भारत में आज 2021 तक 15 प्रधानमंत्रियों ने प्रधान मंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की है और अपनी सेवाएं निभाई हैं। अगर सभी प्रधानमंत्रियों की बात करें तो आज तक देश में एक ही महिला प्रधान मंत्री रही है जिनका नाम इंदिरा गाँधी था। उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जिनका नाम जवाहर लाल नेहरू था के बाद देश के प्रधानमंत्री का पदभार संभाला।
वे देश की पहली महिला प्रधान मंत्री थी और देश की दूसरी प्रधानमंत्री रही हैं जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू के बाद प्रधानमंत्री पद पर सबसे ज्यादा अपना कर्यकाल पूरा किया। इंदिरा गाँधी का इतिहास और और जीवन परिचय बहुत ही दिलचस्प और प्रभावशाली है। आज हम इंदिरा गाँधी की जीवन की पूरी जानकारी पर नजर डालने की कोशिश करेंगे।
Indira Gandhi Family, Education, Family and Childhood Days in Hindi
इंदिरा गाँधी का जन्म और पारिवारिक जिंदगी
इंदिरा गाँधी का जन्म एक कश्मीरी पंडित परिवार में 19 नवंबर 1917 में भारत के पवित्र स्थान इलहाबाद में हुआ था। उनके पिता जी का नाम जवाहरलाल नेहरू था जो भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे है और प्रधानमंत्री पद पर सभी प्रधानमंत्रियों से ज्यादा का कार्य काल निभाया है।
उनकी माता जी का नाम कमला नेहरू था जिन्होंने इंदिरा गाँधी को बड़े ही प्यार से पाला पोशा था। इंदिरा गाँधी कमला नेहरू खानदान की इकलौती बेटी थी। इंदिरा गाँधी के पति का नाम फिरोजगांधी था जो बॉम्बे के रहें वाले थे और एक कुशल व्यापारी थे। नजर डालते हैं उनके फेमिली ट्री पर।
Short Detail of Indira Gandhi Family in Hindi
इंदिरा गाँधी के बचपन के दिलचस्प किस्से
इंदिरा गाँधी के बचपन की बात करें हो उनका बचपन बिना माँ बाप के अकेले में ज्यादा गुजरा था। इसके पीछे ये कारण था की उनके पिता जवाहर लाल नेहरू और माता कमला नेहरू ज्यादतर क्रन्तिकारी गतिवधियों के कारण जेल में रहते थे।
माता पिता के जेल में होने के कारण जब वे मात्र तीन साल की थी तो उनके घर में पुलिस का आना जाना गला रहता था जिससे वे आम बच्चों के साथ खेल भी नहीं पाती थी अगर खेलती भी थी तो खेल की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं होता था। अगर उनकी सामाजिक जिंदगी और पब्लिक जिंदगी की बात करें तो तीन से चार साल में उनकी सामाजिक जिंदगी और पब्लिक जिंदगी शुरू हुई थी।
बचपन में अपने पिता के जेल जाने के बाद ज्यादातर उनकी देखभाल उनके नौकरों और माता जी द्वारा की जाती थी। बचपन से ही उन्होंने भाषण देने की कला इसी जीवन काल से सीख ली थी। बचपन से ही उनके अंदर क्रन्तिकारी गतिविधियां उत्पन हो चुकी थी। उनके घर का महौल नॉर्मल नहीं था और इसके पीछे जवाहरलाल नेहरू का उनको प्यार न मिलना था। इंदिरा गाँधी हमेशा ही अपने पिता जी की चिट्ठिओं का इंतजार किया करती थी जो जवाहर लाल नेहरू उन्हें लाहौर जेल से लिखा करते थे।
जवाहर लाल नेहरू इंदिरा गाँधी के साथ जेल से ही पत्राचार में अच्छे संस्कारों और उनकी पढ़ाई की बात किया करते थे। बचपन में ही मैं उनकी माता जी कमला नेहरू को बीमारी ने घेर लिया था इस वजह से भी उनका बचपन डिस्टर्ब हुआ था। बचपन से ही उन्होंने मुसीबतों से लड़ना सीखा और कभी भी उदास नहीं हुई। इंदिरा गाँधी ने बचपन से ही क्रन्तिकारी गतिवधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था।
इंदिरा गाँधी जब जब मात्र तीन साल की थी तो देश में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ था और विदेशी चीजों का वहिष्कार किया जाने लगा तो उनकी जिंदगी में एक दिलचस्प किस्सा तब जुड़ा जब उन्होंने इंग्लैंड से लाई एक गुड़िया खिलोने को आग के हवाले कर दिया था इससे साफ पता लगता है की बचपन से उनके अंदर सख्त फैसले करने का रुतवा था।
दूसरा उनके बचपन का दिलचस्प किस्सा यह है की उन्होंने भारत में क्रांति के लिए काम करने के लिए एक वानर सेना का निर्माण कर डाला था जो आईडिया उन्होंने पवित्र ग्रन्थ रामायण से लिया था। अब आप सोचते होंगे ये वानर सेना क्या करती थी तो ये वानर सेना छोटे बच्चों की एक सेना थी जिसमे इंदिरा गाँधी ने 60 हजार से भी जयादा बच्चों को इकठा किया था।
इस बानर सेना का काम पोस्टर बनाना और आंदोलनकारियों तक सन्देश पहुँचाना था ताकि वे अच्छी तरह से काम कर सकें। तो उनके बचपन की बात लड़ें तो उनके बचपन ने उन्हें बहुत ही मजबूत बना दिया था और इसी कारण उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किया।
इंदिरा गाँधी की शिक्षा दीक्षा
इंदिरा गाँधी दसवीं तक का पढ़ाई का सफर ज्यादातर घर पर ही बिता। उन्हें सभी विषयों के लिए पढ़ाने के लिए घर पर ही अध्यापक आते थे अर्थात ट्यूटर्स आते थे और उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। 17 साल तक जब वह दसवीं जमात में पढ़ती थी रुक रुक कर स्कूल गई।
दसवीं जमात के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अलग स्कूलों में भाग लिया जिनमे दिल्ली का मॉडर्न स्कूल, इलाहाबाद में सेंट सेसिलिया और सेंट मैरी के क्रिश्चियन कॉन्वेंट स्कूल हैं जहां पर उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा उसके बाद उन्होंने जिनेवा के इंटरनेशनल स्कूल, बेक्स में इकोले नोवेल, पूना और बॉम्बे, और शांतिनिकेतन जैसे स्कूलों में भी भाग लिया।
वे जब विश्वभारती स्कूल में पढ़ती थी तब उनकी पढ़ाई में एक रुकावट आई जब उनकी माता जी बीमार हो गई और उन्होने इस स्कूल को छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपना दाखिला करवाया और वहीं से अपनी पढ़ाई को जारी रखा।
इंदिरा गाँधी मात्र 18 साल की थी तो उनकी माता जी का देहांत हो गया और उन्होंने उसके बाद कॉलेज में एक बैडमिंटन स्कूल में दाखिला लिया और इतिहास विषय के साथ कॉलेज का सफर जारी किया। इंदिरा गाँधी की पढ़ाई में उस वक्त प्रॉब्लम आई जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ और वह यूरोप में फंस गई।
1940 में वह भारत में वापिस आ गई पर उन्होंने अपनी पढाई को नहीं छोड़ा और उनके बाद भी 1942 में ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई को जारी रखा। उन्होंने ने लेटिन भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी कोशिश की और तीसरी बार लेटिन भाषा को पास करने में कामयाब भी हो गई।