नमस्कार दोस्तों उत्तर प्रदेश प्रदेश के कुल 75 जिले हैं और इन जिलों में से गोंडा जिला भी है। गोंडा जिले एक ऐसा जिला है जिसमें संबंधित सवाल जरूर पूछे जाते हैं। इस जिले का अपना इतिहास है। Gk Pustak में माध्यम से हम आज उत्तर प्रदेश के इतिहास, भूगोल, जनसांख्यिकी, प्रशासनिक ढांचा, पर्यटन स्थलों की जानकारी दे रहे इस पोस्ट में गोंडा जिले का सारा ही सामान्य ज्ञान दिया गया है।
Uttar Pradesh Gonda District GK in Hindi
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का इतिहास | Gonda District History GK
गोंडा जिला उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से एक है। इस नदी में सरयू नदी का प्रवाह है अर्थात सरयू नदी इस जिले में बहती है इसलिए इस क्षेत्र को उपजाऊ धरती के रूप में भी मन जाता है। उत्तर प्रदेश के जितने भी जिले हैं उनमे से इस जिले को सबसे उपजाऊ धरती के रूप में मन्ना गया है।
इस जिले की स्थापना का गौरव राजपूत वंश के राजा मानसिंघ को प्राप्त है। अर्थात राजपूत काल में ये राजपूतों का गढ़ माना जाता था। अगर इतिहासकारों की बात करें तो इस किले में राजपूत काल के अवशेष मिले हैं जो राजपुतों के गौरव को दर्शाते हैं।
गोंडा के सबसे मशहूर राजाओं में से रामदत्त का नाम सबसे आगे है गोंडा के इतिहास में उसने न केवल गोंडा का विकास किया पर इस स्थान को अपना एक व्यापारिक केंद्र भी बनाया था। राम शरण शर्मा जैसे इतिहासकारों ने इस नगर को गुप्तकाल में नगरों के पतन और सामंतवाद के उदय से जोड़कर देखा है।
गोंडा के सबसे मशहूर राजाओं में से रामदत्त का नाम सबसे आगे है गोंडा के इतिहास में उसने न केवल गोंडा का विकास किया पर इस स्थान को अपना एक व्यापारिक केंद्र भी बनाया था। राम शरण शर्मा जैसे इतिहासकारों ने इस नगर को गुप्तकाल में नगरों के पतन और सामंतवाद के उदय से जोड़कर देखा है।
रामायण काल में गोंडा जिला कौशल प्रान्त का एक हिस्सा था। प्रभु श्री राम के बाद इस प्रान्त को दो भागों में विभाजित किया गे था। श्री राम के दो बेटे थे उत्तरी भाग में प्रभु श्री राम के पुत्र लव का साम्राज्य था उन्होंने श्रवती शहर को अपना राज्य बनाया था।
गोंडा जिले का इतिहास भारत की आजादी से बह जुड़ा हुआ है। यहां के लोगों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए भी अपनी बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। और आजादी की लड़ाई में यहां के लोगों ने अपनी ससक्षात भमिका निभाई थी। इनमे से मुख्य हैं।
महाराजा अक्श वाल्मीकिन, चंद्रशेखर आज़ाद , राजेंद्र लाहिड़ी। राजेंद्र लाहड़ी को गोंडा जिले में ही में फांसी पर लटका दिया गया था। उन्हें काकोरी कांड के लिए दोसी माना गया था। 1982 में गोंडा जिले में एक मशहूर एनकाउंटर हुआ था। और इस अंकॉनटर में 13 लोगों की मृत्यु हुई थी जिससे पुरे भारत का ध्यान इस जिले पर गया था।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले भूगोल | Gonda District Geography GK
श्री स्वामीनारायण मंदिर गोंडा जिले में स्थित है। इतिहास कहता है की श्री स्वामीनारायण का जन्म 1781 में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ था तो उन्हें घनश्याम पाण्डेय के रूप में जाना जाता था। 1792 की बात है जब उन्होंने नीलकंठ वर्णों को अपनाया था और जब वे मात्र 11 वर्ष के थे तब उन्होंने पुरे भारत की यात्रा शरू की थी उन्होंने सात का लक्ष्य रझा था।
- गोंडा जिले की मानचित्र में भौगोलिक अक्षांश स्थित - 26 47 'और 27 º- 20' उत्तर
- गोंडा जिले की मानचित्र में भौगोलिक देशांतर स्थित - 81 '30' और 82º 46 पूर्व
- जिले का मुख्यालय -- देवी पाटन
- गोंडा जिले के पूर्व में स्थित स्थान -- उत्तर प्रदेश का श्रवती और बस्ती जिला
- गोंडा जिले के पश्चिम में स्थित स्थान -- घाघरा नदी
- गोंडा जिले के उत्तर में स्थित स्थान -- उत्तर प्रदेश बहराइच जिला
- गोंडा जिले के दक्षिण में स्थित स्थान -- बाराबंकी जिला
- गोंडा जिले की जलवायु -- आर्द्रता भरी
- गोंडा जिले में कौन सी नदी बहती है -- घाघरा नदी
- गोंडा जिले का औसत तापमान गर्मियों में -- 30 डिग्री
- गोंडा जिले में सर्दियों में औसत तापमान -- 20 डिग्री
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की जनसांख्यिकी 2011
- गोंडा जिले की जनसंख्या -- 3433919
- गोंडा जिले की पुरुष जनसंख्या - 1787146
- गोंडा जिले की स्त्री जनसंख्या -- 1646773
- गोंडा जिले की जनसंख्या में दशकीय वृद्धि दर -- 24.17 प्रतिशत
- गोंडा जिले का क्षेत्रफल -- 4003
- गोंडा जिले का जनसंख्या घनत्व -- 858 प्रति वर्ग किलोमीटर
- गोंडा जिले और उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का अनुपात - 1.72%
- गोंडा जिले का लिंगानुपात -- 921 / 1000
- गोंडा जिले का शिशु लिंगानुपात -- 926 / 1000
- गोंडा जिले की औसत साक्षरता दर -- 58.71 %
- गोंडा जिले की पुरुष साक्षरता दर -- 69.41 %
- गोंडा जिले की स्त्री साक्षरता दर -- 47.09 %
गोंडा जिले का प्रशासनिक ढांचा - 2021
- गोंडा जिले के मंडल का नाम -- देवीपाटन मण्डल
- देवीपाटन मंडल में कुल कितने जिले हैं -- चार
- देवीपाटन मंडल में कौन कौन से जिले हैं -- गोंडा, बलरामपुर , बहराइच और श्रावस्ती
- गोंडा जिले में गांव की संख्या -- 1821
- गोंडा जिले में कुल ब्लॉकों की संख्या -- 16
- गोंडा जिले के ब्लॉकों का नाम -- बभनजोत, बेलसर, छपिया, करनैलगंज,हलधरमऊ, इटियाथोक,वजीरगंज, तरबगंज, रूपईडीह,परसपुर, पंडरीक़पाल, नवाबगंज, मुजेहना, मनकापुर, कटरा बाजार, झंझरी कुल 16
- गोंडा जिले की तहसीलों की संख्या -- चार
- गोंडा जिले की तहसीलों के नाम -- तरबगंज, मनकापुर, गोण्डा, करनैलगंज
- गोंडा जिले की विधानसभा क्षेत्र की संख्या -- 7
- गोंडा जिले के विधानसभा क्षेत्रों के नाम -- म्हणोन ,गोंडा, करनैलगंज, कटरा बाजार , तरबगंज, मनकापुर, गौरा
- गोंडा जिले के लोकसभा क्षेत्र -- गोंडा (एक )
- गोंडा जिले की नगर परिषद की संख्या -- 3
- गोंडा जिले की नगर परिषदों के नाम -- गोंडा , करनैलगंज, नवाबगंज
- गोंडा जिले की नगर परिषद की संख्या -- चार
गोंडा जिले के पर्यटन स्थल
पृथ्वीनाथ मंदिर
यह मंदिर इटियाथोक ब्लॉक में आता है जो गोंडा से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। यह एक शिव मंदिर है। पृथ्वीनाथ को ‘लिंगम’ कहा जाता है जो मंदिर में स्थापित विश्व की सबसे ऊंची शिवलिंग है, जिसे द्वापर युग में पांडवों के निर्वासन के दौरान भीम द्वारा स्थापित किया गया था। पृथ्वीनाथ मंदिर में आने के बाद सभी भक्तों को शांति मिलती हैं। शिव के मंदिर के केवल दर्शन मात्र सभी पीड़ितों व कलेश दूर हो जाता हैं। भक्तों का विश्वास इस जगह के महत्व को दर्शाता है।
श्री स्वामीनारायण मंदिर
श्री स्वामीनारायण मंदिर गोंडा जिले में स्थित है। इतिहास कहता है की श्री स्वामीनारायण का जन्म 1781 में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ था तो उन्हें घनश्याम पाण्डेय के रूप में जाना जाता था। 1792 की बात है जब उन्होंने नीलकंठ वर्णों को अपनाया था और जब वे मात्र 11 वर्ष के थे तब उन्होंने पुरे भारत की यात्रा शरू की थी उन्होंने सात का लक्ष्य रझा था।
उनका यात्रा का मुख्य मकसद था कल्याणकारी कार्य ये कल्याणकारी कार्य 9 वर्ष तक पूरा किया। अपना कल्याणकारी काम करने के बाद उन्होंने बहुत काम किये और उसके बाद वे गुजरात में जाकर बस गए।
उनके गुरु का नाम स्वामी रामानंद था। स्वामी रामानंद ने स्वामीनारायण को उद्धव संप्रदाय में शामिल किया। ये 1800 ईस्वी की बात की। इसके बाद स्वामी नारायण को सहजानंद स्वामी का नाम दिया गया। जब गुरु स्वामी रामानंद की मृत्यु हुई तब उन्होंने ने उद्धव संप्रदाय की गद्दी स्वामीनारायण को दे दी।
उनके गुरु का नाम स्वामी रामानंद था। स्वामी रामानंद ने स्वामीनारायण को उद्धव संप्रदाय में शामिल किया। ये 1800 ईस्वी की बात की। इसके बाद स्वामी नारायण को सहजानंद स्वामी का नाम दिया गया। जब गुरु स्वामी रामानंद की मृत्यु हुई तब उन्होंने ने उद्धव संप्रदाय की गद्दी स्वामीनारायण को दे दी।