नमस्कार दोस्तों राजस्थान के कुल 33 जिले हैं इनमे से भरतपुर जिला भी एक है। अक्सर राजस्थान में होने वाली परीक्षाएं में इस जिले से कोई न कोई सवाल जरूर पूछा जाता है GK Pustak के इस भाग में राजस्थान के भरतपुर जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी हिंदी में लाया हूँ। इस भाग में राजस्थान के भरतपुर जिले के इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक ढांचे, जनसांख्यिकी 2011, प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों,की जानकारी हिंदी में दी गई है।
राजस्थान के भरत पुर जिले में बहने वाली नदियां | Bharatpur District Rivers GK
इन नदियों के अलावा यहां पर बरेठा बांध भी है जो ककुण्ड नदी पर बनाया गया है। इस बांध का पानी
पीने और सिंचाई दोनों के लिए Use होता है। इस बांध की क्षमता 684.00 मिलियन क्यूसिक फीट है।
राजस्थान के भरतपुर जिले के मेले और त्यौहार | Fairs and Festival GK
भरतपुर में ब्रज महोत्सव
इस मंदिर का निर्माण बलवंत सिंह ने 1840 में करवाया था। इसमें गंगाजी की मूर्ति बृजेन्द्र जी ने स्थापित करवाई थी। इस मंदिर की ये विशेषता है कि यह दो मंजला इमारत है और 84 खंबों पर खड़ी है।
भरतपुर जिले के अन्य महत्व पूर्ण तथ्य | Some more GK Facts of Bharatpur District GK
Bharatpur District GK | राजस्थान भरतपुर जिले सामान्य ज्ञान
राजस्थान के भरतपुर जिले के इतिहास का सामान्य ज्ञान | Bharatpur District Geography GK
लगभग 100 ईस्वी में इस स्थान पर सिनसिनवार कबीले के एक इंडो-सिथियन आदिवासी समुदाय का शासन था। 1505 ई में गोहद शहर में एक प्रसिद्ध जाट राज्य के रूप में विकसित हुआ था जो बाद में मराठों द्वारा शासित था। महाराज सूरजमल ने 1733 ई में भरतपुर शहर का निर्माण किया। सूरजमल के शासनकाल में इस शहर ने बहुत तरक्की की।
इस जिले का नाम रामायण से जुड़ा हुआ है किउंकि भगवान राम के छोटे भाई का नाम भरत था और उन्ही के नाम से इस शहर का नाम भरतपुर पड़ा है। गोहद के राणाओं ने और अंग्रेजों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए और अंग्रेजों ने 1804 ईस्वी में मराठों से अपने शासन को बहाल करने में जाटों की मदद की। 1805 में ब्रिटिशों ने मराठों के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए और यह क्षेत्र फिर से मराठा शासन में आ गया। आजादी से पहले ये एक स्वतंत्र रियासत थी और 1947 में ये जिले के रूप में विकसित हुआ।
लगभग 100 ईस्वी में इस स्थान पर सिनसिनवार कबीले के एक इंडो-सिथियन आदिवासी समुदाय का शासन था। 1505 ई में गोहद शहर में एक प्रसिद्ध जाट राज्य के रूप में विकसित हुआ था जो बाद में मराठों द्वारा शासित था। महाराज सूरजमल ने 1733 ई में भरतपुर शहर का निर्माण किया। सूरजमल के शासनकाल में इस शहर ने बहुत तरक्की की।
राजस्थान भरतपुर जिले की भौगोलिक स्थिति | Geography GK
- भरतपुर जिले को 'राजस्थान का पूर्वी द्वार' भी कहा जाता है।
- भौगोलिक रूप से जिला 26 ° 22 'और 27 ° 83' N और 76 ° 53 'और 78 ° 17' E के बीच स्थित है।
- भरतपुर शहर इस जिले का जिला मुख्यालय है और इसे लोहागढ़ के नाम से भी जाना जाता है।
- इस शहर की समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई लगभग 183 मीटर है।
- इस शहर की दुरी राजस्थान की राधानी जयपुर से लगभग 178 KM है और मथुरा इस शहर से 55 KM दूर है।
- भरतपुर जिले के उतर में स्थित स्थान - हरियाणा का गुड़गांव शहर
- भरतपुर जिले के दक्षिण में स्थित स्थान - राजस्थान का धौलपुर जिला
- भरतपुर जिले के पूर्व में स्थित स्थान -- उत्तरप्रदेश का मथुरा
- भरतपुर जिले के पश्चिम में स्थित स्थान - राजस्थान का दोसा और अलवर जिला।
राजस्थान के भरतपुर जिले का प्रशासनिक ढांचा
- भरतपुर जिले के उपमंडलों की संख्या - 10
- भरतपुर जिले की तहसीलों की संख्या की संख्या - 11 बयाना, भरतपुर, देग, कामन, कुम्हेर, नदबई,
- नगर, पहाड़ी, उचचिन, रूपवास और भुसावर।
- भरतपुर जिले की उप - तहसीलों की संख्या की संख्या - 6
- भरतपुर में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 7 (1. कामां 2. नगर 3. डीग-कुम्हेर 4. भरतपुर 5. नदबई 6. वैर 7. बयाना
राजस्थान के भरत पुर जिले में बहने वाली नदियां | Bharatpur District Rivers GK
- इस जिले में मुख्य रूप से तीन ही नदियां बहती हैं और ये नदियां मौसमी नदियां हैं। ये नदियां हैं बान गंगा, रूपारेल और गंभीर।
- भरत पुर जिले में रूपारेल नदी अलवर जिले की पहाड़ियों से शुरू होती है और तह सील कामन से भरतपुर में प्रवेश करती है।
- भरत पुर जिले में बान गंगा जयपुर जिले के रामगढ़ बांध से शुरू होती है, भरतपुर से गुजरती है और जिला
- भरतपुर की तह सील बयाना के पास गंभीर नदी में मिलती है।
- भरत पुर जिले में गंभीर नदी जिला करौली के पंचनामा बांध से शुरू होती है और भरतपुर से गुजरने के बाद उत्तर प्रदेश में यमुना नदी से मिलती है।
पीने और सिंचाई दोनों के लिए Use होता है। इस बांध की क्षमता 684.00 मिलियन क्यूसिक फीट है।
राजस्थान के भरतपुर जिले के मेले और त्यौहार | Fairs and Festival GK
भरतपुर में ब्रज महोत्सव
यह मेला होली से पहले होता है। यह हर साल मनाया जाता है। ये मेला भगवान् कृष्ण से संबंधित है उन्होंने ही ने यहां पर अपना बचपन बिताया था। ब्रज महोत्सव के नाम से भी प्रसिद्ध, यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष में तीन दिनों तक चलता है और यह पौराणिक कथाओं को दर्शाता है। इस मेले में कृष्ण जी कि रास लीला का आयोजन किया जाता है।और पर्दर्शनीयं निकलती हैं।
ये मेला भरतपुर में लोगों दुआरा बड़े ही हर्षोउल्लाश से मनाया जाता है। इस मेले के इलावा होली,दशेहरा और अन्य पर्व भी इस जिले में मनाये जाते हैं। घेवर और फेनी इस जिले की प्रमुख मिठाइयां हैं।
लोह गढ़ दुर्ग की नींव 18वीं सदी में महाराजा सूरजमल जाट ने रखी। यह दुर्ग मिटटी का बना हुआ है इसलिए इसे मिटटी के दुर्ग या फिर अजय दुर्ग के नाम से बी जाना जाता है। इस दुर्ग में जो द्वार लगा हुआ है वह जवाहर सिंह ने लाल किले से लाया था। बाद में अलाउदीन खिलजी ने इसे सीरी ले लिया गया था। और अंत में इस द्वार को शाहजांह ने दिल्ली लिया था।
राजेश्वरी माँ का मंदिर
राजस्थान के भरतपुर जिले के ऐतिहासिक स्थल या पर्यटन स्थल का समान्य ज्ञान
भरतपुर- लोहागढ़ का दुर्गलोह गढ़ दुर्ग की नींव 18वीं सदी में महाराजा सूरजमल जाट ने रखी। यह दुर्ग मिटटी का बना हुआ है इसलिए इसे मिटटी के दुर्ग या फिर अजय दुर्ग के नाम से बी जाना जाता है। इस दुर्ग में जो द्वार लगा हुआ है वह जवाहर सिंह ने लाल किले से लाया था। बाद में अलाउदीन खिलजी ने इसे सीरी ले लिया गया था। और अंत में इस द्वार को शाहजांह ने दिल्ली लिया था।
राजेश्वरी माँ का मंदिर
ये मंदिर भी भरतपुर में शामिल है इस माता को जाटों की कुल देवी भी माना जाता है। ये मंदिर भी लोहगढ़ जिले में स्थित है।
लक्ष्मण मन्दिर
राजस्थान के भरत पुर में एकमात्र पुरे भारत में एक ही लक्ष्मण मन्दिर है। और इस मंदिर का प्रवेश दुआर भी लोहगढ़ में स्थित है।
लक्ष्मण मन्दिर
राजस्थान के भरत पुर में एकमात्र पुरे भारत में एक ही लक्ष्मण मन्दिर है। और इस मंदिर का प्रवेश दुआर भी लोहगढ़ में स्थित है।
डीग का किला
इस किले का निर्माण 1730 ई. में बदनसिंह द्वारा किया गया था। यह किला फ्वारों के लिए भी प्रशिद्ध है। इस स्थान जल महलों की नगरी भी कहा जाता है। यह पर्यटकों के लिए बहुत ही रमणीय है।
इस किले का निर्माण 1730 ई. में बदनसिंह द्वारा किया गया था। यह किला फ्वारों के लिए भी प्रशिद्ध है। इस स्थान जल महलों की नगरी भी कहा जाता है। यह पर्यटकों के लिए बहुत ही रमणीय है।
बयाना दुर्ग
यह दुर्ग दमदमा की पहाड़ियों पर स्थित है। इस दुर्ग को सुल्तान कोट बादशाह दुर्ग या फिर बाणासुर का दुर्ग भी कहा जाता है। ये दुर्ग आठ मंजला ईमारत है। इस दुर्ग में इतनी कब्रें हैं की इसे कब्रों का दुर्ग भी कहा जाता है। ये दुर्ग लाल पतरों से बना हुआ है। अकबर की छत्तरी इसी दुर्ग में विराजमान है।
यह दुर्ग दमदमा की पहाड़ियों पर स्थित है। इस दुर्ग को सुल्तान कोट बादशाह दुर्ग या फिर बाणासुर का दुर्ग भी कहा जाता है। ये दुर्ग आठ मंजला ईमारत है। इस दुर्ग में इतनी कब्रें हैं की इसे कब्रों का दुर्ग भी कहा जाता है। ये दुर्ग लाल पतरों से बना हुआ है। अकबर की छत्तरी इसी दुर्ग में विराजमान है।
गंगा मंदिर
इस मंदिर का निर्माण बलवंत सिंह ने 1840 में करवाया था। इसमें गंगाजी की मूर्ति बृजेन्द्र जी ने स्थापित करवाई थी। इस मंदिर की ये विशेषता है कि यह दो मंजला इमारत है और 84 खंबों पर खड़ी है।
भरतपुर जिले के अन्य महत्व पूर्ण तथ्य | Some more GK Facts of Bharatpur District GK
- पहला जैव उर्वरक कारखाना यहीं पर स्थित है (राजस्थान में)
- भरतपुर जिले में मेवाती और ब्रज भाषा बोली जाती है।
- इस जिले में बम रसिया नृत्य प्रशिद्ध है जो ढोल और नगाड़ों पर किया जाता है।
- इस जिले में सरसों की उपज बढ़ाने के लिए 1993 में राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी।
- वैसे तो राजस्थान संगमरमर के लिए प्रशिद्ध है पर गुलाबी संमरमर यहां का प्रशिद्ध है।
- रेल की डिब्बे बनने का कारखाना इसी जिले में स्थित है जिसे 1957 में निर्मित किया गया था।
- भरतपुर में प्रसिद्ध लोकदेवता देवबाबा का मेला नगला जहाजपुर नामक स्थान में लगता है। देवबाबा को पशुचिकित्सा का ज्ञान था। इन्हें ग्वालों का देवता भी कहते हैं।
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