नमस्कार दोस्तों राजस्थान का भीलवाड़ा जिला 33 जिलों में से एक है और इस जिले में से एक सवाल जरूर पूछा जाता है। इसलिए हम भीलवाड़ा जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी यहां पर हिंदी में लाये हैं।जो आपके लिए परीक्षा की दृस्टि से बहुत ही जरूरी है। GK Pustak के इस भाग में भीलवाड़ा जिले केइतिहास,भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक ढांचे, जनसांख्यिकी 2011, नदियों,ऐतिहासिक स्थानों, मंदिरों के सामान्य ज्ञान की जानकारी हिंदी में दी गई गई।
Bhilwara District GK | राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले इतिहास | Bhilwara District History GK
अगर एक इतिहासक मत की बात करें तो भीलवाड़ा शहर भील जाति की लिए प्रसिद्ध था। और इस जाति ने महराणा प्रताप की युद्ध में सहायता की थी। अकबर इस शहर में रहते थे। अकबर और महाराणा प्रताप का युद्ध हुआ और इस युद्ध में भील जाति के लोगों ने महाराणा प्रताप की लड़ाई में बहुत सहायता की थी।
इस लिए इसे भील का क्षेत्र कहा जाता है। एक मत के अनुसार इस शहर में भीलड़ी के सिक्कों का खनन भी किया जाता था। इस लिए भी इस शहर को भीलड़ी के सिक्कों के नाम पर भीलड़ी नाम रखा गया था। इस शहर का कहीं न कहीं महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है की अर्जुन ने महाभारत काल में यहां पर युद्ध लड़ा था।
इस शहर का वर्णन कहीं न कहीं स्कन्द पुराण में भी मिलता है। अगर इस शहर की सही बात करे तो यह शहर 11 वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था। और उस वक्त यहाँ पर चौहानों का शासन था। ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि मंडल ने मुगलों के सैन्य अड्डे के रूप में कार्य किया जब उन्होंने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया था। मंडल में एक छोटे से टीले पर बना एक वॉच टॉवर अब एक देवी मंदिर है।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की जनसांख्यिकी 2011 के अनुसार | जनसँख्या संबंधी सामान्य ज्ञान
इस नदी का उद्गम स्थान बिजोलिया के निकट से है। इस जिले में बहने के बाद ये नदी बूंदी जिले में चम्बल नदी के साथ मिल जाती है। मंगली कुराल और बाजन इस नदी की सहायक नदियां हैं।
2) :- मांगली नदी
इस नदी का उद्गम स्थान राजस्थान क्र बिंदी जिले की तलेरा तहसील से है। यह नदी मेज नदी की सहायक नदी है। यह नदी बैंस खेरा नामक स्थान पर मेज नदी के साथ मिलती है।
3: - घोड़ा पछाड़ नदी
इस नदी का उद्गम स्थान बिजोलिया झील से है। यह सागवाड़ा के पास मांगली नदी में मिल जाती है। घोड़ा पछाड़ नदी पर गरदड़ा नामक स्थान पर एक बांध बना हुआ है।
4 - मेनाल नदी( Menal River)
यह नदी मांडलगढ़ की पहाड़ियों से से निकलती है। बाद में यह नदी बनास नदी में मिलती है। ये नदी दिन नदियों के संगम से त्रिवेणी संगम भी बनाती है। मेनाल नदी पर मांडलगढ़ के समीप मेनाल जल प्रपात है।
5 - मानसी नदी (Mansi River)
यह नदी करणगढ़ नामक स्थान से निकलती है। बाद में ये नदी दाढ़ी नामक स्थान में खारी नदी के साथ मिल जाती है। इस नदी पर उड़वान नाम का बांध बना हुआ है।
1- भीलवाड़ा जिले में सवाई भोज मन्दिर
यह मंदिर गुर्जरों समुदाय के लिए माना जाता है। यह मंदिर देव नारायण के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि यहां पर ईटों की पूजा की जाती है। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को विशाल मेला लगता है। देव नारायण के नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया है। यह डाक टिकट 1992 में जारी किया गया था।
2- शाहपुरा का मेला
रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक रामचरण जी का निर्वाण स्थल। यहाँ पर चैत्र कृष्ण 2 से 5 तक फूलडोल उत्सव मनाया जाता है।
3 - बागौर का ऐतिहासिक स्थान
यह स्थान कोठारी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर ‘महासतियों का टीला’ है। भारत की सबसे सम्पन्न पाषाण कालीन सभ्यता तथा यहाँ से पशुपालन के अवशेष मिले हैं।
इस लिए इसे भील का क्षेत्र कहा जाता है। एक मत के अनुसार इस शहर में भीलड़ी के सिक्कों का खनन भी किया जाता था। इस लिए भी इस शहर को भीलड़ी के सिक्कों के नाम पर भीलड़ी नाम रखा गया था। इस शहर का कहीं न कहीं महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है की अर्जुन ने महाभारत काल में यहां पर युद्ध लड़ा था।
इस शहर का वर्णन कहीं न कहीं स्कन्द पुराण में भी मिलता है। अगर इस शहर की सही बात करे तो यह शहर 11 वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था। और उस वक्त यहाँ पर चौहानों का शासन था। ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि मंडल ने मुगलों के सैन्य अड्डे के रूप में कार्य किया जब उन्होंने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया था। मंडल में एक छोटे से टीले पर बना एक वॉच टॉवर अब एक देवी मंदिर है।
- भीलवाड़ा जिले का क्षेत्रफल - 10,455 वर्ग किमी
- भीलवाड़ा जिले के उतर में स्थित स्थान - राजस्थान का अजमेर जिला
- भीलवाड़ा जिले के दक्षिण में स्थित स्थान - राजस्थान का चित्तौड़गढ़ जिला
- भीलवाड़ा जिले के पूर्व में स्थित स्थान - राजस्थान का बूंदी जिला
- भीलवाड़ा जिले के पश्चिम में स्थित स्थान - राजसमंद जिला
- भीलवाड़ा जिले की अक्षांश स्थिति - 25.359854 °उतर
- भीलवाड़ा जिले की दिशांतर स्थिति - 74.652791 ° पूर्व
राजस्थान भीलवाड़ा जिले का प्रशासनिक ढांचा
- भीलवाड़ा जिले उपखंडो सख्या - 16
- भीलवाड़ा जिले की तहसील की संख्या - 16
- भीलवाड़ा जिले की उप तहसील की संख्या - 11
- भीलवाड़ा जिले की पंचायत समिति की संख्या - 12
- भीलवाड़ा जिले की नगर परिषद की संख्या - 1
- भीलवाड़ा जिले की नगर पालिका की संख्या - 6
- भीलवाड़ा जिले के कुल शहर की संख्या - 7
- भीलवाड़ा जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या - 383
- भीलवाड़ा जिले के रहने योग्य घर - 1853
- भीलवाड़ा जिले के न रहने योग्य घर - 50
- भीलवाड़ा जिले की कुल जनसँख्या - 104,921
- भीलवाड़ा जिले की पुरुष जनसँख्या - 59,712
- भीलवाड़ा जिले की स्त्री जनसँख्या - 45,209
- भीलवाड़ा जिले का लिंगानुपात - 973/1000
- भीलवाड़ा जिले का जनसँख्या घनत्व - 230
- भीलवाड़ा जिले की जनसँख्या में प्रति दस साल में वृद्धि - 19.2%
- भीलवाड़ा जिले की कुल साक्षरता दर - 62.71%
- भीलवाड़ा जिले की पुरुष साक्षरता दर - 75.3%
- भीलवाड़ा जिले की स्त्री साक्षरता दर - 47.2%
- भीलवाड़ा जिले में हिन्दू अनुयायी - 88 %
- भीलवाड़ा जिले में मुस्लिम अनुयायी - 10 %
- भीलवाड़ा जिले में सिख अनुयायी - 1.34%
- भीलवाड़ा जिले में बुद्ध अनुयायी - 1.34%
भीलवाड़ा जिले में बहने वाली नदियों का सामान्य ज्ञान
इस नदी का उद्गम स्थान बिजोलिया के निकट से है। इस जिले में बहने के बाद ये नदी बूंदी जिले में चम्बल नदी के साथ मिल जाती है। मंगली कुराल और बाजन इस नदी की सहायक नदियां हैं।
2) :- मांगली नदी
इस नदी का उद्गम स्थान राजस्थान क्र बिंदी जिले की तलेरा तहसील से है। यह नदी मेज नदी की सहायक नदी है। यह नदी बैंस खेरा नामक स्थान पर मेज नदी के साथ मिलती है।
3: - घोड़ा पछाड़ नदी
इस नदी का उद्गम स्थान बिजोलिया झील से है। यह सागवाड़ा के पास मांगली नदी में मिल जाती है। घोड़ा पछाड़ नदी पर गरदड़ा नामक स्थान पर एक बांध बना हुआ है।
4 - मेनाल नदी( Menal River)
यह नदी मांडलगढ़ की पहाड़ियों से से निकलती है। बाद में यह नदी बनास नदी में मिलती है। ये नदी दिन नदियों के संगम से त्रिवेणी संगम भी बनाती है। मेनाल नदी पर मांडलगढ़ के समीप मेनाल जल प्रपात है।
5 - मानसी नदी (Mansi River)
यह नदी करणगढ़ नामक स्थान से निकलती है। बाद में ये नदी दाढ़ी नामक स्थान में खारी नदी के साथ मिल जाती है। इस नदी पर उड़वान नाम का बांध बना हुआ है।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पर्यटन स्थल / ऐतिहासिक स्थल / मंदिर
यह मंदिर गुर्जरों समुदाय के लिए माना जाता है। यह मंदिर देव नारायण के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि यहां पर ईटों की पूजा की जाती है। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को विशाल मेला लगता है। देव नारायण के नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया है। यह डाक टिकट 1992 में जारी किया गया था।
2- शाहपुरा का मेला
रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक रामचरण जी का निर्वाण स्थल। यहाँ पर चैत्र कृष्ण 2 से 5 तक फूलडोल उत्सव मनाया जाता है।
3 - बागौर का ऐतिहासिक स्थान
यह स्थान कोठारी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर ‘महासतियों का टीला’ है। भारत की सबसे सम्पन्न पाषाण कालीन सभ्यता तथा यहाँ से पशुपालन के अवशेष मिले हैं।
4 - भीलवाड़ा में मंदाकनी मंदिर
अगर हम किसान आन्दोलन की बात करें तो इस स्थान से हुआ था। यहाँ पर प्रसिद्ध मंदाकिनी मंदिर है। हाल ही में यहाँ से प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र प्राप्त हुए हैं।
5 - तिलस्वाँ महादेव मन्दिर
मांडलगढ़ के समीप इस स्थल पर शिवरात्रि को मेला भरता है। तिलस्वां के जलकुण्ड चर्म रोग निवारण के लिए प्रसिद्ध है।
6 - मांडलगढ़ एक ऐतिहासिक स्थान
भीलवाड़ा में जगन्नाथ कच्छवाहा की 32 खम्भों की छतरी स्थित है। महाराणा सांगा की छतरी भी यहीं है।
7 - बिजौलिया शिलालेख
इस जिले में 1170 ई. में शिलालेख प्राप्त हुए हैं जो चौहान वंश के राजाओं के बारे में बताते हैं।
अगर हम किसान आन्दोलन की बात करें तो इस स्थान से हुआ था। यहाँ पर प्रसिद्ध मंदाकिनी मंदिर है। हाल ही में यहाँ से प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र प्राप्त हुए हैं।
5 - तिलस्वाँ महादेव मन्दिर
मांडलगढ़ के समीप इस स्थल पर शिवरात्रि को मेला भरता है। तिलस्वां के जलकुण्ड चर्म रोग निवारण के लिए प्रसिद्ध है।
6 - मांडलगढ़ एक ऐतिहासिक स्थान
भीलवाड़ा में जगन्नाथ कच्छवाहा की 32 खम्भों की छतरी स्थित है। महाराणा सांगा की छतरी भी यहीं है।
7 - बिजौलिया शिलालेख
इस जिले में 1170 ई. में शिलालेख प्राप्त हुए हैं जो चौहान वंश के राजाओं के बारे में बताते हैं।
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