अगर आप किसी भी काम को करते हो तो आपके अंदर सबसे पहले विशवास और काम करने की लगन होनी चाहिए। आपके अंदर ये बात होने चाहिए कि "यू कैन विन" आप जीत सकते हो। हाँ जितने के लिए कभी समय भी लग जाता है क्योंकि समय ही सबसे बड़ा बलवान है। ये जज्बा किसी में भी हो सकता है चाहे वह पुरुष हो या स्त्री।
जी हाँ आज हम बात करने वाले है एक ऐसी ही लड़की की जिसने साल 1984 में विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर अपने कदम रहे। और भारत की पहली महिला बनी जिसने एवरेस्ट पर अपने कदम रखे उसका नाम था बछेंद्री पाल। पहले "GK Pustak" के माध्यम से एक छोटा सा परिचय उसके बाद बछेंद्री पाल के जीवन की पूरी कहानी आपको बताएंगे।
बछेंद्री पाल जीवन परिचय | जन्म | शिक्षा | कॅरियर | एवरेस्ट फतेह | अवार्ड | फैक्ट्स
बछेंद्री पाल |
- बछेंद्री पाल जन्म -- 24 मई, 1954
- जन्म स्थान -- उत्तर काशी, स्थान नाकुरी
- पिता का नाम -- किशन सिंह पाल
- माता का नाम -- हंसा देवी
- बछेंद्री पाल के भाई बहन -- 4 (2 भाई 2 बहनें)
- भाई का नाम जो पर्वतारोही था -- राजेंद्र सिंह पाल
- धर्म -- हिन्दू
- परिवार -- खेतिहर परिवार मध्य वर्गीय
- शिक्षा -- बी.एड, संस्कृत भाषा में एम.ए और एनआईएम
- वैवाहिक स्थिति -- NA
- एवरेस्ट पर कब फतेह की -- 1984 में
- जब एवरेस्ट पर फतेह की तब उम्र -- 30 वर्ष
बछेंद्री पाल का जन्म और परिवार | Birth of Bachendri Pal and Family Life
पर्वतारोही बछेंद्री पाल का जन्म नकुरी उत्तरकाशी, उत्तराखंड में हुआ था जो अब उत्तरांचल के नाम से जाना जाता है उनका जन्म सन् 1954 को हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह पाल था और एक मध्य वर्गीय परिवार मैं रह कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे अर्थात बछेंद्री पाल खेतिहर परिवार संबंध रखती थी। उनके चार भाई बहन थे।
उनमे से एक पर्वतारोही भी थे जिनका नाम राजेंद्र सिंह पाल था। उनके पिता जी एक मेहनती इंसान थे और अपनी कमाई से अपने परिवार के पालन पोषण करते थे। माता जी एक घरेलू स्त्री थी और एक धार्मिक किस्म की स्त्री थी।
बछेंद्री पाल की शिक्षा | Education of Bachendri Pal
हम सभी जानते हैं कि बछेंद्री पाल के समय हमारे देश में लड़कियों को बहुत काम पढ़ाया लिख्या जाता था। पर उनके पिता जी ने उनका दाखिला गांव के एक सरकारी स्कूल में करवा दिया। बचपन से प्रतिभाशाली बछेंद्री पाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से पूरी की। अपनी पढाईका वे अपने आप ध्यान रखती थी ये उनके लिए नहीं पुरे भारत के लिए एक दुर्भाग्य की बात थी। पर बछेंद्री पाल अपनी कक्षा में अन्य लड़कियों से ज्यादा होशियार थी।
पढ़ाई के साथ वे शारीरिक तौर से भी अन्य लड़कियों से वे सबसे आगे थी जब किसी शारीरिक Activity का मौका मिलता वे लड़कों से भी आगे थी। वे एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी और ये सब देख कर उनके प्रधानाचार्य कभी कभी हैरान भी हो जाते थे। समय और हालत के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपनी शिक्षा पूरी की।
स्वाभाविक है वे पढ़ने में अच्छी थी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने का प्रस्ताव अपने पिता जी के सामने रखा पर आर्थिक रूप से कमजोर और उस वक्त के हालातों को देखते हुए पिता जी ने आगे पढ़ने साफ इंकार कर दिया। बछेंद्री पाल ने अपनी पढ़ाई के लिए या आगे पढ़ने के लिए अपनी माँ के साथ जिद्द की और पिता जी उसकी जिद्द के आगे झुकना पड़ा।
पिता जी ने आगे पढ़ने की इजाजत दे दी फिर क्या था उन्होंने अपनी आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए देहरादून कॉलेज में दाखिला ले लिया और सारा ध्यान अपनी पढ़ाई की तरफ दिया। उन्होंने BA के बाद संस्कृत भाषा में MA भी पूरी कर ली। उनके माता पिता का एक सपना था कि वे एक अध्यापक बने इसलिए उन्होंने बी एड भी पास की थी।
- जब उन्होंने ये कारनामा किया था तो उस वक्त भारत की प्रधान मंत्री इंदिरा गन्दी थे उन्होंने उन्हें 1984 में पद्मश्री से नवाजा था जो देश का सबसे बड़ा नागरिकता पुरूस्कार है।
- बछेंद्री पाल एक अच्छी और होनहार छात्रा रही थी इसलिए उस वक्त की उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग ने उन्हें 1985 में स्वर्ण पदक से सुसज्जित किया था।
- भारत का सबसे बड़ा खिलाडी के लिए जाने वाला अर्जुन पुरूस्कार है जो उन्हें 1986 में भारत सरकार द्वारा दिया गया था।
- 1986 में बछेंद्री पाल को कोलकाता सरकार ने कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड दिया था।
- गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दुनिया के सभी अनोखे काम करने वाले व्यक्तियों की एक किताब है जिसमें उनका नाम 1990 में सुसज्जित किया गया था।
- भारत में जितने भी अनोखे काम होते हैं उनके लिए भारत सरकार द्वारा नेशनल एडवेंचर अवार्ड दिया जाता है। जो भारत सरकार द्वारा उन्हें 1994 में दिया गया
- उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान एक ऐसा सम्मान है जो सभी अचम्भित काम के लिए दिया जाता है जो उन्हें 1995 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया।
- उन्हें हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से पी एचडी की मानद उपाधि 1997 में दी गई।
- लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान एक महान और क्रांतिकारी महिला को दिया जाता है जो मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें 2013-14 में दिया।
- बछेंद्री पाल को धावक के रूप में तब मौका दिया गया जब वह 12 साल की थी और उन्होंने 400 मीटर Race में पहला स्थान हासिल किया।
- वक्त और हालत बछेंद्री के समय ऐसे थे लड़कियों को बहार नहीं भेजा जाता था जब उन्होंने पर्वतारोही बनने का विचार अपने रिश्तेदारों के साथ रखा तो रिश्तेदारों ने उनके विरुद्ध कहा पर उन्होंने होंसला नहीं छोड़ा।
- उनकी परिवार की आर्थिक हालत खराब थी अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने टेलर का काम किया और अपने परिवार के साथ सहयोग किया।
- बछेंद्री पाल भारत की ऐसी महिला बनी जिसने पहली बार एवरेस्ट पर भारतीय झंडा फेहराया और दुनिया की पांचवीं महिला के रूप में सामने आयी।
- माउंटेनियरिंग का कोर्स करते समय उनकी ट्रेनिंग के लिए उनके सामने दो टारगेट रखे गए थे एक रूदुगैरा पर्वत पर चढाई करना और दूसरा गंगोत्री पहाड़ पर चढ़ाई करना जिनकी ऊंचाई क्रमश 5,819 मीटर और 6,672 मीटर थी। और उन्होंने इसे बड़ी आसानी से हासिल किया।
- भारत को छोड़ कर बछेंद्री पाल ने में मोंट ब्लैंक पर्वत जो पश्चमी यूरोप में है और माउंट किलिमंजारो जो अफ्रीका में है पर फतेह हासिल की।