हेलो दोस्तों, उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से कौशाम्बी भी एक जिला है और उत्तर प्रदेश में जो भी परीक्षायें होती है उनमे से इस जिले में से दो या तीन सवाल जरूर पूछे जाते हैं इसलिए Gk Pustak के माध्यम से आज हम उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के बारे में हिंदी में जानकारी दे रहे हैं जो आने वाली किसी भी परीक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट में कौशाम्बी जिले के इतिहास, भूगोल, प्रशासनिक ढांचे,जनसांख्यिकी,और पर्यटन स्थलों की जानकारी दी गई है।
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले का इतिहास और सामान्य ज्ञान
"अधिसीमकृष्णपुत्रो निचक्षुर्भविता नृपः यो गंगयाऽपह्नते हस्तिनापुरे कौशंव्यां निवत्स्यति।" कथन से पता चलता है है कि कौशाम्बी जिले का इतिहास पुराणों से जुड़ा हुआ है। महाभारत काल के बाद हस्तिनापुर नरेश निचक्षु ने इस जिले को अपनी राजधानी बनाया था और ये महाराज युधिष्ठिर के सातवें वंशज थे। ये वंश आगे चलता रहा और इस वंश के राजा कौशाम्बी से इस जिले का नाम पड़ा।
ये अलग बात है की इस जिले का इतिहास महाभारत काल में नहीं हुआ है पर इस जिले का अस्तित्त्व इसा पूर्व से माना जाता है। अगर इतिहास की बात करें तो बौद्ध साहित्य और जातक कथाओं में कई जगह कोशम्बी जिले का वर्णन मिलता है।
कौशांबी उत्तर पश्चिम में एक छोटी सी पहाड़ी थी जिस पहाड़ी का इतिहास महात्मा बुद्ध से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है है कि यहां पर एक गुफा थी जहां पर महात्मा बुध कई बार आये थे। इस जिले का इतिहास बुध धर्म से ही नहीं जैन धर्म से भी जुड़ा हुआ है। जैन भिक्षुणी चंदना का इतिहास इस जिले के इतिहास के बारे में बहुत कुछ बताता है जो एक जैन भिक्षुणी थी और एक व्यापारी ने उसे बेच दिया था। हालाँकि मौर्य काल की बात करें तो इस जिले का विकास रूक गया था पर फिर अशोक ने इस जिले को समृद्ध बनाया था।
कौशाम्बी जिले का भूगोल | Kaushambi District Geography GK
आज का उत्तर प्रदेश का कौशाम्बी जिला 4 अप्रैल 1997 से पहले इलाहाबाद जिले का हिस्सा था। इस जिले का मुख्यालय जिला मंझनपुर जो यमुना नदी के उत्तर तट पर इलाहाबाद के दक्षिण-पश्चिम में इलाहाबाद से लगभग 55 किमी दूर स्थित है। तो उत्तर प्रदेश में होने वाली परीक्षाओं में ये सवाल पूछा जाता है कि कौशाम्बी जिला कब बना ? उत्तर -- 4 अप्रैल 1997 को
- कौशाम्बी जिले का कुल क्षेत्र फल -- 1779 वर्ग किलोमीटर
- कौशाम्बी जिले के पूर्व में स्थित जिला या राज्य -- उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद
- कौशाम्बी जिले के पश्चिम में स्थित जिला या राज्य -- फतेहपुर जिला
- कौशाम्बी जिले के उत्तर में स्थित जिला या राज्य -- उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला
- कौशाम्बी जिले के दक्षिण में स्थित जिला या राज्य -- उत्तर प्रदेश का चित्रकूट जिला
- उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले की मानचित्र में अक्षांश स्थिति --- 25"20 ’30 “ उत्तर में
- उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले की मानचित्र में दिशांतर स्थिति --- 81"23’12” पूर्व
- कौशांबी जिले में बहने वाली नदियां -- गंगा,यमुना
कौशाम्बी जिले में एपीआई जाने वाली मिटटी दोमट मिटटी है और यहां की जनवायु आद्रता भरी हुई है। गर्मियों में इस जिले का तापमान 42 डिग्री तक हो जाता है।
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले का प्रशासनिक ढांचा 2021
- कौशाम्बी जिले में कुल तहसीलों की संख्या -- 3 सिराथू तहसील, मंझनपुर तहसील, चायल तहसील
- जिले में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या -- 498
- कौशाम्बी जिले में कुल विकास खंडों की संख्या -- आठ
- जिले में विधानसभा क्षेत्र और उनके नाम -- कुल तीन ( सिराथू, चायल और मंझनपुर)
- जिले में लोकसभा क्षेत्र और उनके नाम -- एक ही है कौशाम्बी
- जिले में नगर परिषद की संख्या -- एक
- कौशांबी जिले में नगर परिषद की संख्या -- एक कौशांबी
कौशाम्बी जिले की जनसांख्यिकी 2011 की जनगणना के अनुसार
- कौशाम्बी जिले की जनसँख्या -- 1599596
- जिले की पुरुष जनसँख्या -- 838485
- जिले की स्त्री जनसँख्या -- 761111
- जिले में जनसँख्या में वृद्धि दर -- 23.70 %
- उत्तर प्रदेश और कौशाम्बी जिले का जनसँख्या अनुपात -- 0.80 प्रतिशत
- कोशाम्बी जिले का जनसँख्या घनत्व -- 899 / 1000
- जिले का लिंग अनुपात -- 908 / 1000
- जिले का शिशु लिंग अनुपात -- 923 / 1000
- जिले की कुल औसत साक्षरता दर -- 61.28 प्रतिशत
- जिले की कुल पुरुष औसत साक्षरता दर -- 72.78 प्रतिशत
- जिले की स्त्री साक्षरता दर -- 48.56 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के पर्यटन स्थल
शीतला देवी मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से लगभग 69 किलोमीटर दूर है। हिन्दू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से ये शक्ति पीठ भी प्रमुख है। इस मंदिर का निर्माण 1000 ईसवी में करवाया गया था। सीखो के नौवें गुरु जी भी इस मंदिर में आये थे।
प्रभाषगिरी एक रमणीय स्थल
यह भी इस जिले का प्रमुख स्थल है और धार्मिक स्थल है ये स्थान जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। पौराणिक कथाओं में ये कहा जाता है की भगवान कृष्ण की मृत्यु इसी स्थान पर हुई थी। छठे जैनतीर्थंकर पदमप्रभु ने अपना आधा जीवन यहीं पर व्यतीत किया था। यह आज एक जैन मंदिर है जिसका निर्माण 1824 ईसवी में करवाया गया था।
मां दुर्गा का मंदिर
ये मंदिर जिला मुख्यालय में स्थित है और इस स्थान पर भगवान् शिव की और मां दुर्गा की मूर्ति विराजमान है।