हिमाचल प्रदेश के चम्बा का इतिहास बहुत पुराना है और और हर कोई चम्बा के इतिहास के बारे में जानना चाहता है। हिमाचल प्रदेश में होने वाली परीक्षाओं में चम्बा के इतिहास से दो या तीन सवाल पूछे जाते हैं। परीक्षा की दृष्टि से ही नहीं चम्बा का इतिहास (History of Chamba) पढने में भी दिलचस्प है इसलिए इस पोस्ट में हम सामान्य ज्ञान की दृष्टि से "चम्बा के इतिहास" की जानकारी साँझा कर रहे हैं। इस आर्टिकल में लगभग चम्बा के इतिहास के सभी पहलुओं को जोड़ा गया है।
चंबा जिले का इतिहास | Chamba History in Hindi
1. हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले का परिचय : चम्बा जिला हिमाचल प्रदेश का हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से पुराना जिला है। यह का पहले पहाड़ी रियासत थी। 15 अप्रैल 1948 में हिमाचल प्रदेश के गठन के समय इस जिले का निर्माण हुआ था। इसलिए 15 अप्रैल को चम्बा जिले का स्थापना दिवस और हिमाचल प्रदेश का स्थापना दिवस दोनों के रूप में मनाया जाता है।
जब चंबा जिले का निर्माण हुआ तब इसके साथ तीन और जिले हिमाचल प्रदेश के बने थे वे थे सिरमौर,महासू, मंडी। यह एक पहाड़ी जिला है इसके इर्द गिर्द हिमाचल के दो जिले हैं एक लाहौलस्पिति और दूसरा काँगड़ा जिला। चम्बा जिले के साथ अन्य राज्यों की जो Boundaries लगती हैं वह हैं जम्मू कश्मीर और पुंजाब। चंबा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य का एक शहर है। हिमाचल प्रदेश में चंबा अपने आकर्षक मंदिरों और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। रावी नदी के तट पर 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंबा, पहाड़ियों के राजाओं की प्राचीन राजधानी थी।
2. चंबा जिले का नामकरण:
चंबा जिले का नामकरण कैसे हुआ या फिर चम्बा का चम्बा नाम कैसे पड़ा। 920 ईसवी में चम्बा रियासत की स्थापना की गई थी और इस रियासत की राजधानी ब्रह्मपुरा थी जो आज भरमौर के नाम से जाना जाता है। 920 ईसवी की बात है जब साहिल वर्मन और उनकी बेटी चम्पावती ब्रह्मपुरा के लिए वापिस जा रहे थे तो चंबावती ने चम्बा शहर के आकर्षण को देखते हुए यहां पर रहने के लिए राजा मरू वर्मन को वाद्य किया इस जिद से वे वहां पर रह गए उसी दिन से चम्बा का नाम मरू वर्मन की बेटी चम्पावती के नाम से चम्बा पड़ गया।
3. चंबा शहर की स्थापना: :
चंबा शहर की स्थापना और चम्बा रियासत की स्थापना दोनों में अंतर है और सवाल पूछे भी जाते हैं इसमें हम आपको बता दें ,चम्बा रियासत की स्थापना मरू वर्मन ने की थी पर चम्बा शहर साहिल वर्मन ने बसाया था। नाम तो मेरु वर्मन ने रखा पर शहर की स्थापना साहिल वर्मन ने हिमाचल प्रदेश की जो भी परीक्षायें होती हैं उसमे पहाड़ी राजाओं से भी सवाल पूछे जाते हैं इसलिए जानते हैं चम्बा जिले के पहाड़ी राजाओं का इतिहास जो रोचक भी है परीक्षा की दृष्टि से जरूरी भी है।
चंबा जिले का प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास:
1. चंबा का प्राचीन इतिहास:
चंबा, हिमाचल प्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है और इसका प्राचीन इतिहास बहुत ही रिच और रोचक है। चंबा नगर और उसके आसपास क्षेत्र में कई पुरातात्विक धरोहरों के अवशेष मिले हैं जो इसके प्राचीन इतिहास की प्रमुख स्रोत होते हैं।
चंबा राजवंश: चंबा का इतिहास चंबा राजवंश से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इस इलाके को लगभग 14वीं सदी से 19वीं सदी तक शासन किया। यह राजवंश नाग वंश से संबंधित माना जाता है और इसका इतिहास रजाओं के प्रतिशोध, युद्ध, और सांस्कृतिक विकास के साथ जुड़ा हुआ है।
चंबा के मंदिर: चंबा नगर में कई प्राचीन हिन्दू मंदिर हैं, जैसे कि चमुंदा देवी मंदिर, ब्रजेश्वरी मंदिर, और बारा पथर मंदिर, जो इस इलाके के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। इन मंदिरों का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और वे अर्थ, संस्कृति, और समाज के प्रतिस्थापक के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
चंबा का संस्कृति और कला: चंबा का संस्कृति और कला भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से को प्रकट करता है। यहां की प्राचीन चित्रकला, और स्थानीय गीत, नृत्य और कविता इस इलाके की विशेषता हैं।
बुध धर्म: चंबा में बुढ़ धर्म का प्रचलन भी रहा है और यहां के बुढ़ मठ और विहार इसका साक्षर रहे हैं।
चंबा के इतिहास में समर्थ राजा: चंबा के इतिहास में कई समर्थ और महान राजा रहे हैं, जैसे कि राजा साहिल वर्मन, जिन्होंने इस क्षेत्र को अपने शासनकाल में विकसित किया। चंबा का प्राचीन इतिहास इस क्षेत्र की धर्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए महत्वपूर्ण है और यह एक रोचक और महत्वपूर्ण विषय है। यदि आप इसके अधिक विवरण चाहते हैं, तो स्थानीय पुरातात्विक अनुसंधान और इतिहास ग्रंथों का सहायता लेने की सलाह दी जा सकती है।
2. चंबा का मध्यकालीन इतिहास :
चंबा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला है और इसका मध्यकालीन इतिहास भी दिल्ली सुल्तानात और मुघल साम्राज्य के साथ जुड़ा हुआ है। चंबा का इतिहास इस प्रकार है:
गुप्त साम्राज्य काल (4वीं से 6वीं सदी ईसा): गुप्त साम्राज्य काल के दौरान, चंबा एक छोटे से गौरवशाली राज्य के रूप में मौजूद था। इस समय यह भूमिगत और धार्मिक केंद्र था।
दिल्ली सुल्तानात काल (13वीं से 16वीं सदी तक): चंबा दिल्ली सुल्तानात के अधीन आया और सुल्तानों के शासन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान, इसके राजा अपनी स्वतंत्रता की सद्गति प्राप्त करने के लिए उनकी सेवाओं को प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते थे।
मुघल साम्राज्य काल (17वीं से 19वीं सदी तक): मुघल सम्राटों के शासन के दौरान, चंबा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा और साम्राज्य के साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र बन गया।
ब्रिटिश साम्राज्य काल (19वीं सदी के आस-पास): चंबा ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आया और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन कई साल तक रहा।
स्वतंत्रता संग्राम (20वीं सदी की शुरुआत): चंबा भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उद्घाटन कार्यक्रमों का हिस्सा बना।
इसके बाद, 1947 में भारत की आजादी के बाद, चंबा हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बना और आज भी यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इलाका है।
कृपया ध्यान दें कि यह एक सारांश है और अधिक विस्तारित इतिहास के लिए और अधिक जानकारी के लिए स्थानीय पुस्तकों और संसाधनों का सहारा लिया जा सकता है।
3. चंबा का आधुनिक इतिहास:
चंबा, हिमाचल प्रदेश, भारत का एक प्रमुख शहर है जिसका इतिहास काफी पुराना है। चंबा का आधुनिक इतिहास निम्नलिखित तरीके से विकसित है:
प्राचीन काल: चंबा का ऐतिहासिक उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है, और कहा जाता है कि यह शहर महाभारत के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। चंबा क्षेत्र के पास स्थित ब्रह्मगौरी तापु, जो महाभारत में उल्लिखित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है।
गुप्त साम्राज्य का काल: चंबा का इतिहास गुप्त साम्राज्य के समय भी महत्वपूर्ण था। इस काल में चंबा एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और धार्मिक केंद्र था।
राजपूत शासकों का शासन: चंबा क्षेत्र में राजपूत शासकों का शासन था, और यह शहर उनके शासकीय सत्ता का मुख्य केंद्र था।
सिक्किम साम्राज्य काल: चंबा क्षेत्र ने सिक्किम साम्राज्य के शासकों का समर्थन किया और इसका हिस्सा बन गया।
ब्रिटिश शासन काल: 19वीं सदी में, चंबा क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आया।
स्वतंत्रता संग्राम: चंबा क्षेत्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण योगदान दिया और स्वतंत्रता संग्राम के समय इसके नागरिकों ने विभाजन और असहमति के बावजूद स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
हिमाचल प्रदेश का हिस्सा: भारत की स्वतंत्रता के बाद, चंबा हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बना और यहाँ पर स्थानीय सरकारों द्वारा प्रशासित होता है।
चंबा का आधुनिक इतिहास इसके विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रकट करता है और यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है जिसे भारत और विदेशी पर्यटक दोनों ही आकर्षित होते हैं।
चंबा राजवंश के राजा :
1. मेरु वर्मन 680 ईस्वी से:
अब प्रश्न ये है की की मेरु वर्मन ने चम्बा में किन किन मदिरों का नर्माण करवाया वे थे भरमौर में छतराड़ी में माँ शक्ति मंदिर निर्माण, भरमौर में 84 मंदिर, गणेश मंदिर, चम्बा में नरसिम्हा मंदिर आदि।
2. मूंसांवर्मन 820 ईस्वी
रानी ने मूंसां वर्मन की जान बचाने के लिए उसको एक गुफा में छिपा दिया। जब कुछ दिनों बाद रानी उस गुफा में लौटीं तो उस बच्चे की रक्षा करते कई चूहों को देखा गया। चूहे को मूसा कहा जाता है इस लिए उसका नाम "मूंसां वर्मन" रखा गया।
3. साहिल वर्मन 920 ईस्वी
साहिल वर्मन अपनी लड़की के साथ बहुत प्यार करता था लड़की चम्पावती ने वहां पर जब शहर बसने की जिद्द की तो साहिल वर्मन ने चम्बा शहर की स्थापना की और इस शहर का नाम चम्पावती के नाम से ही रखा गया जिसे आज "चम्बा" के नाम जाना जाता है। ये 920 ईस्वी की बात है।
युगांकर वर्मन 940 ई०
4. सलवाहन बर्मन 1040 ईस्वी
5. जसाटावर्मन 1105 ईस्वी
6. उदय वर्मन - 1120 ईस्वी
7. ललित वर्मन - 1142 ईस्वी
8. विजयवर्मन 1175 ईस्वी
9. गणेश बर्मन 1512 ईस्वी
11. बलभद्र 1589 ईस्वी या जनार्दन
बलभदर चम्बा के सभी राजाओं में से दानी, दयालु और उदार माना जाता था। चम्बा के लोग इसकी तुलना महाभारत के राजा दानवीर कर्ण के साथ करते थे। उनके बेटे का नाम जनार्दन था जो सत्ता के लिए उतुसक था बलभद्र के दानी होने के कारण ही उनके बेटे जनार्दन ने उन्हें सिहासन से हटा दिया था। बार काँगड़ा के राजा जगत सिंह और जनार्दन के बीच युद्ध हुआ और इसमें चम्बा के राजा जनार्दन की हार हुई थी। जहांगीर जनार्दन के समकालीन थे और 1622 की बात है जब वे जहांगीर को मिलने भी गए थे अर्थात सहायता लेने गए थे।
12. पृथ्वी सिंह 1641 ईसवी
12. पृथ्वी सिंह 1641 ईसवी
उसके बाद चम्बा रियासत की बागडोर पृथवी सिंह ने संभाली जगत सिंह मुग़ल राजा शाहजहां के समकालीन थे। जगत सिंह ने 1641 में शाहजहाँ के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। पृथवी सिंह ने इस मोके का फायदा उठाया और वह मंडी के राजा और सुकेत के राजा की मदद से चम्बा के ऊपर कब्ज़ा करने की कोशिश की रोहतांग दर्रे से होते हुए वे चम्बा की पांगी और चुराह तहसील में पहुंचे और चम्बा पर कब्ज़ा कर लिया।
उस वक्त काँगड़ा की गुलेर रियासत का राजा मानसिंघ चम्बा के राजा जगत सिंह का दुश्मन था उसने भी पृथ्वी सिंह की इस कार्य में सहायता की। भलेई परंगना को देकर पृथ्वी सिंह ने बसोली के राजा के साथ गठबंधन कर लिया।
13. चतर सिंह 1464 ईसवी
उसके बाद चम्बा रियासत की बागडोर चतर सिंह ने संभाली और चतरसिंह ने बसोली रियासत पर हमला करके उस पर कब्ज़ा कर लिया था। उस वक्त पुरे भारत में ओरंगजेब का अत्याचार चल रहा था वे ओरंगजेब के ही समकालीन थे औरंगजेब ने जब उन्हें भी चम्बा के सभी मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया तो उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया था।
14. उदय सिंह 1690 ईस्वी
अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद, चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपनी बेटी के साथ प्यार में एक नाई को नियुक्त किया था और उसका नाम चंबा का वज़ीर रखा था।
15. उम्मेद सिंह 1748 ईस्वी
उम्मेद सिंह ने चम्बा के राज्य का विस्तार किया उनका राज्य चम्बा से लेकर मंडी रियासत की सीमा तक फैला हुआ था। उनको एक पुत्र हुआ जिसका नाम राजसिंघ रखा गया था उनका जन्म चंबा की तहसील राजनगर में हुआ था। उम्मेद सिंह ने राजनगर में 'नाडा महल' का निर्माण कराया। चंबा में जो रंग महल है उसका निर्माण भी राजसिंघ ने ही करवाया था।
हम सभी जानते हैं की उस वक्त राजा की मृत्यु के बाद रानी सती हो जाती थी पर वे एक ऐसे राजा थे जिन्होंने रानी को अपनी मृत्यु के बाद सती न होने के आदेश दिए थे। उम्मेद सिंह की मृत्यु 1764 ईसवी में हुई।
16. राज सिंह 1764 ईस्वी
चम्बा के इतिहास में ये पहली बार था कि चम्बा रियासत में सबसे कम उम्र में राजसिंघ राजा बना जो 9 साल की उम्र में राजा बना था। राजसिंघ ने काँगड़ा के राजा संसार चंद के साथ भी युद्ध किये ये युद्ध संसांर चाँद के साथ रिहलू क्षेत्र में हुआ था ये लड़ाई 1794 ईस्वी में लड़ी गई थी। जब शाहपुर में युद्ध हुआ उसमे राजा राजसिंघ की मृत्यु हो गई। निक्का, रांझा, छज्जू, और हरकू राजसिंह कई अदालतों के कुशल कलाकार थे।
17. जीत सिंह 1794 ईस्वी
जीत सिंह के समय काँगड़ा के राजा और चम्बा के राजा का आपस में बहुत dispute था जीत सिंह ने वजीर नाथू को काँगड़ा के राजा संसांर चंद के साथ युद्ध के लिए भेजा। उसके साथ अमर सिंह थापा, महान चंद, युद्ध लड़ने के लिए गए थे।
18. चरहत सिंह 1808 ईस्वी
19. श्री सिंह 1844 ईस्वी
श्री सिंह चम्बा के सिंहासन पर 5 साल की उम्र में विराजमान हुए। उस वक्त चम्बा ब्रिटिश शासन काल में आता था। ब्रिटिश ने चम्बा रियासत को जम्मू के राजा को दे दिया पर भगा सिंह जो चम्बा का वजीर था के प्रयासों से चम्बा रियासत को वापस लिया गया।
20. गोपाल सिंह 1870 ईस्वी
श्री सिंह की मृत्यु के बाद चम्बा के सिंहासन पर श्री सिंह के भाई गोपाल सिंह जी विराजमान हुए। वे एक ऐसे राजा थे जिन्होंने चम्बा रियासत की खूबसूरती के लिए काम किये। उनके कार्यकाल के दौरान भगवान मेयो चंबा 1871 ईस्वी में पहुंचे।
21. शाम सिंह 1873 ईसवी
शाम सिंह को जनरल रेनल टेलर ने 7 साल की उम्र में राजा बनाया और मियां अवतार सिंह को वजीर बनाया गया। सर हेनरी डेविस ने 1874 में चंबा की यात्रा की। शाम सिंह ने 1875 ई। के दिल्ली दरबार में भाग लिया। और 1877 ईस्वी 1878 ईस्वी में, जॉन हैरी को शाम सिंह का गुरु नियुक्त किया गया। 1880 में चंबा हॉप की खेती शुरू हुई। सर चार्ल्स आईटी एरिक्सन ने 1883 ईस्वी में चंबा की यात्रा की।
22. राजा भूरी सिंह 1904 ईसवी
उसके बाद राजा भूरी सिंह चम्बा के रियासत के राजा बने। राजा भूरी सिंह ने 1 जनवरी, 1906 को नाइटहुड की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने चंबा में भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना की। जब पहला विश्व युद्ध हुआ तो उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सहायता की। उन्होंने 1910 में साल नदी पर एक बिजलीघर बनाया गया, जिसने चंबा शहर को बिजली प्रदान की। राजा भूरी सिंह की मृत्यु 1919 में हो गई। राजा भूरी सिंह की मृत्यु के बाद टक्कर सिंह चम्बा के राजा बने जिन्होंने (1919-1935) तक चंबा पर राज किया।
23. राजा लक्ष्मण सिंह (1935)
राजा लक्ष्मण सिंह को 1935 में चंबा का अंतिम राजा नियुक्त किया गया था। चंबा रियासत 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बनी।