नमस्कार दोस्तों उत्तर प्रदेश में होने वाली परीक्षाओं में उत्तर प्रदेश के लोक नृत्यों का एक सवाल जरूर पूछा जाता है। हम सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की अपनी संस्कृति और परम्परा है इसलिए वहां के नृत्यों से भी आज प्रश्न आना लाजमी है। इसलिए GK Pustak के माध्यम से हम इस पोस्ट में Major /
Famous Folk Dances of Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश के प्रशिद्ध लोक नृत्यों का सामान्य ज्ञान हिंदी में दे रहे हैं जो आपके लिए उत्तर प्रदेश में होने वाली परीक्षाओं में अवश्य ही काम आएगा इस लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
उत्तर प्रदेश राज्य के लोक नृत्य | Major/ Famous Folk Dances of Uttar Pradesh GK in Hindi
उत्तर प्रदेश में दीपावली ,दिवाली नृत्य
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड जिले में ये नृत्य पूरी दुनिया में मशहूर है बुन्देलखण्ड के लोग दीपावली वाले दिन दीपों की मालायें जला कर ये नृत्य करते हैं इस मेले की विशेषता ये है कि ये Dance वहां के लोग दिए हाथ में नहीं सर पर रख कर नृत्य करते हैं। पूरा बुंदेलखंड दीपमाला से सुसज्जित हो जाता है। ये डांस वहां के अहीरों द्वारा किया जाता है।
उत्तर प्रदेश का कर्मा नृत्य
ये नृत्य भी उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा Famous है ये नृत्य वहां के जनजाति के लोगों द्वारा किया जाता है। वैसे तो ये नृत्य छत्तीसगढ़, झारखण्ड राज्यों में भी बहुत प्रचलित है पर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र में ये नृत्य लोगों दुआरा किया जाता है। ये नृत्य वहां के पुरुषों और स्त्रियों द्वारा इकट्ठा किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में शायरा नृत्य
यह नृत्य उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड जिले में किया जाता है। ये वहां के लोगों द्वारा तब किया जाता है जब फसल की कटाई होती है। ये नृत्य अच्छी फसल के लिए किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में कार्तिक गीत नृत्य
उत्तर प्रदेश में ये नृत्य भी बुंदेलखंड जिले में मनाया जाता है ये नृत्य कार्तिक मास को किया जाता है। इस नृत्य में धार्मिक आस्था जुडी हुई होती है। कभी- कभी भागवत गीता का अध्ययन करके उस पर राग में लोग वशीभूत हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में चरकुला नृत्य
यह मेला भी उत्तर प्रदेश की शान है Actually ये मेला मथुरा में स्थित मुखराई नामक स्थान की शान है। इस नृत्य में यहां की गोपियाँ एक पहिये पर दीप रखकर नृत्य करती हैं और इन दीयों की संख्या 108 होती है ऐसा इसलिए किया जाता है किउकी भगवान कृष्ण की भी 108 गोपियां थी। और मुखराई से राधा जी का नौनिहाल मुखराई में था और श्री कृष्ण का घर मुखराई से 25 KM दूर है। इस पहिये का वजन लगभग 40 किलो होता है और इसी पर 108 दीप सुसज्जित किये जाते हैं।
उत्तर प्रदेश का धोबिया राग
इसके नाम से ही पता चलता है कि ये नृत्य उत्तर प्रदेश के धोबी लोगों द्वारा किया जाता है ये नृत्य भी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड जिले में ज्यादा Famous है। ये धोबी द्वारा किया जाता है।
उत्तर प्रदेश का दादरा नृत्य
वैसे तो इसके नाम से ही पता चलता है कि ये नृत्य दादरा आमद नगर हवेली में मनाया जाता है। पर इसका उत्तर प्रदेश में भी बहुत प्रचलन है। इस मले का सबंध कहीं न कहीं गुप्त योन संबधों से जुड़ा हुआ है। ी नृत्य में यहां के लोग नृत्य के साथ गाने वाले कलाकारों के साथ गायन करते हैं।
उत्तर प्रदेश में रासलीला
इसके नाम से भी पता चलता है कि यह नृत्य भी कृष्ण और गोपियों की रास लीला के साथ जुड़ा हुआ है। वैसे तो ये नृत्य पुरे भारत में मनाया जाता है पर उत्तर प्रदेश में व्रज के स्थान पर इस नृत्य का अपना स्थान है। पर एक बात याद रहे कि ये एक ऐसा नृत्य है जिसका संबंध श्री कृष्ण की लीला को बताना है इसका असली जिंदगी के साथ कोई भी मतलब नहीं है अर्थात जो लीला की जाती है उसका असली जिंदगी में कोई भी स्थान नहीं होता है।
उत्तर प्रदेश का ख्याल लोक नृत्य
यह लोक नृत्य भी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में बड़ी ही धुमधाम से मनाया जाता है इस नृत्य गाने वाले और नाटक करने वाले सारे ही एक मंच पर काम करते हैं और एक दूसरे को सहयोग करते हैं। इस नृत्य का कहीं न कहीं पौराणिक विचारों के साथ जुड़ा हुआ है। लोग नगाड़े और ड्रम लेकर एक मंच पर इकठे होते हैं और भगवान का गायन शुरू करते हैं। ख्याल नृत्य का शुभारम्भ एक Special आह्वान से शुरू होती है और उसके बाद इस नृत्य को शुरू किया जाता है। इस नृत्य में शूक्ष्मता देखने को मिलती है इनका संबंध पौराणिक विचारों से इतना होता है कि लोग इसकी आस्था में वसीभूत हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में छोलिया नृत्य या छलिया नृत्य
वैसे तो अब ज्यादा तर उत्तराखंड में नृत्य किया जाता है पर अभी भी उत्तराखंड के अलग होने पर ये नृत्य उत्तर प्रदेश में बड़ी ही सहजता से किया जाता है। इस नृत्य में तलवारों के साथ नृत्य किया जाता है। आम तोर पर घरों में विवाह शादी बारातों में इसका प्रचलन होता है। इस नृत्य में कुल 22 कलाकार होते हैं जिनमे 7 नर्तकियां और 15 संगीतकार होते हैं। नाचने वाले आपस में तलवारें मार कर नृत्य करते हैं इससे ऐसा प्रतीत होता है की वे किसी युद्ध में जा रहे हैं पर ये वास्तविक में एक नृत्य होता है।
नटवरी लोक नृत्य
यह नृत्य पूर्वी उत्तर प्रदेश में अहीरों तथा यादवों में प्रचलित नृत्य है। संगीत और नगाड़े की धुनों पर किया जाने वाला नृत्य नटवारी नृत्य कहलाता है। यह नृत्य नटवारी मुद्रा में किया जाता है। यह नृत्य कहीं न कहीं संस्कृति से जुड़ा हुआ है किउकी की नगाड़ों की धुन हमारी संस्कृति को कहीं न कहीं जोड़ती है।
नौटंकी नृत्य
ये नृत्य भी उत्तर प्रदेश में काफी प्रचलित है ये नृत्य नौटंकी के रूप में किया जाता है और नौटंकी करने वाले कलाकार का उद्देश्य लोगों को कुछ न कुछ समझाना होता है। ये सभी कलाकार पेशे से ही कलाकार होते हैं और नौटंकी के माहिर होते हैं।
उत्तर प्रदेश में राई नृत्य
इस नृत्य को मयूर नृत्य भी कहा जाता है क्यूँकी ये मयूर की भांति किया जाता है। यह नृत्य उत्तर प्रदेश में भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी पर किया जाता है। और सभी लोग धुन पर मयूर की भांति नाच उठते हैं।
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