सिद्धार्थ नगर का नाम कैसे और क्यों पड़ा ? | Sidharthanagar history in Hindi : UP GK

नमस्कार दोस्तों सिद्धार्थ नादर उत्तर प्रदेश का एक जिला है आज हम Gk Pustak के माध्यम से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले के इतिहास " History of Sidharthanagar Diistrict " के बारे में बताएंगे इसमें  ये बताया गया है कि सिद्धार्थ नगर का नाम सिद्धार्थ नगर किउं पड़ा और इसके पीछे क्या इतिहास है। 



उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर का इतिहास 

सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह जनपद या जिला  मानचित्र में 27 डिग्री North अक्षांश और 82 डिग्री से 83 डिग्री South में फैला हुआ है। 


सिद्धार्थ नगर जिले का नाम महात्मा बुद्ध के बेटे सिद्धार्थ के नाम पर पड़ा।  सिद्धार्थ नगर जन पद मध्य उत्तर प्रदेश के उत्तरी पूर्वी सीमा के सन् निकट नेपाल राष्ट्र के दक्षिणी सीमा से साथ जुड़ा हुआ है। सिद्धार्थ नगर जनपद का इतिहास हिन्दू धर्म के साथ तो जुड़ा हुआ है ही है पर इसके साथ महात्मा बुद्ध के जीवन से इस जिले का बहुत जुड़ा हुआ है। अगर इतिहास की बात करें तो इस जिले में बुध धर्म का विकास और विस्तार हुआ है। महात्मा बुद्ध के पिता का नाम शुशोधन था और उनकी राजधानी कपिल वस्तु थी जो इसी जिले का साथ जुडी है अर्थात इसी जिले में थी। 


लगभग 6 वीं इससे पूर्व की बात है महात्मा बुद्ध ने कपिल वस्तु को अपनी राजधानी बनाया और इसका विकास और विस्तार किया। यह उस वक्त एक शक्तिशाली गणराज्य था। सिद्धार्थनगर एक जनपद था पर इसका राज्य कौशल था। यह राज्य हिमालय की तलहटी में स्थित था। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शाक्यों ने अपनी राजधानी कपिल वस्तु में बनायी और यहां एक शक्तिशाली गणराज्य की स्थापना की।


पर समय के साथ इस स्थान को फिर उजाड़ दिया और ये एक खंडहर में परिवर्तित हो गया। पर यह सिद्धार्थ नगर पूरा भू-भाग पूर्व में जन पद गोरखपुर में सम्मलित था। 1801 में यह जिला इष्ट इंडिया कंपनी को स्थांतरित हो गई उस समय इसकी उत्तरी सीमा नेपाल राज्य में बुटवल तक, पूर्वी सीमा विहार राज्य से, दक्षिणी सीमा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर से, और पश्चिमी सिमा गोंडा से लगती थी। सं 1816 में युद्ध हुआ और इस युद्ध के बाद एक समझौता हुआ जिसमे यह फैसला किया गया कि विनायकपुर व तिलपुर परगनों को नेपाल को सौंपा जाये और सौंपा भी गया। 



सन् 1865 में मगहर परगने के अधिकांश भाग व परगना विनायकपुर के कुछ भाग को जनपद गोरखपुर से पृथक कर जनपद बस्ती का सृजन हुआ। जिससे यह क्षेत्र बस्ती जिले में आ गया। पिपरहवा स्तूप की खुदाई 1897-98 ई0 में डब्ल्यू सी पेपे ने की थी। सन् 1898 ई0 में ही इसे जर्नल ऑफ़ रायल एशियाटिक सोसायटी में प्रकाशित किया गया। तत्पश्चात 1973-74 में इस स्थल की खुदाई प्रो0 के0एम0 श्रीवास्तव के निर्देशन में हुई तथा खुदाई में प्राप्त अवशेषों से पिपरहवा को कपिलवस्तु होने पर मुहर लगायी गयी।


गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ इसी क्षेत्र में घटित हुई। कपिल वस्तु में शाक्यों का राज प्रसाद और बुद्ध के काल में निर्मित बौद्ध बिहारों का खंडहर तथा शाक्य मुनि के अस्थि अवशेष पाये गये है। कपिल वस्तु की खोज के बाद उत्तर प्रदेश सरकार, राजस्व अनुभाग-5 के अधिसूचना संख्या-5-4 (4)/76-135- रा0-5(ब) दिनांक 23 दिसम्बर, 1988 के आधार पर दिनांक 29 दिसम्बर 1988 को जन पद-बस्ती के उत्तरी भाग को पृथक कर सिद्धार्थ नगर जिले का सृजन किया गया।


सिद्धार्थनगर जिले के पर्यटन स्थल 

भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय जिलों में से एक है जो तीर्थयात्रियों, मनोरंजन केंद्रों, शॉपिंग सेंटर, पिकनिक स्पॉट्स, घाट आदि जैसे सुविधाओं के लिए जाना जाता है। कई पर्यटक और विभिन्न धर्मों के अनुयायी हर साल सिद्धार्थनगर आते हैं। कई निजी एजेंसियों के साथ राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिद्धार्थ नगर आने वाले पर्यटकों का अभिनंदन एवं स्वागत करता है । सिद्धार्थनगर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अच्छी परिवहन सुविधा की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर का इतिहास 

सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह जनपद या जिला  मानचित्र में 27 डिग्री North अक्षांश और 82 डिग्री से 83 डिग्री South में फैला हुआ है। 


सिद्धार्थ नगर जिले का नाम महात्मा बुद्ध के बेटे सिद्धार्थ के नाम पर पड़ा।  सिद्धार्थ नगर जन पद मध्य उत्तर प्रदेश के उत्तरी पूर्वी सीमा के सन् निकट नेपाल राष्ट्र के दक्षिणी सीमा से साथ जुड़ा हुआ है। सिद्धार्थ नगर जनपद का इतिहास हिन्दू धर्म के साथ तो जुड़ा हुआ है ही है पर इसके साथ महात्मा बुद्ध के जीवन से इस जिले का बहुत जुड़ा हुआ है। अगर इतिहास की बात करें तो इस जिले में बुध धर्म का विकास और विस्तार हुआ है। महात्मा बुद्ध के पिता का नाम शुशोधन था और उनकी राजधानी कपिल वस्तु थी जो इसी जिले का साथ जुडी है अर्थात इसी जिले में थी। 


लगभग 6 वीं इससे पूर्व की बात है महात्मा बुद्ध ने कपिल वस्तु को अपनी राजधानी बनाया और इसका विकास और विस्तार किया। यह उस वक्त एक शक्तिशाली गणराज्य था। सिद्धार्थनगर एक जनपद था पर इसका राज्य कौशल था। यह राज्य हिमालय की तलहटी में स्थित था। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शाक्यों ने अपनी राजधानी कपिल वस्तु में बनायी और यहां एक शक्तिशाली गणराज्य की स्थापना की।


पर समय के साथ इस स्थान को फिर उजाड़ दिया और ये एक खंडहर में परिवर्तित हो गया। पर यह सिद्धार्थ नगर पूरा भू-भाग पूर्व में जन पद गोरखपुर में सम्मलित था। 1801 में यह जिला इष्ट इंडिया कंपनी को स्थांतरित हो गई उस समय इसकी उत्तरी सीमा नेपाल राज्य में बुटवल तक, पूर्वी सीमा विहार राज्य से, दक्षिणी सीमा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर से, और पश्चिमी सिमा गोंडा से लगती थी। सं 1816 में युद्ध हुआ और इस युद्ध के बाद एक समझौता हुआ जिसमे यह फैसला किया गया कि विनायकपुर व तिलपुर परगनों को नेपाल को सौंपा जाये और सौंपा भी गया। 



सन् 1865 में मगहर परगने के अधिकांश भाग व परगना विनायकपुर के कुछ भाग को जनपद गोरखपुर से पृथक कर जनपद बस्ती का सृजन हुआ। जिससे यह क्षेत्र बस्ती जिले में आ गया। पिपरहवा स्तूप की खुदाई 1897-98 ई0 में डब्ल्यू सी पेपे ने की थी। सन् 1898 ई0 में ही इसे जर्नल ऑफ़ रायल एशियाटिक सोसायटी में प्रकाशित किया गया। तत्पश्चात 1973-74 में इस स्थल की खुदाई प्रो0 के0एम0 श्रीवास्तव के निर्देशन में हुई तथा खुदाई में प्राप्त अवशेषों से पिपरहवा को कपिलवस्तु होने पर मुहर लगायी गयी।


गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ इसी क्षेत्र में घटित हुई। कपिल वस्तु में शाक्यों का राज प्रसाद और बुद्ध के काल में निर्मित बौद्ध बिहारों का खंडहर तथा शाक्य मुनि के अस्थि अवशेष पाये गये है। कपिल वस्तु की खोज के बाद उत्तर प्रदेश सरकार, राजस्व अनुभाग-5 के अधिसूचना संख्या-5-4 (4)/76-135- रा0-5(ब) दिनांक 23 दिसम्बर, 1988 के आधार पर दिनांक 29 दिसम्बर 1988 को जन पद-बस्ती के उत्तरी भाग को पृथक कर सिद्धार्थ नगर जिले का सृजन किया गया।


सिद्धार्थनगर जिले के पर्यटन स्थल 

भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय जिलों में से एक है जो तीर्थयात्रियों, मनोरंजन केंद्रों, शॉपिंग सेंटर, पिकनिक स्पॉट्स, घाट आदि जैसे सुविधाओं के लिए जाना जाता है। कई पर्यटक और विभिन्न धर्मों के अनुयायी हर साल सिद्धार्थनगर आते हैं। कई निजी एजेंसियों के साथ राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिद्धार्थ नगर आने वाले पर्यटकों का अभिनंदन एवं स्वागत करता है । सिद्धार्थनगर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अच्छी परिवहन सुविधा की आवश्यकता है।


Rakesh Kumar

दो Blogs Gkpustak सामान्य ज्ञान के लिए और Grammarpustak अंग्रेजी ग्रामर का हिंदी में जानकारी हासिल करवाना।

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