सोलन जिले में अभी तक कुल चार वन्य जीव अभ्यारण्य हैं जिनमे चैल वन्यजीव अभयारण्य, डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य, मजाथल हासरंग वन्य अभयारण्य और शिल्ली वन्य जीव अभ्यारण्य के नाम प्रमुख हैं हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटा वन्य जीव अभ्यारण्य सोलन जिले में ही पाया जाता है जिसका नाम शिल्ली वन्यजीव अभ्यारण्य है जो 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस पोस्ट में हम हिमाचल प्रदेश के वन्य जीव अभ्यारण्य के बारे में पढ़ेंगे।
चैल वन्यजीव अभयारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है और इसका निर्माण वर्ष 976 ईस्वी में हुआ था जो लगभग 109 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। चैल वन्यजीव अभयारण्य" सोलन जिला में स्थित है और यह एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। सोलन जिला हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है और यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों के लिए मशहूर है। चैल वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के पौधों, पशुओं और पक्षियों का संरक्षण किया जाता है।
इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव जैसे कि हिरण, बारासिंगा, भालू, टाइगर, और अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं। यहाँ के वन्यजीवों का संरक्षण और उनके जीवन का सहर्ष संवाद देखभाल किया जाता है ताकि वन्यजीवों की जनसंख्या बढ़ सके और इनकी प्रजातियों को बचाया जा सके। यहाँ के अभयारण्य में प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों का अध्ययन करने के लिए पर्यटक भी आते हैं। इसे वन्यजीव दर्शन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
सोलन जिले के वन्य जीव अभ्यारण्य :
1. चैल वन्यजीव अभयारण्य (निर्माण वर्ष 1976, क्षेत्रफल 109 वर्ग किलोमीटर)चैल वन्यजीव अभयारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है और इसका निर्माण वर्ष 976 ईस्वी में हुआ था जो लगभग 109 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। चैल वन्यजीव अभयारण्य" सोलन जिला में स्थित है और यह एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। सोलन जिला हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है और यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों के लिए मशहूर है। चैल वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के पौधों, पशुओं और पक्षियों का संरक्षण किया जाता है।
इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव जैसे कि हिरण, बारासिंगा, भालू, टाइगर, और अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं। यहाँ के वन्यजीवों का संरक्षण और उनके जीवन का सहर्ष संवाद देखभाल किया जाता है ताकि वन्यजीवों की जनसंख्या बढ़ सके और इनकी प्रजातियों को बचाया जा सके। यहाँ के अभयारण्य में प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों का अध्ययन करने के लिए पर्यटक भी आते हैं। इसे वन्यजीव दर्शन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
2. डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य (निर्माण वर्ष 1962, क्षेत्रफल 6 वर्ग किलोमीटर)
डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य एचपी के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना 1962 में की गई थी यह हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटे वन्य जीव अभ्यारण्य में इसकी गिनती की जाती है जो 6 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सोलन जिले में स्थित "डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य" एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है, जो हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण के लिए भी प्रसिद्ध है। इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव जैव विविधता पाई जाती है, जैसे कि हिरन, बार्सापीग, लीपर्ड, ब्लैक बीयर, और अन्य प्रजातियाँ हैं।
डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य एक प्राकृतिक खेलने का स्थल भी है, जो प्राकृतिक आवास, पैदल यात्रा, और प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के लिए आग्रह करता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों के अवलोकन का आनंद लेने के लिए लोग आते हैं।
डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य एचपी के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना 1962 में की गई थी यह हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटे वन्य जीव अभ्यारण्य में इसकी गिनती की जाती है जो 6 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सोलन जिले में स्थित "डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य" एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है, जो हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण के लिए भी प्रसिद्ध है। इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव जैव विविधता पाई जाती है, जैसे कि हिरन, बार्सापीग, लीपर्ड, ब्लैक बीयर, और अन्य प्रजातियाँ हैं।
डालडा घाट वन्य जीव अभ्यारण्य एक प्राकृतिक खेलने का स्थल भी है, जो प्राकृतिक आवास, पैदल यात्रा, और प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के लिए आग्रह करता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों के अवलोकन का आनंद लेने के लिए लोग आते हैं।
3. मजाथल हासरंग वन्य अभयारण्य (निर्माण वर्ष 1962, क्षेत्रफल 60 वर्ग किलोमीटर)
मजाथल हासरंग वन्य अभयारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी .यह वन्य जीव अभ्यारण्य 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक प्रमुख वन्य जीवन संरक्षण क्षेत्र है और यहाँ पर वन्य जीवन की विविधता को संरक्षित करने के लिए कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया जाता है। यहाँ के प्रमुख वन्य जीवन संवर्धन के लिए निम्नलिखित प्रजातियों का प्रमुख वातावरण है:
4. शिल्ली वन्य जीव अभ्यारण्य (निर्माण वर्ष 1963, क्षेत्रफल 2 वर्ग किलोमीटर}
शिल्ली वन्य जीव अभ्यारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1963 में की गई थी यह सोलन का ही नहीं हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटा वन्य जीव अभ्यारण्य है जो केवल 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
मजाथल हासरंग वन्य अभयारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी .यह वन्य जीव अभ्यारण्य 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक प्रमुख वन्य जीवन संरक्षण क्षेत्र है और यहाँ पर वन्य जीवन की विविधता को संरक्षित करने के लिए कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया जाता है। यहाँ के प्रमुख वन्य जीवन संवर्धन के लिए निम्नलिखित प्रजातियों का प्रमुख वातावरण है:
- हिमाचल त्रागोपान (Himalayan Tahr)
- स्याह कबूतर (Monal)
- हिमाचल पहाड़ी भालू (Himalayan Brown Bear)
- हिमाचल पहाड़ी सियार (Himalayan Serow)
- हिमाचल पहाड़ी काकड़ (Himalayan Black Bear)
4. शिल्ली वन्य जीव अभ्यारण्य (निर्माण वर्ष 1963, क्षेत्रफल 2 वर्ग किलोमीटर}
शिल्ली वन्य जीव अभ्यारण्य हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1963 में की गई थी यह सोलन का ही नहीं हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटा वन्य जीव अभ्यारण्य है जो केवल 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।