राजस्थान में जयपुर एक पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है और अवश्य ही राजस्थान के इस जिले से राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में एक सवाल जरूर पूछा जाता है चाहे वह RAS की परीक्षा हो TET की परीक्षा हो या फिर पटवारी सेक्रेटरी की परीक्षा हो इस जिले के सामान्य ज्ञान में आज सवाल ज्ररूर पूछा जायेगा हम GK Pustak के माध्यम से राजस्थान के जयपुर जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी आपके लिए यहां पर लाये हैं।
इस भाग में जयपुर जिले के इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक ढांचे, जनसांख्यिकी, नदियों, मेले और त्योहारों के सामान्य ज्ञान की जानकारी दी गई है जो आपको किसी भी परीक्षा में Help करेगी।
राजस्थान में जयपुर एक पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है और अवश्य ही राजस्थान के इस जिले से राजस्थान में होने वाली परीक्षाओं में एक सवाल जरूर पूछा जाता है चाहे वह RAS की परीक्षा हो TET की परीक्षा हो या फिर पटवारी सेक्रेटरी की परीक्षा हो इस जिले के सामान्य ज्ञान में आज सवाल ज्ररूर पूछा जायेगा हम GK Pustak के माध्यम से राजस्थान के जयपुर जिले के सामान्य ज्ञान की जानकारी आपके लिए यहां पर लाये हैं।
Jaipur District GK | जयपुर जिले का सामान्य ज्ञान
Jaipur District History GK | राजस्थान के जयपुर जिले का इतिहास
लगभग 17 वीं शताब्दी में मुगलों की ताकत नुक्सान होने लगा और ये अपनी ताकत खोने लगे। उस समय पुरे भारत में अराजकता फैलने लगी और नै नै शक्तियां सामने आने लगीं। उस समय आमेर रियासत राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत थी और उस रियासत के राजा का नाम महाराजा सवाई जैसिंघ था। और उस वक्त आमेर रियासत दूर दूर तक फैली हुई थी।
इस फैली हुई रियासत के कारण जैसिंघ को अपनी रियासत का विस्तार की चिंता सताने लगी और उन्होंने उस वक्त ही जयपुर को अपनी राजधानी बनाने का विचार अपने में लाया था। हालाँकि इस शहर की नीवं के पत्थर के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है पर ऐसा माना जाता है कि तालकटोरा के निकट स्थित शिकार की होदी से इस शहर के निर्माण की शुरुआत हुई। शहर बसने के साथ साथ जैसिंघ को इस शहर की सुरक्षा की भी चिंता थी यही कारण है इस शहर के चारों तरफ से मजबूत दीवारों की किले बंदी की गई है।
ये चार दीवारी उन्होंने जाट हमलावरों से बचने के लिए की थी। उन्होंने इस शहर को बनाने में लगभग 4 साल लगा दिए। इतिहास कहता है की एक चक्रवर्ती मान का ब्राह्मण था जो शिल्पकला का माहिर था और उसी की कला से प्रभावित होकर राजा जयसिंह ने इस शहर को बसाने की योजना बनाई थी। पहले इस शहर को गुलाबी शहर नहीं कहा जाता था पर 1876 में Prince वेल्ज के आने के बाद महाराजा रामसिंह ने इस शहर को गुलाबी बनाने की कोशिश की थी। इस समय इस शहर में भव्य महल,दुर्ग, राजपूतों की वास्तुकला और इमारतें हैं। अब इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है।
वर्ष भर, तापमान उच्च पक्ष पर रहता है। अप्रैल, मई, जून और जुलाई के महीनों में, जिले का औसत दैनिक तापमान लगभग 30 ° C or 86 ° F है। यह नवंबर से फरवरी तक महीनों में कम हो जाता है, जिसमें देखा गया दैनिक तापमान 15 ° C से 18 ° C of 59-64 ° F के बीच होता है। सर्दियों के दौरान कभी-कभी ठंडी लहरें देखी जाती हैं जो तापमान को और कम कर देती हैं।
इस फैली हुई रियासत के कारण जैसिंघ को अपनी रियासत का विस्तार की चिंता सताने लगी और उन्होंने उस वक्त ही जयपुर को अपनी राजधानी बनाने का विचार अपने में लाया था। हालाँकि इस शहर की नीवं के पत्थर के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है पर ऐसा माना जाता है कि तालकटोरा के निकट स्थित शिकार की होदी से इस शहर के निर्माण की शुरुआत हुई। शहर बसने के साथ साथ जैसिंघ को इस शहर की सुरक्षा की भी चिंता थी यही कारण है इस शहर के चारों तरफ से मजबूत दीवारों की किले बंदी की गई है।
ये चार दीवारी उन्होंने जाट हमलावरों से बचने के लिए की थी। उन्होंने इस शहर को बनाने में लगभग 4 साल लगा दिए। इतिहास कहता है की एक चक्रवर्ती मान का ब्राह्मण था जो शिल्पकला का माहिर था और उसी की कला से प्रभावित होकर राजा जयसिंह ने इस शहर को बसाने की योजना बनाई थी। पहले इस शहर को गुलाबी शहर नहीं कहा जाता था पर 1876 में Prince वेल्ज के आने के बाद महाराजा रामसिंह ने इस शहर को गुलाबी बनाने की कोशिश की थी। इस समय इस शहर में भव्य महल,दुर्ग, राजपूतों की वास्तुकला और इमारतें हैं। अब इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है।
राजस्थान के जयपुर जिले की भौगोलिक स्थिति और भूगोल | Geography GK
- जयपुर जिले का कुल क्षेत्र फल - 11143 Sq KM
- जयपुर जिले के पूर्व में स्थित स्थान - राजस्थान का थार मरुस्थल
- राजस्थान के जयपुर जिले के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा - पाकिस्तान की
- जयपुर जिले की समुद्र तल से ऊंचाई - 1417 फीट
- जयपुर जिले के दोनों तरफ पर्वत श्रृंखला का नाम - अरावली पर्वत श्रृंखला
- जयपुर जिले के उतर में स्थित स्थान का नाम - राजस्थान के महिंद्रगढ़ और सीकर जिला
- जयपुर जिले के दक्षिण में स्थित स्थान का नाम - राजस्थान का टोंक स्थान
- जयपुर जिले के पूर्व में स्थित स्थान का नाम - राजस्थान के अलवर,सवाई माधोपुर,और दोसा
- जयपुर जिले के पश्चिम में स्थित स्थान का नाम - राजस्थान के अजमेर और नागौर जिले।
- जयपुर जिले की पूर्व से पश्चिम तक कुल लम्बाई - 180 किमी
- जयपुर जिले की उतर से दक्षिण तक कुल चौड़ाई - 110 किमी
जयपुर जिले में प्रतिवर्ष लगभग 650 मिमी वर्षा होती है और इसलिए, आमतौर पर यहाँ की जलवायु आर्द्रता होती है। मानसून जून से सितंबर तक होता है। मानसून के मौसम में भारी बारिश और गरज के साथ बारिश होती है।
वर्ष भर, तापमान उच्च पक्ष पर रहता है। अप्रैल, मई, जून और जुलाई के महीनों में, जिले का औसत दैनिक तापमान लगभग 30 ° C or 86 ° F है। यह नवंबर से फरवरी तक महीनों में कम हो जाता है, जिसमें देखा गया दैनिक तापमान 15 ° C से 18 ° C of 59-64 ° F के बीच होता है। सर्दियों के दौरान कभी-कभी ठंडी लहरें देखी जाती हैं जो तापमान को और कम कर देती हैं।
जनसँख्या संबंधी सामान्य ज्ञान
- जयपुर जिले का क्षेत्रफल - 11,143 sq KM
- कुल जनसंख्या - 6,626,178
- पुरुष कुल जनसंख्या - 3,468,507
- स्त्री कुल जनसंख्या - 3,157,671
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि % - 26.19%
- जनसंख्या घनत्व - 595 Per Sq KM
- जिले की राजस्थान के मुकाबले जनसंख्या अनुपात - 9.67%
- लिंगानुपात - 910 /1000
- शिशु लिंगानुपात - 861 /1000
- कुल साक्षरता दर - 75.51
- पुरुष साक्षरता दर - 86.05
- स्त्री साक्षरता दर - 64.02
- बाल जनसंख्या अनुपात (0-6 आयु) - 929
- कुल पुरुष जनसंख्या अनुपात (0-6 आयु) - 499
- कुल साक्षर व्यक्ति - 4,300,965
- पुरुष साक्षर व्यक्ति - 2,554,793
- कुल महिला साक्षर - 1,746,172
जयपुर जिले के मेले और त्यौहार | Fair and Festivals GK
यह मेला जयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर सील-की-डोंगरी गांव में आयोजित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मेला शीतला माता को शांत केने के लिए मनाया जाता है ताकि माहवारी न फैले।
2- गधों का मेला
2- गधों का मेला
यह मेला पुष्कर में लगे ऊंट के मेले के समान है। यह मेला एक छोटे से गांव, लोनी आवास में लगता है जो जयपुर से सिर्फ 20 किमी दूर है। इस मेले की परम्परा लगभग 500 साल पुरानी है। इस मेले में गधों की अच्छी नस्लों की प्रदर्शनी लगती है।
3 - कजली तीज मेला
3 - कजली तीज मेला
जयपुर जिले में ये सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। कजली तीज जो पूरे राजस्थान में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहार एक अलंकृत पालकी में देवी तीज के जुलूस के साथ शुरू होता है और इसमें सजे-धजे हाथी, ऊंट, कलाकार, संगीतकार और रंग बिरंगे परिधानों में लोग शामिल होते हैं।
4 - इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
जयपुर में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2009 में शुरू किया गया था। जयपुर के सभी त्योहारों में, यह त्योहार भारत में सिनेमा के इतिहास में एक नए युग का प्रतीक है। यह मेला आमतौर पर हर साल 27 से 31 जनवरी तक होता है।यह मेला पांच दिन चलता है और इस पांच दिवसीय उत्सव में दुनिया भर के निर्देशकों और अभिनेताओं की भागीदारी देखी जाती है।
5 - पतंग उत्सव
जयपुरजिले में हर साल 14 जनवरी को पतंग उत्सव बड़े ही हर्षोउल्लाश से मन्या जाता है। जयपुर के इस त्यौहार को आकाश में असंख्य पतंगों की उपस्थिति से चिह्नित किया जाता है। शाम ढलते ही आसमान लाखों पतंगों के साथ जिंदा हो जाता है। लैंप और पटाखे पूरे शहर को रोशन करते हैं। इस दिन पतंगबाजी की प्रियोगितायें भी आयोजित की जाती हैं।
6 - हाथी Festival
यह मेला हर साल फरवरी और मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह वास्तव में अद्भुत त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। हाथी पोलो और हाथी नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। पूरा शहर रंगीन गुलाल से भर जाता है।
4 - इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
जयपुर में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2009 में शुरू किया गया था। जयपुर के सभी त्योहारों में, यह त्योहार भारत में सिनेमा के इतिहास में एक नए युग का प्रतीक है। यह मेला आमतौर पर हर साल 27 से 31 जनवरी तक होता है।यह मेला पांच दिन चलता है और इस पांच दिवसीय उत्सव में दुनिया भर के निर्देशकों और अभिनेताओं की भागीदारी देखी जाती है।
5 - पतंग उत्सव
जयपुरजिले में हर साल 14 जनवरी को पतंग उत्सव बड़े ही हर्षोउल्लाश से मन्या जाता है। जयपुर के इस त्यौहार को आकाश में असंख्य पतंगों की उपस्थिति से चिह्नित किया जाता है। शाम ढलते ही आसमान लाखों पतंगों के साथ जिंदा हो जाता है। लैंप और पटाखे पूरे शहर को रोशन करते हैं। इस दिन पतंगबाजी की प्रियोगितायें भी आयोजित की जाती हैं।
6 - हाथी Festival
यह मेला हर साल फरवरी और मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह वास्तव में अद्भुत त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। हाथी पोलो और हाथी नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। पूरा शहर रंगीन गुलाल से भर जाता है।
जयपुर जिले में बहने वाली नदियों का सामान्य ज्ञान | Jaipur District Rivers GK
1 - जयपुर का अंबर पैलेस जयपुर
इस पैलेस का नीवं का पत्थर राजा मान सिंह प्रथम ने रखी थी। और इसे मिर्जा राजा जय सिंह ने पूरा किया था। ही अरावली पर्वत की पहाड़ियों में स्थित है। इसमें सफेद संगमरमर लगा हुआ है।
2- नाहरगढ़ किला
जयपुर शहर का मनोरम दृश्य देखने के लिए, नाहरगढ़ किला एक आदर्श स्थान है। यह 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान ब्रिटिश पत्नियों के लिए एक सुरक्षा आश्रय के रूप में भी काम करता था।
3 - हवा महल
हवा महल या पैलेस ऑफ विंड्स, या जिसे पैलेस ऑफ ब्रीज भी कहा जाता है, जयपुर में घूमने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इस महल का नर्माण करवाया था।
4 - जल महल
जल महल या वाटर पैलेस राजपुताना वास्तुकला की सूची में क्लासिक नामों में से एक है। मान सागर झील के बीच में स्थित, यह महल मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला का एक नमूना है। लाल बलुआ पत्थर में निर्मित, जल महल एक पाँच-मंजिला इमारत है।
5 - जंतर मंतर
इसका निर्माण महाराजा सिंह ने करवाया था। यह एक अच्छा पर्यटन स्थल है।
6 - बिरला मंदिर
यह मंदिर जोति डूंगरी हिल पर स्थित है इस मंदिर का निर्माण 1977 में शुरू हुआ था और यह मंदिर 1985 में बनकर त्यार हो गया था।
- जयपुर जिले में बहने वाली नदियां - बाणगंगा, बांडी, धुंड, मोरल, सबी, दाई, सखा और मासी
- जयपुर जिले की बड़ी नदी का नाम - सबी नदी
- सबी नदी का उद्गम स्थान - जयपुर जिला
- सबी नदी राजस्थान छोड़ कहां प्रवेश करती है - हरियाणा गुडगाँव में
- सबी नदी जयपुर में कहाँ कहां बहती है - मनसु, बहरोड़, मंडावर, किशनगढ़ और तिहाड़
- बाणगंगा नदी का उद्गम स्थान - अरवली पर्वत श्रृंखला
- बाणगंगा नदी की जयपुर में लम्बाई - 380 KM
- बाणगंगा नदी अंत में कहां मिलती है - यमुना नदी के साथ
राजस्थान के जयपुर जिले के पर्यटन स्थल का सामान्य ज्ञान
इस पैलेस का नीवं का पत्थर राजा मान सिंह प्रथम ने रखी थी। और इसे मिर्जा राजा जय सिंह ने पूरा किया था। ही अरावली पर्वत की पहाड़ियों में स्थित है। इसमें सफेद संगमरमर लगा हुआ है।
2- नाहरगढ़ किला
जयपुर शहर का मनोरम दृश्य देखने के लिए, नाहरगढ़ किला एक आदर्श स्थान है। यह 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान ब्रिटिश पत्नियों के लिए एक सुरक्षा आश्रय के रूप में भी काम करता था।
3 - हवा महल
हवा महल या पैलेस ऑफ विंड्स, या जिसे पैलेस ऑफ ब्रीज भी कहा जाता है, जयपुर में घूमने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इस महल का नर्माण करवाया था।
4 - जल महल
जल महल या वाटर पैलेस राजपुताना वास्तुकला की सूची में क्लासिक नामों में से एक है। मान सागर झील के बीच में स्थित, यह महल मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला का एक नमूना है। लाल बलुआ पत्थर में निर्मित, जल महल एक पाँच-मंजिला इमारत है।
5 - जंतर मंतर
इसका निर्माण महाराजा सिंह ने करवाया था। यह एक अच्छा पर्यटन स्थल है।
6 - बिरला मंदिर
यह मंदिर जोति डूंगरी हिल पर स्थित है इस मंदिर का निर्माण 1977 में शुरू हुआ था और यह मंदिर 1985 में बनकर त्यार हो गया था।
7 - अल्बर्ट हाल म्यूजियम
वर्ष 1880 में जयपुर के स्थानीय सर्जनों में से एक डॉ थॉमस होल्बिन हेंडले ने जयपुर के तत्कालीन शासक महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय को इस हॉल के भीतर एक संग्रहालय खोलने का सुझाव दिया। महाराजा को यह सुझाव पसंद आया और इस प्रकार अल्बर्ट हॉल संग्रहालय ने आकार ले लिया।
8 - सिटी पैलेस
1729-1732 के दौरान निर्मित महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय की देखरेख में सिटी पैलेस बहुत ही मिनट का विवरण देता है। चंद्र महल और मुबारक महल इस महल के प्रमुख भाग में शामिल हैं। उदय महल, जलेब चौक, त्रिपोलिया गेट और वीरेंद्र पोल इस महल के प्रवेश द्वार हैं। उम्दा कलाकृतियों और नक्काशी के साथ उभरा, इस महल का हर कोना अतीत से अमर छापों से भरा है।
ऊपर दिए गए पर्यटन स्थलों के इलावा जयपुर में कई स्थान ऐसे हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
वर्ष 1880 में जयपुर के स्थानीय सर्जनों में से एक डॉ थॉमस होल्बिन हेंडले ने जयपुर के तत्कालीन शासक महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय को इस हॉल के भीतर एक संग्रहालय खोलने का सुझाव दिया। महाराजा को यह सुझाव पसंद आया और इस प्रकार अल्बर्ट हॉल संग्रहालय ने आकार ले लिया।
8 - सिटी पैलेस
1729-1732 के दौरान निर्मित महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय की देखरेख में सिटी पैलेस बहुत ही मिनट का विवरण देता है। चंद्र महल और मुबारक महल इस महल के प्रमुख भाग में शामिल हैं। उदय महल, जलेब चौक, त्रिपोलिया गेट और वीरेंद्र पोल इस महल के प्रवेश द्वार हैं। उम्दा कलाकृतियों और नक्काशी के साथ उभरा, इस महल का हर कोना अतीत से अमर छापों से भरा है।
ऊपर दिए गए पर्यटन स्थलों के इलावा जयपुर में कई स्थान ऐसे हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
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