7th Article of Indian Constitution | भारतीय संविधान का अनुच्छेद -7

7th Article of Indian Constitution : Rights of Citizenship of certain migrants to Pakistan

The Indian Constitution does not have a specific article numbered as the "7th Article." The Constitution of India consists of a preamble followed by 470 articles grouped into 25 parts. However, I can provide you with information about the actual seventh article, which is Article 7 of the Indian Constitution.

Article 7 of the Indian Constitution pertains to the rights of immigrants to India who were previously subjects of undivided India. It specifically addresses the rights of individuals who migrated to Pakistan after the partition of India in 1947 and later returned to India. Here is the content of Article 7:

"Article 7: Rights of Citizenship of certain migrants to Pakistan

Notwithstanding anything in Articles 5 and 6, a person who has migrated to the territory now included in Pakistan from the territory now included in India shall not be deemed to be a citizen of India:

Provided that nothing in this article shall apply to a person who, after having so migrated to the territory now included in Pakistan, has returned to the territory of India under a permit for resettlement or permanent return issued by or under the authority of any law and every such person shall for the purposes of clause (b) of Article 6 be deemed to have migrated to the territory of India after the nineteenth day of July 1948."

भारतीय संविधान का अनुच्छेद -7 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 7 में भारतीय नागरिकों के मूलभूत अधिकारों के बारे में प्रावधान है। यह अनुच्छेद निम्नलिखित अधिकारों को सुनिश्चित करता है:

स्वतंत्रता: इस अनुच्छेद के तहत, हर भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार है। यह अधिकार व्यक्ति की आज़ादी को सुनिश्चित करता है, जिसमें व्यक्ति अपनी सोच, विचार, वाणी, प्रेस, संगठन और संविधानिक प्रक्रियाओं में स्वतंत्र होता है।

सामान्यता का सिद्धांत: यह अनुच्छेद सामान्यता के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है, जिसके अनुसार सभी नागरिकों को कानून के सामक्ष बराबर अधिकार होते हैं। कोई भी व्यक्ति जाति, धर्म, लिंग, जन्मस्थान, या किसी अन्य ऐसे आधार पर न्यायिक, सार्वभौमिक या सरकारी कार्यों के लिए भेदभाव नहीं कर सकता है।

न्याय: यह अनुच्छेद न्याय के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है। हर व्यक्ति को उचित न्यायिक सुनवाई, न्यायिक प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान का अधिकार होता है, और व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों की हिफाजत के लिए संविधानिक सुरक्षा प्राप्त होती है।

स्वदेशीकरण: इस अनुच्छेद के तहत, भारतीय नागरिकों को अपनी संपत्ति की सुरक्षा और उसका आदान-प्रदान करने का अधिकार होता है। यह अधिकार संपत्ति के अवैध अपहरण से बचाने के लिए सुनिश्चित किया जाता है।

अपने पेशेवर और शैक्षिक चयन में स्वतंत्रता: इस अनुच्छेद के तहत, भारतीय नागरिकों को अपने पेशेवर और शैक्षिक चयन में स्वतंत्रता का अधिकार होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी प्राथमिकताओं, क्षमताओं और योग्यताओं के आधार पर अपना पेशा चुन सकता है और व्यक्ति को विद्यालय, कॉलेज या अन्य शैक्षणिक संस्थान में एडमिशन के लिए भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

ये संविधान के अनुच्छेद 7 में संग्रहीत अधिकार हैं जो भारतीय नागरिकों को उनकी मूलभूत अधिकारों की हिफाजत करने का अधिकार प्रदान करते हैं।


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