आये दिनों राजस्थान जिले में कोई न कोई सरकारी नौकरी निकलती रहती हैं और और इन नौकरियों के लिए Competition बहुत ज्यादा होता है और राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में हर जिले से एक या दो सवाल जरूर पूछे जाते हैं GK Pustak के इस भाग में हम राजस्थान के सीकर जिले के बारे में सामान्य ज्ञान के बारे में Discuss करेंगे।
इसमें राजस्थान के सीकर जिले के इतिहास, भौगोलिक स्थिति, Demographic Structure जनसांख्यिकी 2011, Administration Set-up (सीकर का प्रशासनिक ढांचा) नदियों, ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी हिंदी में दी गई है।
सीकर जिला राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। ये शहर अपनी कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। ये शहर राजस्थान में जब रियायतों का दौर था तब ये शहर जयपुर का ही ठिकाना था। पधारो म्हारे देश इस जिले या शहर की कला या संस्कृति से जुड़ा हुआ है। अगर इसके इतिहास की बात करें तो इस शहर पर कई राव राजाओं ने शासन किया था। उस समय यहां पर वीरभान का बास नामक गांव होता था।
सीकर की स्थापना 1687 ई. के आसपास हुआ है। इसकी स्थापना राव दौलत सिंह ने की थी। सीकर की राजधानी सीकर ठिकाना था। इसका नाम सीकर ठिकाना से सीकर राव दौलत सिंह ने रखा। राजा कल्याण सिंह यहां के अंतिम शासक थे जिन्होंने 1922 से लेकर 1967 तक यहां राज किया। कल्याण सिंह को सीकर का अंतिम शासक माना जाता है।
Sikar District GK | राजस्थान सीकर जिले का सामान्य ज्ञान
राजस्थान के सीकर जिले का इतिहास | Sikar District History GK
सीकर जिला राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। ये शहर अपनी कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। ये शहर राजस्थान में जब रियायतों का दौर था तब ये शहर जयपुर का ही ठिकाना था। पधारो म्हारे देश इस जिले या शहर की कला या संस्कृति से जुड़ा हुआ है। अगर इसके इतिहास की बात करें तो इस शहर पर कई राव राजाओं ने शासन किया था। उस समय यहां पर वीरभान का बास नामक गांव होता था।
सीकर की स्थापना 1687 ई. के आसपास हुआ है। इसकी स्थापना राव दौलत सिंह ने की थी। सीकर की राजधानी सीकर ठिकाना था। इसका नाम सीकर ठिकाना से सीकर राव दौलत सिंह ने रखा। राजा कल्याण सिंह यहां के अंतिम शासक थे जिन्होंने 1922 से लेकर 1967 तक यहां राज किया। कल्याण सिंह को सीकर का अंतिम शासक माना जाता है।
सीकर जिले की भौगोलिक स्थति का सामान्य ज्ञान | Geography GK
सीकर जिले की भौगोलिक स्थिति 27°21′ से 28°12′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°44′ से 75°25′ पूर्वी देशान्तर है। सीकर जिला राजस्थान राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इस जिले के उत्तर में राजस्थान का झुंझुनू जिला, उत्तर-पूर्व में राजस्थान का चूरू जिला, दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान का नागौर जिला से और दक्षिण-पूर्व में राजस्थान का जयपुर जिला स्थित है। यह हरियाणा के महेंद्र गढ़ जिले को इसके उत्तर-पूर्व कोने में भी छूता है।
मानसून के मौसम को छोड़कर सीकर जिले में तेज गर्मी, झुलस देने वाली वर्षा, सर्द मौसम और हवा की सामान्य शुष्कता होती है। इस जिले का अधिकतम तापमान 47 से 48 डिग्री तक होता है और न्यूनतम तापमान 1 से 0 डिग्री तक होता है। इस जिले का वर्ष का औसत तापमान लगभग 16 से 20 डिग्री सेल्सियस होता है।
मानसून के मौसम को छोड़कर सीकर जिले में तेज गर्मी, झुलस देने वाली वर्षा, सर्द मौसम और हवा की सामान्य शुष्कता होती है। इस जिले का अधिकतम तापमान 47 से 48 डिग्री तक होता है और न्यूनतम तापमान 1 से 0 डिग्री तक होता है। इस जिले का वर्ष का औसत तापमान लगभग 16 से 20 डिग्री सेल्सियस होता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्राप्त होने वाली सामान्य वर्षा 459.8 मि मी है। कभी कभी मई और जून के महीनों के दौरान अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस (122 डिग्री फ़ारेनहाइट) के करीब पहुंच जाता है। और इसमें तापमान की मात्रा बहुत कम होती है। मानसून के दौरान, अक्सर भारी बारिश और गरज के साथ बारिश होती है, पर बाढ़ का ख़तरा बहुत कम होता है।
कांतली नदी ( Kantli River)
राजस्थान के सीकर जिले की जनसांख्यिकी 2011 की जनगणना के अनुसार
- सीकर जिले की कुल जनसँख्या - 26,77, 333 व्यक्ति
- जिले की पुरुष जनसँख्या - 13,74,990
- जिले की स्त्री जनसँख्या - 13,02,343
- जनसँख्या लगभग कुवैत देश के बराबर है।
- सीकर जिले का जनसँख्या घनत्व - 346
- दसकीय जनसँख्या वृद्धि - 17.02%
- लिंगानुपात - 947/ 1000
- सीकर जिले का ग्रामीण लिंग अनुपात - 951
- सीकर जिले का शहरी लिंग अनुपात - 935
- कुल साक्षर व्यक्ति - 16,52,117 (9,95,275 पुरुष, 6,56,842 महिलाएं)
- पुरुष साक्षरता दर - 85.11%
- महिला साक्षरता दर - 58.23 %
- लड़कियों का लिंगानुपात - 848/1000
- कुल वन क्षेत्र – 639.30 वर्ग किलोमीटर
- कुल क्षेत्र फल – 7,732 वर्ग किलोमीटर
- नगरी क्षेत्रफल – 194 वर्ग किलोमीटर
- ग्रामीण क्षेत्र फल – 7,538 वर्ग किलोमीटर
Administration Set-up of Sikar District in Hindi |
- सीकर जिले के Sub- Division की संख्या - 7 ( श्री माधोपुर, नीम का थाना, खंडेला सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, दांतारामगढ़,)
- सीकर जिले की कुल तहसीलों की संख्या - 7 (सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, दांतारामगढ़, श्री माधोपुर, नीम का थाना, खंडेला )
- सीकर जिले की कुल उप तहसील की संख्या - 6 (पाटन, पलसाना, अजीतगढ़, नेचवा, लोसल, रामगढ़, शेखावटी
- सीकर जिले की कुल ब्लॉक समितियां - 9 (धोद, पिपराली, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, दांतारामगढ़, श्री माधोपुर, खंडेला, नीम का थाना, पाटन)
- कुल गांव की संख्या - 1183
- ग्राम पंचायतों की संख्या - 342
- नगर पालिकाओं की संख्या - 8
- नगर परिषद् की संख्या - 1
सीकर जिले में बहने वाली नदियों का सामान्य ज्ञान
इस नदी की कुल लम्बाई 100 KM है। इस नदी का उद्गम रेवासा गांव से है। ये नदी खंडेला की पहाड़ियों से निकलती है। अगर राजस्थान की नदिओं की बात करें तो इस नदी का परवाह सब नदिओं से ज्यादा है। कांतली नदी के किनारे ही गणेश्वर सभ्यता विकसित हुई थी जिसे ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी भी कहा जाता है।
सीकर जिले के रमणीय स्थल या ऐतिहासिक स्थल
1- खाटू श्याम जी का मंदिर
1- खाटू श्याम जी का मंदिर
इस मंदिर का निर्माण अभय सिंह ने अपने काल में करवाया था। सीकर से 98 किलोमीटर दूर खाटू ग्राम में श्यामजी या कृष्ण का प्रसिद्ध मन्दिर है। यहां पर स्थित बगीचा और पानी का छोटा सा तालाब भी रमणीय है। इस जगह को दानियों का मंदिर भी कहा जाता है क्यों की महाभारत काल में बर्बरीक ने कृष्ण जी को अपना शीश यहीं पर दिया था।
2- हर्षनाथ जी का मंदिर
यह मंदिर महामारू शैली में निर्मित है और इस मन्दिर को औरंगजेब के सेनापति खान जहाँ बहादुर ने तोड़ा था। इसका पुनर्निर्माण राजा शिव सिंह ने करवाया। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल 13 को मेला भरता है। यह मंदिर काजल शिखर, हर्ष की पहाड़ी सीकर में ही में स्थित है। यह मंदिर विग्रहराज द्वितीय के काल में 10 वीं सदी में बनवाया गया था। इस मंदिर में ब्रह्मा एवं विष्णु को शिवलिंग का आदि-अन्त जानने के लिए परिक्रमा करते हुए दिखाया गया है।
3- लक्ष्मण गढ़ का किला
इस किले,दुर्ग या गढ़ का निर्माण बेड की पहाड़ियों में किया गया है। इसका निर्माण लक्षमण सिंह ने करवाया था।
4- फतेहपुर का किला
इस दुर्ग का निर्माण गोगाजी के वंशज फतह खाँ कायमखानी ने करवाया था। इस किले का निर्माण पठानी शैली में करवाया गया है।
2- हर्षनाथ जी का मंदिर
यह मंदिर महामारू शैली में निर्मित है और इस मन्दिर को औरंगजेब के सेनापति खान जहाँ बहादुर ने तोड़ा था। इसका पुनर्निर्माण राजा शिव सिंह ने करवाया। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल 13 को मेला भरता है। यह मंदिर काजल शिखर, हर्ष की पहाड़ी सीकर में ही में स्थित है। यह मंदिर विग्रहराज द्वितीय के काल में 10 वीं सदी में बनवाया गया था। इस मंदिर में ब्रह्मा एवं विष्णु को शिवलिंग का आदि-अन्त जानने के लिए परिक्रमा करते हुए दिखाया गया है।
3- लक्ष्मण गढ़ का किला
इस किले,दुर्ग या गढ़ का निर्माण बेड की पहाड़ियों में किया गया है। इसका निर्माण लक्षमण सिंह ने करवाया था।
4- फतेहपुर का किला
इस दुर्ग का निर्माण गोगाजी के वंशज फतह खाँ कायमखानी ने करवाया था। इस किले का निर्माण पठानी शैली में करवाया गया है।
5- सीकर में स्थित हवेलियाँ
बैजनाथ रूड्या की हवेली - रामगढ़ में ,खेमका व गोयन का सेठों की हवेली - रामगढ़ में, पंसारी की हवेली श्रीमाधोपुर में , बिनाणियों की हवेली - लक्ष्मण गढ़ में, नई हवेली - लक्ष्मणगढ़ में , राठी हवेली -लक्ष्मणगढ़ में, रोनेड़ी वालों के चौक की हवेली - लक्ष्मणगढ़ में।
6- जीण माता का मंदिर
यह मंदिर रैवासा नामक स्थान पर स्थित है। जीण माता को मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है। इस मन्दिर का निर्माण पृथ्वीराज प्रथम के काल में हट्टड़ ने करवाया था। इस मन्दिर में अष्टभुजा प्रतिमा है। यहाँ पर वर्ष में दोनों नवरात्रों को मेला लगता है। ये चौहानों की आराध्य देवी मानी जाती है।
7- डूँगरजी व जवाहर जी
बैजनाथ रूड्या की हवेली - रामगढ़ में ,खेमका व गोयन का सेठों की हवेली - रामगढ़ में, पंसारी की हवेली श्रीमाधोपुर में , बिनाणियों की हवेली - लक्ष्मण गढ़ में, नई हवेली - लक्ष्मणगढ़ में , राठी हवेली -लक्ष्मणगढ़ में, रोनेड़ी वालों के चौक की हवेली - लक्ष्मणगढ़ में।
6- जीण माता का मंदिर
यह मंदिर रैवासा नामक स्थान पर स्थित है। जीण माता को मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है। इस मन्दिर का निर्माण पृथ्वीराज प्रथम के काल में हट्टड़ ने करवाया था। इस मन्दिर में अष्टभुजा प्रतिमा है। यहाँ पर वर्ष में दोनों नवरात्रों को मेला लगता है। ये चौहानों की आराध्य देवी मानी जाती है।
7- डूँगरजी व जवाहर जी
इसका वास्तविक नाम बलजी जिसका अर्थ चाचा होता है तथा भूरजी जिसका अर्थ भतीजा होता है। ये दोनों ही 1857 में हुई क्रांति के देवता मने जाते हैं। इन्हें गरीबों का देवता भी कहा जाता था किउंकि ये अमीरों से धन लौटकर ग़रीबों में बांटते थे।
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