राजस्थान के जिलों में बांसवाड़ा जिला भी एक है। और इस जिला के कई ऐसे तथ्य हैं जो राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं। जैसे इस जिले का इतिहास इस जिले की भौगोलिक स्थिति, नदियां ,मदिर,क्षेत्रफल आदि। इसलिए GK Pustak के माध्यम से हम बांसवाड़ा जिले के सामान्यज्ञान की जानकारी आपके लिए लाये हैं जो बांसवाड़ा जिले के बारे में लगभग हर Concept को Clear करेगा।
बांसवाड़ा जिले का शाब्दिक अर्थ है बांसों का देश। यह जिला ब्रिटिश भारत के दौरान राजपूताना में एक राजपूत राज्य का भाग था। बांसवाड़ा जिला वागड़ या वागवार के नाम से जाना जाता है। यहां पर नरसंहार हुआ था जो ब्रिटश काल में ही हुआ था इसलिए इसे दूसरा जलियावाला बाग़ के नाम से भी जाना जाता है । इस के जंगलों में बांस बहुत पाये जाते हैं इसलिए इसे बांसों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
17 नवंबर 1913 की बात है दक्षिण राजस्थान का बांसवाड़ा जिला अंग्रेजों द्वारा लगभग 1500 आदिवासियों से नरसंहार का गवाह है। इस नरसंहार में 329 लोग गोलीबारी में मारे गए थे। ब्रिटिश सेनाओं ने राजस्थान-गुजरात सीमा पर अरावली पहाड़ों में स्थित मांगर पहाड़ी पर एकत्रित आदिवासियों पर गोलियां चलाईं। आदिवासियों का नेतृत्व उनके नेता गोविंद गुरु ने किया था।
गोविंद गुरु ने ही ने आदिवासियों को अंगेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया था। गोविंद गुरु दयानन्द जी की शिक्षाओं से प्रेरित थे। उन्होंने आंदोलन ’की शुरुआत करते हुए आदिवासियों को शाकाहार का पालन करने और सभी प्रकार के नशे से दूर रहने के लिए लिए प्रेरित किया। आंदोलन धीरे-धीरे एक राजनीतिक रंग ले लिया और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आंदोलन में बदल गया।
बांसबाड़ा जिले की भौगोलिक स्थति या भूगोल का सामान्य ज्ञान | Geography GK
Banswara District GK | राजस्थान बांसवाड़ा जिले का सामान्य ज्ञान
बांसवाड़ा जिले का इतिहास सामान्य ज्ञान या परिचय | Banswara District History GK
17 नवंबर 1913 की बात है दक्षिण राजस्थान का बांसवाड़ा जिला अंग्रेजों द्वारा लगभग 1500 आदिवासियों से नरसंहार का गवाह है। इस नरसंहार में 329 लोग गोलीबारी में मारे गए थे। ब्रिटिश सेनाओं ने राजस्थान-गुजरात सीमा पर अरावली पहाड़ों में स्थित मांगर पहाड़ी पर एकत्रित आदिवासियों पर गोलियां चलाईं। आदिवासियों का नेतृत्व उनके नेता गोविंद गुरु ने किया था।
गोविंद गुरु ने ही ने आदिवासियों को अंगेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया था। गोविंद गुरु दयानन्द जी की शिक्षाओं से प्रेरित थे। उन्होंने आंदोलन ’की शुरुआत करते हुए आदिवासियों को शाकाहार का पालन करने और सभी प्रकार के नशे से दूर रहने के लिए लिए प्रेरित किया। आंदोलन धीरे-धीरे एक राजनीतिक रंग ले लिया और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आंदोलन में बदल गया।
बांसबाड़ा जिले की भौगोलिक स्थति या भूगोल का सामान्य ज्ञान | Geography GK
राजस्थान बांसबाड़ा का जिला यह जिला ज्यादातर गुजरात की सीमाओं से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में राजस्थान का डूंगरपुर जिला और राजस्थान का उदयपुर जिला है।इस District की उत्तरपूर्वी सीमा प्रतापगढ़ द्वारा जिले की सीमाओं से घिरा हुआ है। होलकर और झाबुआ राज्य पर दक्षिण में स्थित है। रीवा कांथा राज्य इस जिले के पश्चिम में हैं।
इस जिले का पूर्वी भाग की समतल चोटी की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस राज्य की जल निकासी प्रणाली माही नदी के अंतर्गत आती है। जो मध्य प्रदेश में धार के पास अमझेरा पहाड़ियों से निकलती है। माही नदी इस जिले की प्रमुख नदी है।माही नदी की मुख्य सहायक नदियाँ अनास, चनप, एराव, हिरन और कागडी हैं। माही नदी से दाईं और बाईं मुख्य नहरें इस जिले की भूमि की सिंचाई करती हैं।
बांसवाड़ा जिले का कुल क्षेत्रफल → लगभग 5037 वर्ग किलोमीटर
कुल जनसंख्या— 17,97,485
परुष जनसँख्या - 9,07,754
स्त्री जनसंख्या - 8,89,731
नगरीय क्षेत्रफल - 22 वर्ग किलोमीटर
ग्रामीण क्षेत्रफल -- 5015 वर्गकिलोमीटर
लिंग अनुपात - 980
जनसँख्या घनत्व - 397
साक्षरता दर - 56.3%
पुरुष साक्षरता दर - 69.5%
स्त्री साक्षरता दर - 43.1%
क्योंकि यहां पर बांस के जंगलों की अधिकता है।दूसरा कारण ,उस वक्त से शासक जगमाल ने भील जाति के बसना नामक की हत्या की थी इसलिए भी इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा था।
इस जिले का पूर्वी भाग की समतल चोटी की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस राज्य की जल निकासी प्रणाली माही नदी के अंतर्गत आती है। जो मध्य प्रदेश में धार के पास अमझेरा पहाड़ियों से निकलती है। माही नदी इस जिले की प्रमुख नदी है।माही नदी की मुख्य सहायक नदियाँ अनास, चनप, एराव, हिरन और कागडी हैं। माही नदी से दाईं और बाईं मुख्य नहरें इस जिले की भूमि की सिंचाई करती हैं।
- बांसवाड़ा जिले का क्षेत्र फल - 5,999 वर्ग किलोमीटर (2,316 वर्ग मील)
- बांसवाड़ा जिले अक्षांश स्थिति - 23.11 ° N से 23.56 ° N
- बांसवाड़ा जिले की देशांतर स्थिति - 73.58 ° E से 74.49 ° E.
- बांसवाड़ा जिले पूर्व में जिला या राज्य - डूंगरपुर (राजस्थान का जिला )
- बांसवाड़ा जिले के पश्चिम में जिला या राज्य - राजस्थान का सागवाड़ा जिला
- बांसवाड़ा जिले के दक्षिण पूर्व में - मध्यप्रदेश का झाबुआ जिला
- बांसवाड़ा जिले की सामान्य वार्षिक वर्षा लगभग 82.59 सेंटीमीटर (32.52 इंच) है।
बांसवाड़ा जिले का प्रशासनिक ढांचा | Administrative Structure
- बांसवाड़ा जिले के Sub -Divisional की संख्या - आठ (8) ( बांसवाड़ा,आनंदपुरी, बागीदौरा, कुशलगढ़ , छोटा सरवन, गढ़ी, घाटोल, और सज्जनगढ़ )
- बांसवाड़ा जिले की तहसीलों की संख्या - 11 (ग्यारह) (आनंदपुरी, छोटा सरवन, अबापुरा, बागीदौरा, बांसवाड़ा, गनोड़ा, गंगार्ड तलाई, गढ़ी, घाटोल, कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ )
- बांसवाड़ा जिले के कुल विकास खंड की संख्या - 8 (आठ ) आनंदपुरी, बागीदौरा, छोटी सरवन, गढ़ी, घाटोल, कुशलगढ़, सज्जनगढ़ और तलवाड़ा।
- बांसवाड़ा जिले के कुल पटवार मंडल की सख्या - 310
- बांसवाड़ा जिले की ग्राम पंचायतें की संख्या - 307
- बांसवाड़ा जिले में गावं की संख्या - 1518
- बांसवाड़ा में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 5 (पांच) 1. घाटोल 2. बागीदौरा 3 . गढ़ी 4. बांसवाड़ा 5. कुशलगढ़
(Demographic) राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की जनसांख्यिकी 2011 जनगणना के अनुसार
बांसवाड़ा जिले का कुल क्षेत्रफल → लगभग 5037 वर्ग किलोमीटर
कुल जनसंख्या— 17,97,485
परुष जनसँख्या - 9,07,754
स्त्री जनसंख्या - 8,89,731
नगरीय क्षेत्रफल - 22 वर्ग किलोमीटर
ग्रामीण क्षेत्रफल -- 5015 वर्गकिलोमीटर
लिंग अनुपात - 980
जनसँख्या घनत्व - 397
साक्षरता दर - 56.3%
पुरुष साक्षरता दर - 69.5%
स्त्री साक्षरता दर - 43.1%
बांसवाड़ा के उपनाम
1 -आदिवासियों का देश
2- सौ द्वीपों का शहर
3 - बागड़ प्रदेश
4 - बांसों की नगरी
बांसवाड़ा का नाम बांसवाड़ कैसे पड़ा ?
बांसवाड़ा जिले के मंदिर और ऐतहासक स्थल का सामान्य ज्ञान
ये मंदिर हिरण नदी के समीप कलिंजरा ग्राम में स्थित है। ये मंदिर जैनियों के दिगम्बर शाखा का माना जाता है। इस स्थान पर जैन धर्म के ऋषि ऋषभदेव की मूर्ति है।
2 - त्रिपुरी सुन्दरी
2 - त्रिपुरी सुन्दरी
इसे राजस्था की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की आराध्य देवी माना जाता है। यहाँ पर अष्टदश भुजा मूर्ति है विराजमान है तथा प्रतिवर्ष नवरात्रों में मेला बड़ी ही धूमधाम से लगता है।
3 - मण्डलेश्वर महादेव का मंदिर
3 - मण्डलेश्वर महादेव का मंदिर
यह मंदिर बांसवाड़ा में स्थित है। इसे अपूर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
4 - घोटिया अम्बा
4 - घोटिया अम्बा
ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय घोटिया अम्बा स्थान पर बिताया था। इस स्थान पर पांडवों की मूर्ति भी विराजमान है। इस स्थान पर चैत्र की अमावस्या को मेला बी लगता है।
5 - घूणी का भगवान कृष्ण मंदिर
5 - घूणी का भगवान कृष्ण मंदिर
यह मंदिर माही नदी के किनारे स्थित है। यह तीर्थ स्थल कृष्ण लीलाओं की धाम कहलाता है। इस मंदिर को फसलों के रक्षक के रूप में माना जाता है।
यहां पर इंडो गोल्ड लिमिटेड है। जिसमे ऑस्ट्रेलियन फर्म की इंडो गोल्ड लिमिटेड कम्पनी द्वारा 3.85 करोड़ टन स्वर्ण भंडार खोजे गए हैं। इसे भीलों का देश भी कहा जाता है। यहां पर जब भील जाती में पत्नी को छोड़ते यहीं तो उसे छेड़ा फाड़ना कहते हैं। मुर्गा प्रजाति में ककडनाथ मुर्गे पलने की शुरुआत इस ही जिले से हुई है। यहां के भीलों द्वारा बोली जाने वाली बोली वागड़ी और भीली है।
हलमा—बाँसवाड़ा में सामुदायिक सहयोग से गृह निर्माण की सांस्कृतिक परम्परा ‘हलमा’ कहलाती है। कुक्कुट पालन हेतु कड़कनाथ योजना बांसवाड़ा में शुरु की गई। मक्के का सर्वाधिक उपज देने वाली किस्म ‘माही कंचन’ बांसवाड़ा के कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है।
बांसवाड़ा जिले के सामान्य ज्ञान की कुछ और महत्वपूर्ण जानकारी
हलमा—बाँसवाड़ा में सामुदायिक सहयोग से गृह निर्माण की सांस्कृतिक परम्परा ‘हलमा’ कहलाती है। कुक्कुट पालन हेतु कड़कनाथ योजना बांसवाड़ा में शुरु की गई। मक्के का सर्वाधिक उपज देने वाली किस्म ‘माही कंचन’ बांसवाड़ा के कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है।
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