में विकसित हुआ।
जालौर जिले के दक्षिण पूर्व में सिरोही की ओर और दक्षिण में भारत के गुजरात राज्य की सीमा लगती है।इस जिले का कुल क्षेत्रफल 10,640 वर्ग मीटर है। इस जिले का कुल राजस्थान राज्य के क्षेत्रफल का 3.11% है। जिले को जालोर, आहोर, भीनमाल, रानीवाड़ा, सांचौर, सायला, बागोड़ा, भाद्राजून, चितलवाना 7 तहसीलों में बांटा गया है। यहां की जलवायु शुष्क है और वनस्पति की कमी पाई जाती है।
इस दुर्ग के उपनाम हैं सोनगिरी, कांचनगिरी, सोनलगढ़, जालधर दुर्ग, जलालाबाद दुर्ग, सुवर्णगिरी, आदि । इस दुर्ग का निर्माण सुकड़ी नदी के किनारे पर किया गया है। यह मशूहर दुर्ग कनकाचल की पहड़ियों पर बना हुआ है। अगर हम पश्चमी राजस्थान की बात करें तो यह दुर्ग प्राचीन माना जाता है। यह एक ऐसा मजबूत किला है जिस का दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी नहीं खोल सकता है और न ही किसी से खुला है।
इस दुर्ग के निर्माण के बारे में इतिहासकारों की एक राय नहीं है ओझा कहते हैं इसका निर्माण परमारों ने किया था और दशरथ शर्मा कहते हैं की इसका निर्माण प्रतिहार वंश दुआरा किया गया है। इस दुर्ग में चामुण्डा माता व जौगमाया माता का मन्दिर स्थित है। अलाउदीन खिलजी ने इसी दुर्ग में मस्जिद का निर्माण करवाया था।
जालौर जिले का सुंधामाता का मन्दिर एक पूजा और आस्था का प्रतीक
यह मंदिर जालौर के दांतलावास नामक स्थान पर स्थित है। इस माता के मंदिर में चामुंडा माता की प्रतिमा है। यह प्रतिमा अघटेश्वर के रूप में अर्थात धड़ रहित केवल सिर की पूजा की जाती है।
जालौर जिले का राजस्थान का पहला ‘भालू अभ्यारण’
जालौर जिले का भूगोल या फिर भौगोलिक स्थिति
जालौर जिले के दक्षिण पूर्व में सिरोही की ओर और दक्षिण में भारत के गुजरात राज्य की सीमा लगती है।इस जिले का कुल क्षेत्रफल 10,640 वर्ग मीटर है। इस जिले का कुल राजस्थान राज्य के क्षेत्रफल का 3.11% है। जिले को जालोर, आहोर, भीनमाल, रानीवाड़ा, सांचौर, सायला, बागोड़ा, भाद्राजून, चितलवाना 7 तहसीलों में बांटा गया है। यहां की जलवायु शुष्क है और वनस्पति की कमी पाई जाती है।
जालौर जिले का प्रशासनिक ढांचा (Administrative Structure of Jalaor District)
- जालौर जिले का कुल क्षेत्रफल – 10,640 वर्ग किलोमीटर
- जालोर जिले का नगरीय क्षेत्रफल – 48.43 वर्ग किलोमीटर
- जालौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रफल – 10,591.57 वर्ग किलोमीटर है
- जालौर जिले का कुल वनक्षेत्र – 545.68 वर्ग किलोमीटर
- जालोर जिले के उपखण्डों की संख्या – 5 (पांच )
- जालौर जिले की तहसीलों की संख्या – 7 (सात )
- जालौर जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या – 264
- जालौर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 5 (पांच)
- जालौर जिले में विधानसभा क्षेत्रों के नाम - 1 .जालौर 2. आहोर, 3. भीनमाल, 4. सांचौर, 5. रानीवाड़ा
- जालौर जिले की तहसीलों के नाम - जालोर, आहोर, भीनमाल, रानीवाड़ा, सांचौर, सायला, बागोड़ा, भाद्राजून, चितलवाना
जालौर जिले की (Demographic) जनसांख्यिकी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार
- जालौर जिले की कुल कुल जनसंख्या— 18,28,730
- पुरुष जनसंख्या — 9,36,634
- स्त्री जनसंख्या — 8,92,096
- लिंगानुपात — 952 /1000
- जनसंख्या घनत्व — 172 प्रति वर्ग किलोमीटर
- साक्षरता दर — 54.9%
- पुरुष साक्षरता दर — 70.7%
- महिला साक्षरता — 38.5% (न्यूनतम)
- जालौर जिले की दशकीय वृद्धि दर— 27 %
हम इस जिले की महिला साक्षरता के बारे में बता दें की 2001 में जालोर जिले की महिला साक्षरता दर
28 प्रतिशत थी। पर बाद में 2011 ये बढ़कर 37 Percent हो गई थी।
जालौर के ऐतिहासिक स्थल,पर्यटन स्थल या रमणीय स्थल का सामान्य ज्ञान
इस दुर्ग के उपनाम हैं सोनगिरी, कांचनगिरी, सोनलगढ़, जालधर दुर्ग, जलालाबाद दुर्ग, सुवर्णगिरी, आदि । इस दुर्ग का निर्माण सुकड़ी नदी के किनारे पर किया गया है। यह मशूहर दुर्ग कनकाचल की पहड़ियों पर बना हुआ है। अगर हम पश्चमी राजस्थान की बात करें तो यह दुर्ग प्राचीन माना जाता है। यह एक ऐसा मजबूत किला है जिस का दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी नहीं खोल सकता है और न ही किसी से खुला है।
इस दुर्ग के निर्माण के बारे में इतिहासकारों की एक राय नहीं है ओझा कहते हैं इसका निर्माण परमारों ने किया था और दशरथ शर्मा कहते हैं की इसका निर्माण प्रतिहार वंश दुआरा किया गया है। इस दुर्ग में चामुण्डा माता व जौगमाया माता का मन्दिर स्थित है। अलाउदीन खिलजी ने इसी दुर्ग में मस्जिद का निर्माण करवाया था।
जालौर जिले का सुंधामाता का मन्दिर एक पूजा और आस्था का प्रतीक
यह मंदिर जालौर के दांतलावास नामक स्थान पर स्थित है। इस माता के मंदिर में चामुंडा माता की प्रतिमा है। यह प्रतिमा अघटेश्वर के रूप में अर्थात धड़ रहित केवल सिर की पूजा की जाती है।
जालौर जिले का राजस्थान का पहला ‘भालू अभ्यारण’
जालोर में यह जसवंतपुरा क्षेत्र के सुंधा माता के मंदिर के नजदीक जालौर में स्थित है। यहां पर भालुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 4468.42 वर्ग किलोमीटर है। माँ आशापुरा का मंदिर जलोर में माँ आशा पूरा का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को महोदरी माता के नाम से भी जाना जाता है। इस माता जी को भी राठोड़ों की कुल देवी माना जाता है।
फता जी का मंदिर
फता जी का मंदिर
जलौर में फता देवी का मंदिर भी पर्यटन और पूजा का ऐतिहासक स्थल है। ऐसा मन जाता है की फताजी ने अपने गाँव की मान मर्यादा हेतु प्राणों को न्यौछावर किया। इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ल नवमी को मेला लगता है। और इस मेले मैं लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
जालौर जिले का ऑपेश्वर महादेव मन्दिर
आपेश्वर महादेव मंदिर रामसीन नामक स्थान पर स्थित है। अगर इस मंदिर के नाम की बात करैं तो इस मंदिर का प्राचीन नाम अपराजितेश्वर शिव मंदिर था। इसका कारण ये था की यहाँ पर राजस्थान का पहला श्वेत स्फटिक (कांच से निर्मित) शिवलिंग है।
सिरे मंदिर
सिरे मंदिर
जालौर में सिरे का मंदिर भी पूजा का स्थान है। इसे जालंधर नाथ की तपोभूमि माना जाता है। इसका निर्माण जोधपुर के राजा मानसिंह ने करवाया।
तोप मस्जिद
तोप मस्जिद
तोप मस्जिद का निर्माण तुर्क शासक दुआरा अलाउद्दीन द्वारा जालौर विजय के उपलक्ष में करवाया गया था। इसका निर्माण राजा भोज द्वारा किया गया था।
जालोर जिले के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य या जानकारी
जालोर जिले के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य या जानकारी
- जीरे का सर्वाधिक उत्पादक जिला जालौर है।
- पीले ग्रेनाइट के भंडार-नसौली (जालौर) में 14 जनवरी 2004 को मिले है।
- राज्य का प्रथम गोमूत्र बैंक-सांचोर (जालौर) में स्थित है।
- जालोर जिले के लुम्बर नृत्य और ढोल नृत्य पूरी दुनिया में मशहूर है।
- जालोर में लुंबर नृत्य होली वाले दिन पुरषों दुआरा किया जाता है।
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