उत्तर प्रदेश का इतिहास | Uttar Pradesh History GK in Hindi
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का इतिहास बहुत प्राचीन और रोचक है। इस राज्य को वैदिक काल में ब्रह्म ऋषि के नाम से जाना जाता था। ये राज्य ऋषि और मुनियों की धरती रही है। वैदिक काल के भरद्वाज ऋषि, गौतम ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, वाल्मीकि ऋषि,आदि महान ऋषि इसी राज्य से सबंध रखते हैं।
हिन्दुओं के महान ग्रंथो जैसे रामायण महाभारत में भी इस राज्य का जीकर होता है। इतिहास की कई महान कृतियां, काव्यों और किताबों की रचना इसी राज्य में की गई है। अगर छठी शताब्दी के इतिहास की बात करें तो यहां दो धर्मों का प्रचार और प्रसार बहुत ही ज्यादा हुआ है। भगवांन महात्मा बुध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था।
उपदेश तो उपदेश इस महान महापुरुष की मृत्यु भी इसी राज्य के खुशीनगर नामक स्थान पर हुई है। मध्य काल में उत्तर प्रदेश इस राज्य में हिन्दू और मुस्लिम शासकों का बोलबाला रहा इस राज्य में कई महान हस्तियां सामने आई। मुस्लिम महान व्यक्ति कबीर इसी राज्य से सबंध रखते हैं। इस राज्य के तुलसीदास,सूरदास जैसे महान व्यक्तिओं ने समाज के लिए योगदान दिया इसी जिले से सबंध रखते हैं।
उत्तर प्रदेश का पूर्व इतिहास | General Knowledge of Pre History Uttar Pradesh
पुराने खोजकर्ता ने इस राज्य का पूर्व इतिहास यहां पर मौजूद शिकारी कुत्तों के शरीर के अवशेषों से किया है। ये अवशेष लगभग 85000 साल पुराने पाए गई हैं। उसके बाद अगर पालतू जानवरों की बात करें तो लगभग 6000 साल पुराने यहां पर पालतू भेड़,बकरियों के अवशेष मिले हैं। उसके बाद हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के बाद वैदिक काल का आरम्भ हुआ जो लगभग 4000 ई पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक माना जाता है I
और इसके बाद लोह युग का आरम्भ हुआ। जब मनाजनपद काल शुरू हुआ तब 16 जनपदों में से कौशल जनपद का जीकर भी इसी राज्य से होता है। रामायण काल में कौशल की राजधानी अयोध्या थी जब भगवान राम ने यहां पर राज किया था। भगवान् राम को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। महाभारत काल में कुरु महाजनपद का अस्तित्व भी इसी जिले से सबंध रखता है। इस महाजनपद पर पांडवों के बड़े भाई युधिस्टर का शासन था।
उत्तर प्रदेश का इतिहास 1200 ई तक | History of Uttar Pradesh till 1200 AD
भारत में जितने भी दक्षिण के आक्रमणकारी हैं सभी गंगा के मैदानों से होकर गुजरे हैं। इस राज्य में इस काल में मौर्य,गुप्ता,कुषाण,और गुर्जर-प्रतिहार वंश के राजाओं ने राज किया है।
उत्तर प्रदेश में मौर्य वंश का इतिहास | 320-200 ईसा पूर्व तक | UP GK
उत्तर प्रदेश में गुप्ता का राज 350-600 तक
हुन गुजर जाति के आक्रमणकारियों
ने इस राज्य को तोड़ मरोड़ दिया। और उसके बाद यहां पर कन्नौज राज्य का उत्थान हुआ। कन्नौज राज्य के रूप में जब सामने आया तब हर्षवर्धन का नाम सबसे ऊपर माना जाता है। उनका शासन काल उतर दिशा में पंजाब से गुजरात पश्चिम में गुजरात और दक्षिण में ओडिसा,पूर्व में बंगाल तक फैला हुआ था। जब हर्षवर्धन की मृत्यु हुई तब ये विशाल राज्य विघटित होने लगा और चारों भागों में अलग अलग आक्रमकारियों ने आक्रमण किये। इनमे आक्रामकारी थे गुर्जर-प्रतिहार वंश के राजा, पाल वंश के राजा और दक्षिण में राष्ट्रकूट वंश के राजा।
उत्तर प्रदेश का इतिहास
1858 तक |
लगभग 16 वीं शताब्दी में तैमूर ने इस राज्य की ओर मार्च किया। उसके बाद बाबर ने भी खैबर पास से इस राज्य की ओर संकेत किया और मुग़ल सम्राज्य की स्थापना की ये 1526 ई की बात है जब भारत के राजाओं ने एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा सब कुछ किया। वैसे तो मुग़ल काल बाबर से ओरंगजेब तक माना जाता है पर इस राज्य में शाशन बाबर से लेकर हुमायूँ तक का रहा। उन्हीने आगरा पर अपना राज किया। 1540 में एक अफगान आक्रमणकारी शेरशाह सूरी ने इस राज्य पर आक्रमण किया और हुमाऊं को हराकर इस राज्य में शासन संभाला।
उस समय इस राज्य की राजधानी ग्वालियर थी। पर बाद में शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गई और उन्ही के प्रधान हेमू ने इस राज्य पर अपना प्रभुत्व जमाया। पानीपत की Famous दूसरी लड़ाई हेमू और मुग़ल महान शासक के बीच में हुई और इस लड़ाई में हेमू की मोत हो गई और यहां अकबर ने अपना सिक्का जमाया। अकबर ने उतर प्रदेश के फतेहपुर शिकरी को अपनी राजधानी बनाया। उसके बाद इस राज्य में अकबर के बेटे जहांगीर और उसके बाद जहांगीर के बेटे शाहजहां ने इस राज्य में राज किया।
उत्तर प्रदेश का मराठा इतिहास | Gerneral Knowledge of Maratha History of Uttar Pradesh in Hindi
18 शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य का लगभग पतन हो चुका था। इस काल में मराठा सेना ने इस राज्य पर आक्रमण किया और जिसके परिणामस्वरूप रोहिलखानों ने रोहिलखंड पर मराठा शासकों रघुनाथ का नियंत्रण खो दिया। रोहिल्लास और मराठों के बीच संघर्ष 18 दिसंबर 1788 को नजीब-उद-दौला के पोते गुलाम कादिर की गिरफ्तारी के साथ समाप्त हुआ, जो मराठा सेनापति महादेव सिंधिया से हार गया था। 1803 में, द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठा साम्राज्य को हराया, तो अधिकांश क्षेत्र ब्रिटिश आत्महत्या के अधीन आ गए।
उत्तर प्रदेश का इतिहास 1857
का विद्रोह समाप्त होने के बाद 1947 तक का | Uttar Pradesh History GK till 1857 to 1947
1858 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लगभग खतम हो चुकी थी अंग्रेजों ने इस क्षेत्र की प्रशासनिक सीमाओं को पुनर्गठित करके सबसे विद्रोही क्षेत्रों को विभाजित करने का प्रयास किया। दिल्ली क्षेत्र को 'एनडब्ल्यूएफपी ऑफ आगरा' से अलग कर दिया और इसे पंजाब में विलय कर दिया, जबकि अजमेर - मारवाड़ क्षेत्र को राजपूताना में मिला दिया गया और अवध राज्य में शामिल किया गया था।
1902 में आगरा और अवध प्रान्त को मिलाकर एक सयुंक्त प्रान्त बनाया गया। 1920 में इस राज्य की राजधानी इलहाबाद से लखनऊ तब्दील की गई। पर इसके बाद भी इस राज्य का प्रशासनिक कार्य इलाहबाद में चलता रहा। ये इतिहास में पहली बार था की 1942 बलिया जिले में विद्रोहोयों ने ब्रिटश सत्ता को उखाड़ फेंका।
1947 में आजादी के बाद 26 January 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया। 2000 में, उत्तराखंड राज्य को उत्तर प्रदेश से बाहर किया गया था ।