नमस्कार दोस्तों राजस्थान के कुल 33 जिले हैं और इन जिलों में झालावाड़ जिला भी एक है। इस जिले का अपना इतिहास है यहां की अपनी भौगोलिक स्थिति है अपनी ही ऐतिहासिक तथ्य है। और इस जिले के बारे में जरूर सवाल पूछा जता है। इसलिए GK Pustak के माधयम से मैं आपके लिए झालवाड़ जिले के सामान्य की जानकारी लाया हूँ जो आपके Exam में आपकी सहायता कर सकती है।
वे इस रियासत को क सैन्य छावनी के रूप में भी देखना चाहते थे किउकी हाड़ोती राज्यों को पकड़ने के लिए मराठा आक्रमणकारी मालवा से कोटा की ओर इस केंद्रीय स्थान से गुजरे थे। झाला जालिम सिंह ने इस स्थान के सैन्य महत्व को पहचाना और इसे सैन्य छावनी और बस्ती के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया।
Jhalawar District GK | राजस्थान झालावाड़ जिले का सामान्य ज्ञान
झालावाड़ का इतिहास | Jhalawar District History GK
राजस्थान के झालावाड़ शहर की स्थापना एक राजपूत ने की थी। उसका नाम झाल ज़ालिम सिंह था। उस समय वे कोटा राज्य के दीवान थे। तब यह बस्ती घने जंगलों और वन्य जीवन से घिरा हुआ था। झाल ज़ालिम सिंह अक्सर शिकार के लिए यहां जाते थे इन्ही कारणों से ये जगह उन्हें इतनी पसंद आ गई कि वह इसे बस्ती के रूप में विकसित करना चाहते थे।वे इस रियासत को क सैन्य छावनी के रूप में भी देखना चाहते थे किउकी हाड़ोती राज्यों को पकड़ने के लिए मराठा आक्रमणकारी मालवा से कोटा की ओर इस केंद्रीय स्थान से गुजरे थे। झाला जालिम सिंह ने इस स्थान के सैन्य महत्व को पहचाना और इसे सैन्य छावनी और बस्ती के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया।
जालिम सिंह के पौत्र झाला मदन सिंह ने 1838 ई. में कोटा से एक स्वतंत्र रियासत झालावाड़ की स्थापना की। अंग्रेजी शासकों ने 1838 ई में झालावाड़ राज्य को कोटा राज्य से अलग कर दिया और इसे झाला जालिम सिंह के पोते झाला मदन सिंह को दे दिया। झाला जालिम सिंह के पोते झाला मदन सिंह ने इसका विकास किया।
राजस्थान के झालावाड़ जिले की भौगलिक स्थित | Geography GK
राजस्थान का झालावाड़ राजस्थान के दक्षिण पूर्व कोने में मालवा पठार के किनारे स्थित है। मध्य प्रदेश राज्य की सीमाएँ झालावाड़ के दक्षिण पश्चिम में और पूर्व में हैं।जबकि उत्तर और उत्तर पूर्व में रामगंज मंडी, कोटा जिले की सांगोद तहसील और उत्तर पूर्व में बारां जिले की अटरू और छीपाबड़ौद तहसील स्थित हैं। यह जिला 23. 45 '20 'और 24. 52' 17' 'उत्तरी अक्षांश और 75. 27 '35' 'और 76. 56' 48' पूर्वी देशांतरों के बीच स्थित है।
पूरे दक्षिण झालावाड़ में मेला पठार की विशेषताएं हैं जो मैदानी इलाकों से घिरा हुआ है। झालावाड़ का मैदान पश्चिम में भवानी मंडी से एक विस्तृत बेल्ट में फैला हुआ है। जिले की नदियाँ और नदियाँ चंबल नदी प्रणाली से संबंधित हैं। गंगाधर तहसील को छोड़कर इस नदी का सामान्य प्रवाह दक्षिण से उत्तर की ओर है। आपकी सुविधा के लिए झालावाड़ की नदियों को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है।
पहले पश्चिमी समूह और दूसरा पूर्वी समूह। पश्चिमी नदियाँ आहू पिपलाज, क्यसरी, कांतली, रावा, कालीसिंध और चंद्रभागा हैं। पूर्वी नदियाँ परवन, अंधेरी, नयाज, घर और उजार हैं। इस जिले की कृत्रिम झीलें कडीला और मानसरोवर हैं।
चन्द्रभागा नदी
(झालावाड़ जिले का प्रसासनिक ढांचा )
- राजस्थान के झालावाड़ जिले के उपखण्डों की संख्या – 8 1. (अकलेरा 2. असनवार 3. गंगाधर 4. झालरापाटन 5. खानपुर 6. मनोहरथाना 7. पचपहरा 8. पिरवा।)
- राजस्थान के झालावाड़ जिले की तहसीलों की संख्या – 12 (1. अकलेरा 2. असनवार 3. गंगाधर 4. झालरापाटन 5. खानपुर 6. मनोहरथाना 7. पचपहरा 8. पिरवा 9. बकानी 10. रायपुर 11. दाग 12. सुनील )
- राजस्थान के झालावाड़ जिले की पंचायत समितियों की संख्या – 8 1. (अकलेरा 2. बकानी 3. भवानी मंडी 4. दाग 5. झालरापाटन 6. खानपुर 7. मनोहरथाना 8. पिरवा।)
- झालावाड़ जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या – 254
- झालावाड़ जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 4
- जिले में विधानसभा क्षेत्रों के नाम - 1. डग, 2. झालरापाटन 3. खानपुर, 4. मनोहरथाना
जनसांख्यिकी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झालावाड़ जिले की जनसंख्या के आंकड़े
- झालावाड़ जिले की कुल जनसंख्या — 14,11,129
- कुल पुरुष जनसंख्या — 7,25,143
- कुल स्त्री जनसंख्या — 6,85,986
- लिंगानुपात — 946
- जनसंख्या घनत्व — 227 प्रति वर्ग मील
- साक्षरता दर — 61.5%
- पुरुष साक्षरता दर - 75.8%
- महिला साक्षरता दर — 46.5%
- कुल क्षेत्रफल – 6219 वर्ग किलोमीटर
- नगरीय क्षेत्रफल – 69.22 वर्ग किलोमीटर
- ग्रामीण क्षेत्रफल – 6149.78 वर्ग किलोमीटर
झालावाड़ जिले की नदियांका सामान्य ज्ञान | Jhalawar District Rivers GK
चंद्रभागा नदी का उद्गम झालावाड़ जिले के सिमरी गांव से हुआ है। चंद्र और भागा दो सहायक नदियों के मिलाप से चंद्रभागा नदी बनती है। चंद्रभागा नदी के किनारे झालरापाटन में चंद्रभागा पशु मेला लगता है। झालावाड़ जिले में बहने वाली अन्य नदियां कालीसिंध, पार्वती, आहू, छापी, निवाज हैं जिन्हें सहायक नदियां भी ला जाता है।
झालावाड़ जिले पर्यटन स्थल या मंदिर
1 - मनोहर थाना दुर्ग
मनोहर थाना दुर्ग परवन व कालीखोह की नदियों से घिरा हुआ है। भीलों की आराध्य देवी विश्ववंति का प्रसिद्ध मन्दिर इसी दुर्ग में स्थित है। ये मंदिर भीलों के लिए बहुत पूजनीय है।
2 - नवलखा दुर्ग
2 - नवलखा दुर्ग
नवलखा दुर्ग झालरापाटन मर स्थित है। इस दुर्ग की नींव पत्थर पृथ्वी सिंह ने में रखी थी।
3 - शीतलेश्वर महादेव का मंदिर
यह मंदिर भी झालरापाटन में है। यह मंदिर चंद्रभागा नदी के किनारे है। चमोली मंदिर इस मंदिर का दूसरा नाम है। इस मंदिर में आधे शिव और आधे पार्वती की प्रतिमा है। यह मंदिर गुप्त काल के समय का है।
4 - सात सहेलियों का मन्दिर/ पद्मनाथ मन्दिर
4 - सात सहेलियों का मन्दिर/ पद्मनाथ मन्दिर
यह मंदिर भी झालरापाटन में स्थित है। इसे घण्टियों का मंदिर भी कहते हैं। इसकी विशेषता ये है की यह मन्दिर खजुराहो शैली में बना हुआ है। इस मंदिर को कर्नल जेम्स टॉड चार भुजा मंदिर’ कहा है।
5 - सूर्य मंदिर
5 - सूर्य मंदिर
यह मंदिर भी झालरापाटन में है। यह मंदिर राजस्थान का सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर है। इस मंदिर में देखने योग्य ये बात है की इस मंदिर में सूर्य भगवान की घुटने तक जूते पहने एक प्रतिमा बनी हुई है।
6 - भवानी नाट्यशाला
मंदिर का निर्माण सन् 1921 ई. में किया गया था। इसका निर्माण भवानी सिंह ने पारसी ऑपेरा शैली में करवाया है । अगर हम समस्त राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में यूरोपीय शैली की यही एकमात्र नाट्यशाला है।
7 - कौलवी की बौद्ध गुफाएं
6 - भवानी नाट्यशाला
मंदिर का निर्माण सन् 1921 ई. में किया गया था। इसका निर्माण भवानी सिंह ने पारसी ऑपेरा शैली में करवाया है । अगर हम समस्त राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में यूरोपीय शैली की यही एकमात्र नाट्यशाला है।
7 - कौलवी की बौद्ध गुफाएं
ये गुफायें क्यासरा गाँव के नजदीक है। ये गुफाएं बौद्धकालीन समय की हैं इनकी संख्या 35 है।
8 - आदिनाथ दिगम्बर का जैन मन्दिर
8 - आदिनाथ दिगम्बर का जैन मन्दिर
ये मंदिर चांदखेड़ी क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
9 - चन्द्रावती मंदिर
9 - चन्द्रावती मंदिर
चन्द्रावती का निर्माण चन्द्रसेन ने करवाया था । चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित इस स्थल से 11-12वीं सदी के अनेक मंदिरों के ध्वस्त अवशेष मिले हैं।
10 - रैन-बसेरा
किशन सागर झील के नजदीक एक लकड़ी का बना विश्राम गृह रैन-बसेरा कहलाता है। इसका निर्माण वन शोध संस्थान (देहरादून) में 1936 ई. में हुआ इसे झालावाड़ के तत्कालीन महाराजा वहाँ से खरीदकर लाये।
11 - गागरोण दुर्ग
गागरोण दुर्ग को डोडगढ़, धूलरगढ़, जल दुर्ग, उदक दुर्ग,मुस्तफाबाद,गर्गराटपुर के नाम से भी जना जाता है। इस दुर्ग का निर्माण 7-8वीं शताब्दी में में किया गया था। इसका निर्माण राजपूत अंश के बीजलदेव ने करवाया था। इस दुर्ग एक बहुत बड़ी विशेषता है की ये मंदिर बगैर नीव के है और चटानों पर खड़ा है।
झालावाड़ जिले के सामान्य ज्ञान की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
गागरोण दुर्ग को डोडगढ़, धूलरगढ़, जल दुर्ग, उदक दुर्ग,मुस्तफाबाद,गर्गराटपुर के नाम से भी जना जाता है। इस दुर्ग का निर्माण 7-8वीं शताब्दी में में किया गया था। इसका निर्माण राजपूत अंश के बीजलदेव ने करवाया था। इस दुर्ग एक बहुत बड़ी विशेषता है की ये मंदिर बगैर नीव के है और चटानों पर खड़ा है।
झालावाड़ जिले के सामान्य ज्ञान की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
- राज्य का दूसरा साइंस पार्क झालावाड़ जिले झालरापाटन में बनाया जाएगा।
- राज्य की पहली किसान कंपनी का गठन या निर्माण बकानी झालावाड़ में हुआ।
- राज्य का तीसरा सुपर पावर थर्मल झालावाड़ में स्थापित किया गया है।
- सबसे बड़ी बात ये कि राजस्थान क प्रथम महिला मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे का विधानसभा क्षेत्र
- झालावाड़ जिले में झालरापाटन है।
- झालावाड़ जिले से सहकारी किसान क्रेडिट कार्ड योजना का शुभारम्भ किया गया।
- डॉ. जाकिर हुसैन प्रशिक्षण महाविद्यालय राजस्थान का एकमात्र अल्पसंख्यक बी.एड.कॉलेज झालावाड़ में स्थित है।
Read For Complete Information