हेलो नमस्कार भारत का इतिहास बहुत पुराना है और अगर भारत की आजादी के इतिहास की बात करें तो ये भारत के इतिहास से भी बहुत पुराना है। भारत की आजादी के लिए कई वीरों ने अपनी जान की आहुतियां दी हैं उनमे अगर भगत सिंह की बात करें या फिर रानी लक्ष्मीबाई की बात सुभाष चंद्र बोस की बात करें या फिर वीर सावरकर की, सभी योद्धाओं ने भारत को आजाद करने के लिए अपनी जान का बलिदान दिया है।
देश जब गुलाम हुआ उसके बाद अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आजादी का विगुल बजाने वाले पहले क्रांतकारी मंगल पांडे के बारे में आप जानते ही होंगे या फिर उनका नाम सुना ही होगा। अगर आप मंगल पांडे के बारे में कुछ जानते हैं तो आज उनके बारे में आज हम हिंदी पुकार के माध्यम से कुछ दिलचस्प बातें लाये है। तो आईये आज "हिंदी पुकार" में जानने की कोशिश करते हैं मंगल पांडे के जीवन परिचय, उनके परिवार शिक्षा और इतिहास पर।
मंगल पांडे का जीवन परिचय | Mangal Pandey Biography in Hindi)
भारत के पहले आजादी के गुलाटी जिनका नाम मंगलपांडे था का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले एक छोटे से गांव में हुआ था और इस गांव का नाम नगवा है जो अभी भी उत्तर प्रदेश का एक हसता वास्ता गांव है। उनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडेय थे जो ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे और मध्य परिवार से सम्बंधित थे।
देश जब गुलाम हुआ उसके बाद अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आजादी का विगुल बजाने वाले पहले क्रांतकारी मंगल पांडे के बारे में आप जानते ही होंगे या फिर उनका नाम सुना ही होगा। अगर आप मंगल पांडे के बारे में कुछ जानते हैं तो आज उनके बारे में आज हम हिंदी पुकार के माध्यम से कुछ दिलचस्प बातें लाये है। तो आईये आज "हिंदी पुकार" में जानने की कोशिश करते हैं मंगल पांडे के जीवन परिचय, उनके परिवार शिक्षा और इतिहास पर।
मंगल पांडे जीवन परिचय | जन्म | परिवार | शिक्षा | कॅरियर | फिल्म | फांसी
मंगल पांडे 19 जुलाई सन 1827 18 अप्रैल सन 1857 |
- मंगल पांडे का जन्म स्थान ---- उत्तर प्रदेश का बलिया जिला
- जन्म तारीख ----19 जुलाई 1827
- पिता जी का नाम ---- दिवाकर पांडेय
- माता जी का नाम ---- अभारानी पांडेय
- मंगल पांडे का व्यवसाय ---- सैनिक, ब्रिटिश आर्मी में
- जाने जाते है ---- भारत के पहले शहीद के रूप में
- मृत्यु ---- 18 अप्रैल 1857
- मृत्यु का कारण ---- फांसी की सजा
- फांसी के समय उम्र ---- 29 साल, 8 महीने, 30 दिन
भारत के पहले आजादी के गुलाटी जिनका नाम मंगलपांडे था का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले एक छोटे से गांव में हुआ था और इस गांव का नाम नगवा है जो अभी भी उत्तर प्रदेश का एक हसता वास्ता गांव है। उनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडेय थे जो ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे और मध्य परिवार से सम्बंधित थे।
माता जी एक धार्मिक लेडी थे जो अपने परिवार के भरण पोषण के लिए हर कोई प्रयास करती थी उनका नाम अभारानी पांडेय था। क्या आप जानते हो कि मंगल पांडे की जो बहन थी उनके साथ क्या हुआ आप जानते होंगे के नहीं 1830 में पुरे भारत में एक बहुत ही भयंकर आकाल आया था और उसमें मंगल पांडे की बहन की मौत हो गई थी हाँ ये बात मेरे को मालूम नहीं उनकी बहन का नाम क्या था।
मंगल पांडे क्यों ब्रिटिश Army में भर्ती होना चाहते थे ?
कुछ ऐसे भी हमारे से सवाल पूछने वाले होंगे कि मंगल पांडे Army में भर्ती क्यों होना चाहते थे इस के पीछे कोई ऐसा सवाल नहीं है कि वे बचपन से भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, या फिर सुभाष चंद्र की तरह क्रांति कारी थे या फिर उनके अंदर क्रांति की आग एक दम से आ गई थी तो फिर आपके मन में ये सवाल होगा कि वे क्रांतिकारी क्यों बने और उसके पीछे क्या कारण थे तो हम आपको बता दें मंगल पांडे परिवार से मध्य परिवार से Belong करते थे और उनका बचपन से ही कुछ interest थे कि में ब्रिटिश आर्मी में भर्ती होना चाहता हूँ उसके पीछे कारण मध्य परिवार से संबंध भी हो सकते हैं और कुछ अपना फैसला भी हो सकता है।
आपको बता दूँ कि उनके अंदर जो क्रांति की आग आई कहां से आई उसके बारे में आगे Discuss करते हैं पर बस एक उनके मन में था कि में ब्रिटिश आर्मी में भर्ती होना चाहता हूं।
मंगल पांडे अंग्रेज अधिकारियो के साथ संबंध | Mangal Pandey Relations with British Officers
ये बात तो सही है कि मंगल पांडे एक सैनिक बनना चाहते थे और उनका शोक भी था कि मैं एक सैनिक बनकर सेवा करूँ और अपने परिवार का भी पालन पोषण करूं। अंग्रेज अधिकारी उनको एक ईमानदार और सच्चा देश सिपाही समझते थे थे।
22 साल की उम्र तक उनके दिल में क्रांति नाम की कोई भी ज्वाला नहीं थी बस वे एक अच्छे सैनिक सेनानी बनना चाहते थे और अंग्रेज अधिकारी भी इस बात के लिए राजी थे कि ऐसा सिपाही हमारी आर्मी में भर्ती होने चाहिए। अंग्रेज अधिकारी भी उनके ऊपर विश्वास करते थे। हम आपको बता दें Hewson मंगल पांडे का एक अच्छा अंग्रेज अधिकारी और दोस्त था और वह अंग्रेज अधिकारी और दोस्त मंगल पांडे के ऊपर विश्वास करता था। पर फिर मंगल पांडे के अंदर सवतंत्रता की क्रांति कब पैदा हुई इसके बारे में आगे चर्चा करते है।
मंगल पांडे क्यों ब्रिटिश Army में भर्ती होना चाहते थे ?
कुछ ऐसे भी हमारे से सवाल पूछने वाले होंगे कि मंगल पांडे Army में भर्ती क्यों होना चाहते थे इस के पीछे कोई ऐसा सवाल नहीं है कि वे बचपन से भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, या फिर सुभाष चंद्र की तरह क्रांति कारी थे या फिर उनके अंदर क्रांति की आग एक दम से आ गई थी तो फिर आपके मन में ये सवाल होगा कि वे क्रांतिकारी क्यों बने और उसके पीछे क्या कारण थे तो हम आपको बता दें मंगल पांडे परिवार से मध्य परिवार से Belong करते थे और उनका बचपन से ही कुछ interest थे कि में ब्रिटिश आर्मी में भर्ती होना चाहता हूँ उसके पीछे कारण मध्य परिवार से संबंध भी हो सकते हैं और कुछ अपना फैसला भी हो सकता है।
मंगल पांडे के दिल में अंग्रेजी राज के प्रति गलत भावना या हींन भावना कब पैदा हुई ?
मंगल पांडे के अंदर अंग्रेजी साम्राज्य के प्रति कोई भी गलत भावना नहीं थी न ही अंग्रेज मंगल पांडे जैसे एक सैनिक को खोना चाहते थे पर उसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। इसके पीछे राजनितिक कारण भी हो सकते हैं, जैसे बाबा जी पेंसन बंद करना और भारत के जो देशी सैनिक अधिकारी थे उनके साथ भेदभाव करना या फिर ब्रिटिश अधिकारियों का परेड के समय जो भारतीय सैनिक थे उनके साथ भेदभाव करना।
इसका कारण एक और भी हो सकता है कि अंग्रेज अधिकारी धर्मांतरण की नीति पर चलते हो और और वे धर्म के नाम पर कोई ऐसा काम करते हों जिसने ब्रिटिश सरकार को हिला के रख दिया पर कोई न कोई कारण तो था की मंगल पांडे को अंग्रेजो ने फांसी की सजा सुनाई। उसके पीछे जो भी कारण थे उसकी चर्चा आगे करते हैं।
मंगल पांडे के दिल में अंग्रेजी सरकार के प्रति क्यों एक क्रांतिकारी के रूप में भावना पैदा हुई ?
ब्रिटिश इष्ट इण्डिया कंपनी का एक ही उदेश्य था जब से भारत में अपना एक Colonialism ले के आई थी वह था भारत जैसी सोने की चिड़िया को लूटना और जो वहाँ के जो भी लोग हैं उनको किसी न किसी अक्ष पर Use करना। मंगल पांडे जी के अंदर एक ही भावना थी कि मैं एक अच्छा सैनिक बनना चाहता हूँ। और इसके लिए वे कभी भी जातपात या किसी भी धर्म को लेकर चिंतित या राजनांति नहीं करना चाहते थे। पर उनको एक बात समझ में आई कि अंग्रेज अधिकारी एक तो धर्मांतरण की राजनीनीति चल रहे हैं।
धर्मांतरण की राजनीति का अर्थ वे लोग ईसाई करण की राजनीति पर चले हुए थे और दूसरा कारण ये था कि एक अच्छे सैनिक थे और परेड के समय उनको किसी भी किस्म की परसिलिटी का अनुमान नहीं था पर जब ऐसा होता था तो उनके अंदर क्रांति की भावना जाग जाती थी। हाँ इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण था कि मंगल पांडे के दिल में एक रोष पैदा हुआ वह हम नीचे विस्तार से बताएँगे।
मंगल पांडे का एनफील्ड राइफल के साथ प्रतिरोध:
उस समय भरत में एक नई राइफल लॉन्च हुई थी जसका नाम एनफील्ड राइफल हुई थी। और इस राइफल का प्रयोग ब्रिटिश सरकार भारतीय आर्मी में करना चाहती थी। इस बात का खुलासा तो नहीं हुआ कि इस राइफल में जो भी कारतूस Use किये जायेंगे वे जानवरों की चर्बी के बने हुए थे। पर ऐसी अफवाह थी कि भारतीय आर्मी में जो नै राइफल लॉन्च हुई है उसमे जो कारतूस Use किये जा रहे हैं उनको डिस्पोज़ अर्थात खोलने के लिए दांतों का इस्ते माल करना पड़ता था और ये कारतूस गाय और सूअर और की चर्बी के बने हुए थे।
अब भारतीय आर्मी में हिन्दू और मुस्लिम संख्या ज्यादा थी हिन्दू लोग गए को पूजनीय मानते थे और मुसलमान सैनिक सूअर को अपनी धार्मिक आस्था के साथ जोड़ते थे अब ये बात दोनों धर्मों के लिए धार्मिक तौर पर एक मुश्किल काम था।
मंगल पांडे ने एक अंग्रेज अधिकारी जो उनके दोस्त थे और उन पर विश्वास करते थे इस बात का जीकर भी किया पर अंग्रेज अधिकारी ने झूठ बोला और इस बात का खुलासा नहीं किया कि ये बात सच्च है पर जब मंगल पांडे को इस बात का पता चला कि ये बात सच्ची है तो उन्होंने अंग्रेजी राज से बदला लेने की सोची।
मंगल पांडे दुआरा मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेन्ट बॉब की हत्या:
अब मंगल पांडे के अंदर क्रांति की आग पूरी तरह फ़ैल चुकी थी वे परेड में भी शामिल नहीं होना चाहते थे पर 29 मार्च 1857 को वे परेड में शामिल हुए। परेड के समय मंगल पांडे ने राइफल को लेने से और उस कारतूस का इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया। मंगल पांडे ने अपने दोस्त जो भारतीय सेना में थे ये भी आग्रह किया कि वे उनका साथ दें और इस फैसले का वहिष्कार करें पर उस परेड में किसी ने उनका साथ नहीं दिया।
जब मेजर ह्यूसन मंगल पांडे की वर्दी उतारने और राइफल को छीनने के लिए आगे बढे तो मंगल पांडे ने उसी कारतूस को राइफल में लोड करके ह्यूसन की हत्या कर दी। इसके बाद मंगल पांडे ने गुस्से में एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को मौत के घाट उतार दिया। इससे 1857 की क्रांति ने और आग पकड़ ली।
मंगल पांडे को फांसी की सजा:
अब मंगल पांडे के अंदर क्रांति की आग पूरी तरह फ़ैल चुकी थी वे परेड में भी शामिल नहीं होना चाहते थे पर 29 मार्च 1857 को वे परेड में शामिल हुए। परेड के समय मंगल पांडे ने राइफल को लेने से और उस कारतूस का इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया। मंगल पांडे ने अपने दोस्त जो भारतीय सेना में थे ये भी आग्रह किया कि वे उनका साथ दें और इस फैसले का वहिष्कार करें पर उस परेड में किसी ने उनका साथ नहीं दिया।
जब मेजर ह्यूसन मंगल पांडे की वर्दी उतारने और राइफल को छीनने के लिए आगे बढे तो मंगल पांडे ने उसी कारतूस को राइफल में लोड करके ह्यूसन की हत्या कर दी। इसके बाद मंगल पांडे ने गुस्से में एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को मौत के घाट उतार दिया। इससे 1857 की क्रांति ने और आग पकड़ ली।
मंगल पांडे की शादी को लेकर विवाद | Controversy over Mangal Pandey's marriage
सभी के मन में ये सवाल आता है कि मंगल पांडे की शादी हुई थी या नहीं तो इस विवाद को लेकर एक मामला हाई कोर्ट तक चला गया था जब उनके जीवन पर एक फिल्म का निर्माण हुआ था जिसका नाम "मंगल पांडे: दि राइजिंग" है और जब ये फिल्म बनी तो फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा ने ये विवादित बयान दिया था कि मंगल पांडे ने एक वेश्या के साथ शादी की थी और उसका नाम हीरा था पर माननीय हाई कोर्ट ने ये फैसला किया था कि मंगल पण्डे ने कोई भी शादी नहीं की थी इस करके ये सीन फिल्म से डिलीट कर दिया गया था।
मंगल पांडे से जुड़े कुछ अनसुने तथ्य | Unknown and Intersting Facts about Mangal Pandey)
- मंगल पांडे "भूमिहार ब्राह्मण" परिवार से सबंध रखते थे।
- मंगल पांडे भारतीय सेना के 34 वे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के पांचवी कंपनी के 1446 नंबर के सिपाही थे।
- शायद ये अपने सुना होगा कि मंगल पांडे ने कोर्ट मार्शल के बाद जेल में उन्होंने अपने आप को खत्म करने के प्रयास भी किये पर वे असफल रहे।
- मंगल पाण्डे को फांसी पर लटकाने के लिए सभी जल्लादों ने इंकार कर दिया था।
- उसके बाद अंग्रेजो ने मंगल पांडे को फांसी के लिए कोलकत्ता से चार जलाद बुलाये थे।
- मंगल पांडेय के बाद एक और सिपाही ईश्वरी प्रसाद पांडे को फांसी दी गई थी। और ये फांसी इस लिए दी गई थी कि उन्होंने मंगल पांडे को पकड़ने से इंकार कर दिया था।
- मंगल पांडे की सहादत के बाद ही अंग्रेजों ने ये फैसला किया कि चर्बी के कारतूसों की वजाये गहि के कारतूस use किये जाएँ। और ये फैसला लार्ड कैनिंग ने लिया था।
- जिस जगह मंगल पांडे ने अंग्रेज अधिकारी को गोली मारी थी वहाँ पर आज भी पार्क बना हुआ है। इसका नाम शहीद मंगल पांडे महाउद्यान है।
- भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 1984 को ये माना कि मंगल पांडे ही देश के पहले शहीद स्वतंत्रता सेनानी हैं इसलिए सरकार ने उनके नाम पर पोस्टेज स्टाम्प किया था जिस पर इस क्रांतिकारी की फोटो लगी हुई है।
- अंग्रेजो के मन में शहीद होने के बाद भी मंगल पांडे ने इतनी जगह बनाई कि अंग्रेजों ने उन्हें देशद्रोही नहीं कहा।
आधुनिक मंगल पांडे आमिर खान | मंगल पांडे पर बनी फिल्म
- "मंगल पांडे: दि राइजिंग" फिल्म का निर्माण 2005 में किया गया था जिस ने मंगल पांडे के जीवन पर झलक डालने की कोशिश की है उसका व्योरा क्या है नीचे देखो।
- "मंगल पांडे: दि राइजिंग" फिल्म की संपूर्ण जानकारी
- फिल्म का नाम - मंगल पांडे दि राइजिंग
- डायरेक्टर का नाम -- केतन मेहता
- राइटर का नाम -- फारुख धोंडी
- फिल्म कब रिलीज हुई -- 12 अगस्त 2005 को
- मंगल पांडे का किरदार किसने निभाया -- आमिर खान ने
- हीरा का किरदार का किरदार किस ने निभाया -- रानी मुखर्जी ने
- ज्वाला का किरदार -- अमीषा पटेल ने निभाया
- बहादुर शाह जफर का किरदार -- हबीब तिवारी ने निभाया
- रानी लक्ष्मीबाई का किरदार -- वर्षा उसगोंकर ने निभाया
मंगल पांडे से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर :
प्रश्न 1. मंगल पांडे का जन्म कहां हुआ था ?
उत्तर :- प्रदेश बलिया के बलिया जिले के नगवा गांव में।
प्रश्न 2. मंगल पांडे का जन्म जन्म कब हुआ था ?
उत्तर :- 19 जुलाई 1827 को
प्रश्न 3 . मंगल पांडे को फांसी कब दी गई थी ?
उत्तर :- 8 अप्रैल 1857
प्रश्न 4. मंगल पांडे को फांसी कब दी जानी थी ?
उत्तर :- 18 अप्रैल 1857 को
प्रश्न 5. मंगल पांडे को फांसी कहां दी गई थी ?
उत्तर :- बैरकपुर, पश्चिम बंगाल में।
प्रश्न 6 . मंगल पांडे किस जात या विरादरी से संबंध रखते थे ?
उत्तर :- ब्राह्मण परिवार
प्रश्न 7. मंगल पांडे की बटालियन का नाम ?
उत्तर :- 34 वे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के पांचवी कंपनी 1446 नंबर के सिपाही
प्रश्न 8 . कब मंगल पांडे आर्मी में शामिल हुए उस वक्त उनकी उम्र क्या थी ?
उत्तर :- 22 साल
प्रश्न 9. मंगल पांडे को कोर्ट मार्शल द्वारा कब फांसी की सजा सुनाई गई ?
उत्तर-- 6 अप्रैल 1857 को
प्रश्न 10 . मंगल पांडे को कब फांसी दी जानी थी ?
उत्तर -- 18 अप्रैल 1857 को
प्रश्न 11. मंगल पांडे को कब फांसी की सजा दी गए ?
उत्तर -- 8 अप्रैल 1857 को। 10 Days Before
प्रश्न 12 . मंगल पांडे को फांसी किसने दिन पहले दी गई ?
उत्तर :- 10 दिन पहले
आपको बता दूँ कि उनके अंदर जो क्रांति की आग आई कहां से आई उसके बारे में आगे Discuss करते हैं पर बस एक उनके मन में था कि में ब्रिटिश आर्मी में भर्ती होना चाहता हूं।
मंगल पांडे अंग्रेज अधिकारियो के साथ संबंध | Mangal Pandey Relations with British Officers
ये बात तो सही है कि मंगल पांडे एक सैनिक बनना चाहते थे और उनका शोक भी था कि मैं एक सैनिक बनकर सेवा करूँ और अपने परिवार का भी पालन पोषण करूं। अंग्रेज अधिकारी उनको एक ईमानदार और सच्चा देश सिपाही समझते थे थे।
22 साल की उम्र तक उनके दिल में क्रांति नाम की कोई भी ज्वाला नहीं थी बस वे एक अच्छे सैनिक सेनानी बनना चाहते थे और अंग्रेज अधिकारी भी इस बात के लिए राजी थे कि ऐसा सिपाही हमारी आर्मी में भर्ती होने चाहिए। अंग्रेज अधिकारी भी उनके ऊपर विश्वास करते थे। हम आपको बता दें Hewson मंगल पांडे का एक अच्छा अंग्रेज अधिकारी और दोस्त था और वह अंग्रेज अधिकारी और दोस्त मंगल पांडे के ऊपर विश्वास करता था। पर फिर मंगल पांडे के अंदर सवतंत्रता की क्रांति कब पैदा हुई इसके बारे में आगे चर्चा करते है।