राजस्थान चित्तौरगढ़ जिले का सामान्य ज्ञान | Rajasthan Chittorgarh District General Knowledge in Hindi
दोस्तों चित्तौड़गढ़ जिला राजस्थान का जिला है और इस जिले का अपना अस्तित्व और इतिहास है। अक्सर राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में इस जिले के बारे में सवाल जरूरो पूछे जाते हैं। GK Pustak के इस भाग में हम चितोड़गढ़ जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी दे रहे हैं। इस पोस्ट में लगभग चित्तौड़गढ़ जिले के सामान्य ज्ञान के हर पहलु को बताया गया है।
Chittorgarh GK : चित्तौड़गढ़ जिले का सामान्य ज्ञान
राजस्थान के चितोड़गढ़ जिले के इतिहास का सामान्य ज्ञान | Chittorgarh History GK
चित्तौड़गढ़ दुर्ग इस दुर्ग का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण चित्रांगद मौर्य के द्वारा करवाया गया था । चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजस्थान राज्य का सबसे प्राचीनतम दुर्ग है। इस दुर्ग का निर्माण चित्रकूट नामक पहाडी पर करवाया गया है। चित्तौड़गढ़ शूरवीरों और योद्धाओं का शहर माना जाता है जो पहाड़ी पर बने दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है चित्तौड़गढ़ की बात करें तो इसकी प्राचीनता का पता लगाना कठिन कार्य है।
पर प्राचीन इतिहास कारों के अनुसार किन्तु महाभारत काल में महाबली भीम ने अपने आप को अमर करने के लिए या फिर अमरत्व का रहस्य समझने के लिए यहां का भर्मण किया था। और इस कार्य को पूरा करने के लिए भीम ने एक गुरु का सहारा लिया था।
पर सयोंगवश या किस कारणों से ये भीम की इच्छा पूरी नहीं हो सकी और भीम ने गुस्से में आकर यहां पर जोर से पैर मारा था जिससे वहां पर पारी की फुआरा निकला और पानी का तालाब बन गय जिसे भीम ताल के नाम से जाना जाता है। यह स्थान 1568 में चित्तोड़ मेवाड़ की राजधानी रहा है। यह रियासत 16वीं शताब्दी में गुजरात से अजमेर तक फैला हुआ था। जब भारत आजाद हुआ तब इस जिले का निर्माण 1 अगस्त 1948 को जिले के रूप में हुआ।
चित्तौरगढ़ राजा महाराणा प्रताप की History
महाराणा प्रताप जी जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ राजस्थान में ह्या था। महाराणा प्रताप जी के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय था। महाराणा प्रताप जी की माता का नाम रानी जीवन कंवर था। महाराणा प्रताप जी निधन 29 जनवरी, 1597 को चावंड में हुआ था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने चित्तौड़ में अपनी राजधानी के साथ मेवाड़ राज्य पर शासन किया।
अपने 25 भाइ में वे सबसे बड़े थे इसलिए उन्हें क्राउन प्रिंस की उपाधि दी गई थी। सिसोदिया राजपूतों में वे मेवाड़ 54 वें शासक शासक बने। जब वे प्रिंस की उपाधि से नवाजे गए उस वक्त उनकी उमर कुल 25 थी। उन्हें 1567 में क्राउन प्रिंस की उपाधि से नवाजा गया था उस वक्त चित्तोड़ ग्रह मुग़ल सम्राट अकबर की सेनाओं से गिरा हुआ था।
महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने चित्तौड़ को छोड़ने और अपने परिवार को मुगलों से मिलाने के बजाय गोगुन्दा में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। युवा प्रताप सिंह मुगलों से लड़ना चाहते थे, लेकिन बड़ों ने हस्तक्षेप किया और उन्हें चित्तौड़ छोड़ने के लिए मना लिया, इस तथ्य से बेखबर कि चित्तौड़ का यह कदम आने वाले समय के लिए इतिहास रचने वाला था।
पर प्राचीन इतिहास कारों के अनुसार किन्तु महाभारत काल में महाबली भीम ने अपने आप को अमर करने के लिए या फिर अमरत्व का रहस्य समझने के लिए यहां का भर्मण किया था। और इस कार्य को पूरा करने के लिए भीम ने एक गुरु का सहारा लिया था।
पर सयोंगवश या किस कारणों से ये भीम की इच्छा पूरी नहीं हो सकी और भीम ने गुस्से में आकर यहां पर जोर से पैर मारा था जिससे वहां पर पारी की फुआरा निकला और पानी का तालाब बन गय जिसे भीम ताल के नाम से जाना जाता है। यह स्थान 1568 में चित्तोड़ मेवाड़ की राजधानी रहा है। यह रियासत 16वीं शताब्दी में गुजरात से अजमेर तक फैला हुआ था। जब भारत आजाद हुआ तब इस जिले का निर्माण 1 अगस्त 1948 को जिले के रूप में हुआ।
चित्तौरगढ़ राजा महाराणा प्रताप की History
महाराणा प्रताप जी जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ राजस्थान में ह्या था। महाराणा प्रताप जी के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय था। महाराणा प्रताप जी की माता का नाम रानी जीवन कंवर था। महाराणा प्रताप जी निधन 29 जनवरी, 1597 को चावंड में हुआ था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने चित्तौड़ में अपनी राजधानी के साथ मेवाड़ राज्य पर शासन किया।
अपने 25 भाइ में वे सबसे बड़े थे इसलिए उन्हें क्राउन प्रिंस की उपाधि दी गई थी। सिसोदिया राजपूतों में वे मेवाड़ 54 वें शासक शासक बने। जब वे प्रिंस की उपाधि से नवाजे गए उस वक्त उनकी उमर कुल 25 थी। उन्हें 1567 में क्राउन प्रिंस की उपाधि से नवाजा गया था उस वक्त चित्तोड़ ग्रह मुग़ल सम्राट अकबर की सेनाओं से गिरा हुआ था।
महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने चित्तौड़ को छोड़ने और अपने परिवार को मुगलों से मिलाने के बजाय गोगुन्दा में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। युवा प्रताप सिंह मुगलों से लड़ना चाहते थे, लेकिन बड़ों ने हस्तक्षेप किया और उन्हें चित्तौड़ छोड़ने के लिए मना लिया, इस तथ्य से बेखबर कि चित्तौड़ का यह कदम आने वाले समय के लिए इतिहास रचने वाला था।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की भौगोलिक स्थिति | Geography GK
- चित्तौड़गढ़ जिले की अक्षांश में स्थिति - 24.88 ° N
- जिले की दिशांतर में स्थिति में स्थिति - 74.63 ° E
- जिले की औसत ऊंचाई - 394 मीटर (1292 फीट)
- उत्तर भाग में स्थित स्थान - भीलवाड़ा
- पश्चिम भाग में स्थित स्थान - जिला उदयपुर राजस्थान का
- पूर्व भाग में स्थित स्थान- नीमच
- दक्षिण भाग में स्थित स्थान - राजस्थान का प्रतापगढ़ जिला
अरावली पर्वतमाला पूरे जिले को को घेर रखा है। यहां के मैदान बहुत उपजाऊ हैं। जिले का पश्चिमी भाग मेवाड़ का हिस्सा है। जो अनियमित, विच्छेदित और बर्छ नदी और उसकी सहायक नदियों, गम्भीरी और वैगन से घिरा हुआ है, ढलानों में फेर्रा आम तौर पर पूर्व और उत्तर पूर्व की ओर है। जिले का पश्चिमी हिस्सा सबसे पुराना है। यह हिस्सा अरावली पर्वत से संबंधित है और 2500 मिलियन से यहां पर जमा है। ये सब अधिक वर्षा के कारण हुआ है। ये चट्टानें बराक ग्रेनाइट की बनी हुई हैं।
बाद में उन्हें नष्ट कर दिया गया और विंध्य की चट्टानों के अवसादन से पहले समतल किया गया था। इस जगह की ये भौगोलिक गतिविधि लगभग 1400 मिलियन साल पहले शुरू हुई थी। इस का खरालिया क्षेत्र इसके बारे में सब स्पष्ट करता है। इस क्षेत्र की विंध्ययन चट्टानें बिहार के रोहतास से लेकर चित्तौड़गढ़ तक फैली हुई हैं। यह जिला खनिज संसाधनों से संपन्न है।
चित्तौड़गढ़ जिले का तापमान और जलवायु
चित्तौड़गढ़ जिले की जलवायु काफी शुष्क है। क्योंकि यह जिला राजस्थान राज्य का हिस्सा है इस लिए यहां पर काफी गर्मी रहती है। गर्मियों का मौसम अप्रैल से जून तक होता है और काफी गर्म होता है। ग्रीष्म काल में औसत तापमान 47.8 डिग्री सेल्सियस से 23.8 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मई और जून को साल का सबसे गर्म महीना माना जाता है जब तापमान 45 ° C तक पहुंच जाता है। दूसरी तरफ मौसम आगंतुकों के लिए सुखद रहता है।इस जगह का औसत उच्च तापमान 28 ° C है और 33 ° C के बीच होता है और निम्न तापमान 10 ° C पर रहता है।
राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले का प्रशासनिक ढांचा
- चितोड़गढ़ जिले की तहसीलों की संख्या - 11 (बेगुन, चित्तौड़गढ़,निंबाहेङा, रश्मि, रावतभाटा,गंगरार,रावतभाटा,डूंगला,निंबाहेङा,कपासन )
- चितोड़गढ़ जिले की उप तहसीलों की संख्या- 4 (देवगढ़,पारसोली, भदोसरा,भोपालनगर
- पंचायत समिति की संख्या -- 11 बरिसरि,बेगुन ,भदेसर,चितोड़गढ़,डूंगला,गंगार,
- कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 5 पांच
- कुल विधानसभा क्षेत्रों के नाम - 1. बड़ी सादड़ी 2. बेंगु, 3. चित्तौड़गढ़ , 4. निम्बाहेड़ा 5 . कपासन
- चित्तौड़गढ़ में ग्राम पंचायतों की संख्या – 288
राजस्थान के चितोड़गढ़ जिले की जनसांख्यिकी ( Demographi Structure of Chittorgarh District 2011
- चित्तौड़गढ़ जिले का कुल क्षेत्रफल – 10856 वर्ग किलोमीटर
- कुल वन क्षेत्रफल – 1120.75 वर्ग किलोमीटर
- कुल जनसंख्या —15,44,338
- पुरुष जनसंख्या — 7,83,171
- स्त्री जनसंख्या -- 7,61,167
- लिंगानुपात -- 972
- जनसंख्या घनत्व—197
- साक्षरता दर— 61.7%
- चित्तौड़गढ़ जिले की पुरुष साक्षरता दर — 76.6%
- चित्तौड़गढ़ जिले की महिला साक्षरता दर — 46.5%
- जिले में प्रति 10 साल में जनसंख्या वृद्धि दर —16 %
चित्तौड़गढ़ जिले की प्रमुख नदियों का सामान्य ज्ञान
1 - चम्बल नदी (Chambal River)
चम्बल नदी का प्रवेश स्थान चित्तौरगढ़ में चोरासीगढ़ में है। इस नदी पर भैंसरोगढ़ के समीप चम्बल नदी पर ‘चूलिया जलप्रताप’ से महाराणा सागर बांध का निर्माण किया गया है। इसकी ऊंचाई 18 मीटर है। जल प्रभाव की दृष्टि से ये राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।
2- बामनी नदी (Bamni River)
2- बामनी नदी (Bamni River)
बामनी नदी उद्गम चित्तौड़गढ़ के हरपुर गांव से हुआ है। ये नदी भैंसरोड़गढ़ के समीप चंबल में मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई लगभग 25 किलोमीटर है। चित्तौड़गढ़ की अन्य सहायक नदियां - बनास, बेड़च, गुंजाल, बागन, औराई, गम्भीरी, सीबना, जाखम चित्तौरगढ़ की अन्य सहायक नदियां हैं।
राणा प्रताप सागर बांध का सामान्य ज्ञान
राणा प्रताप सागर बांध का सामान्य ज्ञान
राणा प्रताप सागर की ऊँचाई 54 मीटर है। राणा प्रताप सागर बाँध राजस्थान में चूलिया जलप्रपात पर बनाया गया है। इस बांध की दूरी गाँधीसागर बाँध से 48 कि.मी. है। भैंसरोड़गढ़ के निकट ही चूलिया प्रपात है। राणा प्रताप सागर बाँध काफ़ी बड़ा है। यह बांध राजस्थान का सबसे अतः यह राजस्थान राज्य का सबसे अधिक विद्युत क्षमता वाला बांध है। यहाँ पर 43 मेगावाट की चार विद्युत इकाइयां लगाई गई हैं। और इस बांध की ऊंचाई 1100 मीटर है।
चित्तौड़गढ़ जिले का ज्ञान तीन साकों के वगेर अधूरा है इसलिए वे भी जरूरी हैं जिसकी जानकारी नीचे दी गई है। पहले आपको बता दें की साके का अर्थ होता है युद्ध और उस युद्ध के परिणाम के बाद हारने वाले को केसरिया और रानी का जोहर करवाना पड़ता था।
चित्तौड़गढ़ जिले का ज्ञान तीन साकों के वगेर अधूरा है इसलिए वे भी जरूरी हैं जिसकी जानकारी नीचे दी गई है। पहले आपको बता दें की साके का अर्थ होता है युद्ध और उस युद्ध के परिणाम के बाद हारने वाले को केसरिया और रानी का जोहर करवाना पड़ता था।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख साके
चित्तौड़गढ़ का पहला साका
चित्तौड़गढ़ का पहला साका 1303 ई.अलाउद्दीन खिलजी व रत्नसिंह के मध्य हुआ था। इस साके में रत्न सिंह ने केसरिया किया और उसकी रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ जौहर किया।इसके बाद अलाउद्दीन ने इस दुर्ग का नाम खिज्राबाद रखा था। यहां पर जोहर मेला भी लगता है।
चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका
चित्तौड़गढ़ का पहला साका 1303 ई.अलाउद्दीन खिलजी व रत्नसिंह के मध्य हुआ था। इस साके में रत्न सिंह ने केसरिया किया और उसकी रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ जौहर किया।इसके बाद अलाउद्दीन ने इस दुर्ग का नाम खिज्राबाद रखा था। यहां पर जोहर मेला भी लगता है।
चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका
चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका गुजरात के बहादुरशाह एवं मेवाड़ के विक्रमादित्य के मध्य में हुआ। यह साका 1534 (1535 में हुआ था। इस साके के बाद बाघसिंह ने केसरिया किया और रानी कर्मावती ने जौहर किया। आपको ये भी याद रखना चाहिए की इसी सके के दौरान कर्मावती ने सहायता हेतु हूमायुं को राखी भेजी थी।
चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका
चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका
चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका 1568 में अकबर व उदयसिंह ने मध्य युद्ध हुआ। इस साके में जयमल वफता ने केसरिया किया एवं फता की पत्नी फूलकंवर ने जौहर किया था।
चित्तौरगढ़ जिले के प्रमुख मंदिरों, और देखने योग्य सतम्भो , या दुर्गों का सामान्य ज्ञान
विजय स्तम्भ ( Vijay Stambh)
विजय स्तम्भ का निर्माण कुम्भा ने महमूद खिलजी के खिलाफ किया था। इसका निर्माण 1437 ई. किया गया था। यह स्तम्भ डमरू के आकार है। विजय स्तम्भ के उपनाम हैं हिन्दू मूर्तिकला का विश्वकोश, मूर्तियों का अजायबघर, विक्ट्री टावर। इस स्तम्भ आधार 30 फीट है ऊंचाई -122 फीट है मंजिले- 9 हैं , 157 सीढ़ियां है। इस स्तम्भ की तीसरी मंजिल पर अरबी में नौ बार अल्लाह शब्द लिखा है।
कीर्ति स्तम्भ (Kirti Stambh)
कीर्ति स्तम्भ (Kirti Stambh)
कीर्ति स्तम्भ (Kirti Stambh) का निर्माण बारहवीं शताब्दी में करवाया था। कीर्ति स्तम्भ का निर्माण दिगम्बर सम्प्रदाय के बघेरवाल महाजन सानाय के पुत्र जीजा ने करवाया था। इसकी ऊंचाई 75 फुट और 7 मंजिलें हैं।
मीरां मन्दिर (Mira Mandir)
मीरां मन्दिर (Mira Mandir)
इस मंदिर में मीरा की प्रतिमा विराजमान है।
मोकल जी का मन्दिर
मोकल जी का मन्दिर
मोकल जी का मंदिर का निर्माण मालवा के राजा भोज ने तथा पुनर्निर्माण मोकल ने करवाया इसलिए इसे मोकल मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कालिका माता मन्दिर
कालिका माता मन्दिर
यह मंदिर सूर्य मंदिर है और इसका निर्माण मूलतः 7वीं सदी में किया गया है।
कुंभ श्याम मन्दिर
कुंभ श्याम मन्दिर
कुम्भश्याम मन्दिर का निर्माण कुम्भा ने करवाया था। इस मंदिर में विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा है।चितोड़गढ़ जिले की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
रावतभाटा परमाणु ऊर्जा केन्द्र
रावत भाता 1960 के दशक में कनाडा की सहायता से बनाया गया। एसईसीएल कंपनी की सहायता से इस स्थान को परमाणु ऊर्जा केन्द्र के रूप में बदला गया। रावतभाटा परमाणु ऊर्जा केंद्र भारत का दूसरा अणुशक्ति केन्द्र है। रावतभाटा परमाणु ऊर्जा केंद्र के कारण इसे राजस्थान की अणु नगरी के नाम से जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ जिले के अन्य तथ्य
राजस्थान की निजी क्षेत्र में प्रथम चीनी मिल-द मेवाड़ शुगर मिल्स लिमिटेड स्थित है। इसका निर्माण 1932 में किया गया था। यह शुगर मिल चित्तौड़गढ़ के भोपाल सागर में स्थित है।
यहां पर मेवाड़ की पुकार का भी जिक्र है जिसे आदिवासियों के मसीहा बावजी से जोड़ा जाता है उन्हे मेवाड़ के गाँधी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने भीलों की 21 माँगों का जिक्र किया और आंदोलन किया जिसे ‘मेवाड़ पुकार’ की संज्ञा दी गई।
राजस्थान की निजी क्षेत्र में प्रथम चीनी मिल-द मेवाड़ शुगर मिल्स लिमिटेड स्थित है। इसका निर्माण 1932 में किया गया था। यह शुगर मिल चित्तौड़गढ़ के भोपाल सागर में स्थित है।
यहां पर मेवाड़ की पुकार का भी जिक्र है जिसे आदिवासियों के मसीहा बावजी से जोड़ा जाता है उन्हे मेवाड़ के गाँधी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने भीलों की 21 माँगों का जिक्र किया और आंदोलन किया जिसे ‘मेवाड़ पुकार’ की संज्ञा दी गई।
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