नमस्कार दोस्तों राजस्थान के जिलों में धौलपुर भी एक जिला है और इस जिले में से राजस्थान में होनेवाली विभिन्न परीक्षाओं में कोई न कोई सवाल जरूर पूछा जाता है। तो में यहां पर GK Pustak के माध्यम से राजस्थान के धौलपुर जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी हिंदी में लाया हूँ। इस भाग में राजस्थान के धौलपुर जिले के इतिहास, भौगोलिक स्थिति, जनसांख्यिकी 2011, प्रशासनिक ढाँचा, पर्यटन स्थलों या ऐतिहासिक स्थलों,और नदियों की जानकारी विस्तार में दी गई है।
राजस्थान धौलपुर जिले का इतिहास | Dholpur District History GK
राजस्थान का धौलपुर जिला या नगर मूल रूप से यह ग्याहरवीं शताब्दी में राजा धोलन देव ने बसाया था। सबसे पहले इसका नाम पहले धौलपुर था, बाद में इसका नाम बदल कर धौलपुर रख दिया गया था। इस समय ये नगर राजस्थान के उतर में बसा हुआ है। चंबल नदी की बाढ़ से बचने के लिये ऐसा किया गया था ।
Dholpur District GK | राजस्थान के धौलपुर जिले का सामान्य ज्ञान
राजस्थान धौलपुर जिले का इतिहास | Dholpur District History GK
राजस्थान का धौलपुर जिला या नगर मूल रूप से यह ग्याहरवीं शताब्दी में राजा धोलन देव ने बसाया था। सबसे पहले इसका नाम पहले धौलपुर था, बाद में इसका नाम बदल कर धौलपुर रख दिया गया था। इस समय ये नगर राजस्थान के उतर में बसा हुआ है। चंबल नदी की बाढ़ से बचने के लिये ऐसा किया गया था ।
ये जिला पहले सामती राज्य का हिस्सा था पर 1949 में ये राजस्थान का हिस्सा बन गया। धवल देव शासन के बाद इस शहर का निर्माण किया गया। इस शहर का निर्माण होने के बाद इस जगह को धौलपुर के नाम से जाना जाने लगा। 846 ईस्वी में यहाँ चौहान वंश ने शासन किया था।
धौलपुर के राणा राणा कीरतसिंह (1803 और 1835 के बीच का इतिहास) राणा कीरतसिंह सन् 1804 ई. में सिंधिया परिवार और अंग्रेजों की फिर अनबन हो गई। दौलत राम के पुत्र माधौजी सिंधिया से अंग्रेजो की लड़ाई हुई और किला ग्वालियर तो अपने कब्जे में रखा। किंतु एक ही बरस बाद सिंधिया से अंग्रेजों को सन्धि करनी पड़ी, जिसके अनुसार ग्वालियर और गो हद वापस कर देने पड़े। गोहद महाराज राणा कीरतसिंह से अंग्रेजों ने सिंधिया को दिला दिया, किंतु उसके बदले में धौलपुर, बाड़ी और राजा खेड़ा के परगने राणा साहब को अंग्रेजों ने दिए।
गो हद में महाराज राणाओं ने 44 वर्ष तक राज किया था। अब वे गो हद की बजाए धौलपुर के राणा कहला ने लगे। धौलपुर को 15 अप्रैल, 1982 को भरतपुर से अलग कर नवीन जिला बनाया गया। 3 जून, 2005 तक यह जयपुर जिले में था। 4 जून, 2005 को भरतपुर भाग बनाया गया एवम् भरतपुर, धौलपुर,करौली तथा सवाईमाधोपुर को भरतपुर में मिलाया गया था ।
राजस्थान का धौलपुर चम्बल नदी के बाएं किनारे पर बसा हुआ है। राजस्थान का धौलपुर दो राज्यों उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश की सीमाओं के बीच में स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा से मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 3 शहर के बीचों बीच से निकलता है एवम् शहर को दो भागों में बाँटता है। आगरा इस शहर से 54 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस जिले से 265 KM दूर है। धौलपुर जिला राजस्थान की अरावली पर्वत माला एवम मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वत माला तथा उत्तर भारत के विशाल मैदान का मिलन स्थल है।
1 - सर्वप्रथम सूर्योदय तथा सूर्यास्त का शहर।
2 - धौलपुर को रेड डायमंड सिटी भी कहते है।
धौलपुर जिले में ब्लॉकों की संख्या - 6 धौलपुर, राजा खेड़ा, बारी, बसेरी, सिपाऊ और सरमथुरा
धौलपुर जिले की पंचायतों की संख्या - 6 धौलपुर, राजा खेड़ा, बारी, बसेरी, सरमथुरा और सिपाऊ।
धौलपुर जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या - 189 ग्राम पंचायतें
धौलपुर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 4 है 1. बसेड़ी 2. बाड़ी 3. धौलपुर 4. राजा खेड़ा
इस किले का नाम दक्षिण का द्वार भी है। शेरगढ़ दुर्ग चंबल नदी के किनारे मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश की सीमाओं के किनारे स्थित है। इस किले का निर्माण लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व कुषाण वंश के शासक मालदेव ने करवाया था। इसके बाद 11वीं शताब्दी में पालवंश के धोरपाल और देवीपाल ने इस दुर्ग का पुननिर्माण करवाया। 1540 ई. में शेर शाह सूरी ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
शेर शाह सूरी ने ही इसक नाम शेरगढ़ रखा। शेर शाह सूरी के गुरु मीर सैयद की मजार इसी दुर्ग में है। जब अकबर ग्वालियर गया था तो इसी दुर्ग में उन्होंने रात गुजारी थी। इस दुर्ग में 19 फीट लम्बी हुनहुंकार तोप थी, जिसका निर्माण कीरतसिंह ने करवाया जिसे इस समय इंदिरा पार्क में रखा गया है।
2- धौलपुर में बाड़ी का किला
बाड़ी का किला धौलपुर में है और इस किले का निर्माण 1444 ई. में हुआ था। इस किले में फ़ारसी में लिखे शिलालेख मिलते हैं। इस किले में मुग़ल इतिहास से जुड़े कई मकबरे और मस्जिदें हैं। हुमाऊं काल के समय के किले भी यहां पर मिलते है।
3- राधा बिहारी मन्दिर
धौलपुर जिले में धौलपुर पैलेस के समीप यह मंदिर है। इस मंदिर में धौलपुर राज परिवार के सदस्यों की छतरियाँ है जो यहां के राज परिवार के बारे में बताती हैं।
4- सोने का गुर्जा
धौलपुर जिले के बाड़ी कस्बे से कुछ दूरी पर सोने का गुर्जा नामक स्थान पर अशोक कालीन शिव मन्दिर है इसके समीप एक गढ़ भी है, जिसे देवहंस गढ़ी के नाम से जाना जाता है।
5- कमल के फूल का बाग
धौलपुर जिले में मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नज़दीक ही कमल के फूल का बाग है। ये बाग़ चट्टानें काट बनाया गया है। इस बाग़ का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है किउंकि मुग़ल बादशाह की आत्म कथा तुजुक-ए-बाबरी में इस बाग का वर्णन मिलता है। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत सीनेटर डेनियल मोनिहन की पत्नी ने 1978 में खोज पूर्ण शोध में यह रहस्योद्धाटन किया था।
6 - निहाल टॉवर (घण्टाघर)
धौलपुर जिले में एक घंटा घर है जिसे निहाल टावर के नाम से जाना जाता है। इस टावर का निर्माण निहाल सिंह ने 1880 ई. प्रारम्भ करवाया और 1910 ई. में राम सिंह ने पूरा करवाया था। इस टावर की लगभग आठ मंजलें है। इस घण्टागर में जो घड़ी लगी हुई है उसका निर्माण इंग्लैंड की एक कंपनी ने करवाया था।
7- मंचकुण्ड तीर्थ स्थान
जहां पर हम राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थान की बात करें तो इसे सभी तीर्थ स्थानों का मामा कहा जाता है उसी तरह धौलपुर के मंचकुण्ड तीर्थ स्थान को सभी तीर्थों का भान्जा कहा जाता है। यहां के लोगों का मानना है की यहां जो तालाब है उसमे स्नान करने से चरम रोग की बीमारी ठीक ही जाती है। पर ये एक धार्मिक मान्यता है वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तालाब के पानी में गंधक की मात्रा ज्यादा है इसलिए इससे ही चरम रोग ठीक होते है।
8- शेर शिकार गुरुद्वारा
सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह 1662 ई. में ग्वालियर जाते समय यहां ठहरे थे। उन्होंने मंचकुण्ड के समीप एक शेर की गर्दन को तलवार के एक ही झटके से धड़ से अलग कर दिया। उनकी स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया।
गंभीर नदी
गंभीर नदी का उद्गम करौली जिले से होता है। यह करौली, सवाई माधोपुर व भरतपुर में बहकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। यह नदी धौलपुर में बहकर उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना से मिल जाती है।
धौलपुर के राणा राणा कीरतसिंह (1803 और 1835 के बीच का इतिहास) राणा कीरतसिंह सन् 1804 ई. में सिंधिया परिवार और अंग्रेजों की फिर अनबन हो गई। दौलत राम के पुत्र माधौजी सिंधिया से अंग्रेजो की लड़ाई हुई और किला ग्वालियर तो अपने कब्जे में रखा। किंतु एक ही बरस बाद सिंधिया से अंग्रेजों को सन्धि करनी पड़ी, जिसके अनुसार ग्वालियर और गो हद वापस कर देने पड़े। गोहद महाराज राणा कीरतसिंह से अंग्रेजों ने सिंधिया को दिला दिया, किंतु उसके बदले में धौलपुर, बाड़ी और राजा खेड़ा के परगने राणा साहब को अंग्रेजों ने दिए।
गो हद में महाराज राणाओं ने 44 वर्ष तक राज किया था। अब वे गो हद की बजाए धौलपुर के राणा कहला ने लगे। धौलपुर को 15 अप्रैल, 1982 को भरतपुर से अलग कर नवीन जिला बनाया गया। 3 जून, 2005 तक यह जयपुर जिले में था। 4 जून, 2005 को भरतपुर भाग बनाया गया एवम् भरतपुर, धौलपुर,करौली तथा सवाईमाधोपुर को भरतपुर में मिलाया गया था ।
राजस्थान के धौलपुर जिले की भौगोलिक स्थिति | Geography GK
राजस्थान का धौलपुर चम्बल नदी के बाएं किनारे पर बसा हुआ है। राजस्थान का धौलपुर दो राज्यों उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश की सीमाओं के बीच में स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा से मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 3 शहर के बीचों बीच से निकलता है एवम् शहर को दो भागों में बाँटता है। आगरा इस शहर से 54 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस जिले से 265 KM दूर है। धौलपुर जिला राजस्थान की अरावली पर्वत माला एवम मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वत माला तथा उत्तर भारत के विशाल मैदान का मिलन स्थल है।
- राजस्थान के धौलपुर जिले के उतर पूर्व में स्थित जिला राज्य ---- चम्बल नदी के प्रसिद्ध बीहड़ हैं।
- राजस्थान के धौलपुर जिले के दक्षिण पश्चिम में स्थित जिला राज्य ---- अरावली पर्वत श्रृंखला और चटाने हैं।
- राजस्थान के धौलपुर जिले की मानचित्र में स्थिति
- 26°38′ से 25°65′ उत्तरी अक्षांश।
- 77°13′ से 78°17′ पूर्वी देशान्तर है।
- राजस्थान के धौलपुर का क्षेत्र फल 3,033 वर्ग किलोमीटर है।
- यह राजस्थान क्षेत्र फल की दृष्टि से राजस्थान के 33 जिलों में से सबसे छोटा जिला है।
- धौलपुर राजस्थान का सबसे पूर्वी जिला है।
- राजस्थान के धौलपुर जिले के उप नाम
1 - सर्वप्रथम सूर्योदय तथा सूर्यास्त का शहर।
2 - धौलपुर को रेड डायमंड सिटी भी कहते है।
राजस्थान के धौलपुर जिले की जनसांख्यिकी (Demographic) 2011 की जनसंख्या के अनुसार
- राजस्थान के धौलपुर जिले की जनसंख्या - 1,206,519
- जिले की पुरुष जनसंख्या - 6,53,647
- भारत के 640 जिले में जनसंख्या में स्थान - 394
- जिले का जनसंख्या जनसंख्या घनत्व - 398 व्यक्ति पर किलोमीटर।
- जिले का लिंगानुपात - 845/1000
- राजस्थान के धौलपुर जिले की कुल साक्षरता दर - 70.14%
- राजस्थान के धौलपुर जिले की पुरुष साक्षरता दर - 81.2%
- राजस्थान के धौलपुर जिले की स्त्री साक्षरता दर - 54.7%
- राजस्थान के धौलपुर जिले में वनों का क्षेत्र फल – 639 वर्ग किलोमीटर है।
- राजस्थान के धौलपुर जिले की स्त्री जनसंख्या - 5,52,869
राजस्थान के धौलपुर जिले का प्रशासनिक ढांचा | Administrative Structure
धौलपुर जिले में ब्लॉकों की संख्या - 6 धौलपुर, राजा खेड़ा, बारी, बसेरी, सिपाऊ और सरमथुरा
धौलपुर जिले की पंचायतों की संख्या - 6 धौलपुर, राजा खेड़ा, बारी, बसेरी, सरमथुरा और सिपाऊ।
धौलपुर जिले की ग्राम पंचायतों की संख्या - 189 ग्राम पंचायतें
धौलपुर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 4 है 1. बसेड़ी 2. बाड़ी 3. धौलपुर 4. राजा खेड़ा
राजस्थान के धौलपुर जिले के ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थल
1- धौलपुर में शेर गढ़ का किलाइस किले का नाम दक्षिण का द्वार भी है। शेरगढ़ दुर्ग चंबल नदी के किनारे मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश की सीमाओं के किनारे स्थित है। इस किले का निर्माण लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व कुषाण वंश के शासक मालदेव ने करवाया था। इसके बाद 11वीं शताब्दी में पालवंश के धोरपाल और देवीपाल ने इस दुर्ग का पुननिर्माण करवाया। 1540 ई. में शेर शाह सूरी ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
शेर शाह सूरी ने ही इसक नाम शेरगढ़ रखा। शेर शाह सूरी के गुरु मीर सैयद की मजार इसी दुर्ग में है। जब अकबर ग्वालियर गया था तो इसी दुर्ग में उन्होंने रात गुजारी थी। इस दुर्ग में 19 फीट लम्बी हुनहुंकार तोप थी, जिसका निर्माण कीरतसिंह ने करवाया जिसे इस समय इंदिरा पार्क में रखा गया है।
2- धौलपुर में बाड़ी का किला
बाड़ी का किला धौलपुर में है और इस किले का निर्माण 1444 ई. में हुआ था। इस किले में फ़ारसी में लिखे शिलालेख मिलते हैं। इस किले में मुग़ल इतिहास से जुड़े कई मकबरे और मस्जिदें हैं। हुमाऊं काल के समय के किले भी यहां पर मिलते है।
3- राधा बिहारी मन्दिर
धौलपुर जिले में धौलपुर पैलेस के समीप यह मंदिर है। इस मंदिर में धौलपुर राज परिवार के सदस्यों की छतरियाँ है जो यहां के राज परिवार के बारे में बताती हैं।
4- सोने का गुर्जा
धौलपुर जिले के बाड़ी कस्बे से कुछ दूरी पर सोने का गुर्जा नामक स्थान पर अशोक कालीन शिव मन्दिर है इसके समीप एक गढ़ भी है, जिसे देवहंस गढ़ी के नाम से जाना जाता है।
5- कमल के फूल का बाग
धौलपुर जिले में मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नज़दीक ही कमल के फूल का बाग है। ये बाग़ चट्टानें काट बनाया गया है। इस बाग़ का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है किउंकि मुग़ल बादशाह की आत्म कथा तुजुक-ए-बाबरी में इस बाग का वर्णन मिलता है। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत सीनेटर डेनियल मोनिहन की पत्नी ने 1978 में खोज पूर्ण शोध में यह रहस्योद्धाटन किया था।
6 - निहाल टॉवर (घण्टाघर)
धौलपुर जिले में एक घंटा घर है जिसे निहाल टावर के नाम से जाना जाता है। इस टावर का निर्माण निहाल सिंह ने 1880 ई. प्रारम्भ करवाया और 1910 ई. में राम सिंह ने पूरा करवाया था। इस टावर की लगभग आठ मंजलें है। इस घण्टागर में जो घड़ी लगी हुई है उसका निर्माण इंग्लैंड की एक कंपनी ने करवाया था।
7- मंचकुण्ड तीर्थ स्थान
जहां पर हम राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थान की बात करें तो इसे सभी तीर्थ स्थानों का मामा कहा जाता है उसी तरह धौलपुर के मंचकुण्ड तीर्थ स्थान को सभी तीर्थों का भान्जा कहा जाता है। यहां के लोगों का मानना है की यहां जो तालाब है उसमे स्नान करने से चरम रोग की बीमारी ठीक ही जाती है। पर ये एक धार्मिक मान्यता है वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तालाब के पानी में गंधक की मात्रा ज्यादा है इसलिए इससे ही चरम रोग ठीक होते है।
8- शेर शिकार गुरुद्वारा
सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह 1662 ई. में ग्वालियर जाते समय यहां ठहरे थे। उन्होंने मंचकुण्ड के समीप एक शेर की गर्दन को तलवार के एक ही झटके से धड़ से अलग कर दिया। उनकी स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया।
धौलपुर जिले की प्रमुख नदियों का सामान्य ज्ञान
धौलपुर जिले में मुख्य: चम्बल और पार्वती दो नदियां बहती हैं है। पार्वती नदी पर बांध बना है। बाड़ी तहसील के पास तालाबशाही झील है। अन्य जलाशयों में राम सागर भी धौलपुर में है।
गंभीर नदी
गंभीर नदी का उद्गम करौली जिले से होता है। यह करौली, सवाई माधोपुर व भरतपुर में बहकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। यह नदी धौलपुर में बहकर उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना से मिल जाती है।
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