लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जीवन परिचय और इतिहास | Sardar Vallabhbhai Patel Biography and History in Hindi

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय और इतिहास :

जब भारत आजाद हुआ तो मुहमंद अली जिन्हां ने पाकिस्तान को एक अलग देश का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव रखा। इससे पहले भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय बहुत खून खराबा हुआ। भारत ने आजादी तो हासिल कर ली थी पर मुश्किल था भारत को एक सूत्र में बांधना और भारत को को एक संगठित देश के रूप में सामने ले के आना भारत की आज़ादी के लिए बहुत सरे क्रांतकारियों ने अपना खून बहाया।

भारत उस वक्त लगभग 529 रियासतों में बंटा हुआ था। बहुत मुश्किल था उन सभी रियासतों को संगठित करना। पर भारत के एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने इस कार्य को अंजाम दिया और भारत को एक महान देश के रूप में संगठित किया। उनका नाम था सरदार बलभ भाई पटेल। तो आइये नज़र डालते हैं  वल्लभ भाई पटेल की जीवनी और इतिहास पर।

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल 

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय

1. वल्लभ भाई पटेल का पूरा नाम --- सरदार वल्लभभाई पटेल
2 . जन्म स्थान ---  नाडियाड, बॉम्बे प्रेसीडेंसी (वर्तमान में गुजरात में )
3. जन्म तारीख --- 31 अक्टूबर, सन 1875
4. नाम के साथ उपनाम --- सरदार, लौह पुरुष,
5. पिता का नाम --- झावरभाई पटेल
6. माता का नाम --- लाडबाई
7. कुल भाई बहन --- 4
8. भाइयों के नाम --- सोमाभाई पटेल, नर्शिभाई पटेल,विथलभाई पटेल, काशीभाई पटेल
9 . शादी की तारीख --- सन 1891
10. पत्नी का नाम ---  झावरबा पटेल
1. बेटे का नाम ---  दाह्यभाई पटेल
12. बेटी का नाम ---  मणिबेन पटेल
13. वल्लभ भाई पटेल का पेशा --- वकील, राजनेता, स्वतंत्रता सैनानी
14. मृत्यु की तारीख --- दिसम्बर सन 1950
15. मृत्यु का स्थान --- बॉम्बे स्टेट, भारत
16. मृत्यु का कारण --- दिल का दौरा
17.मृत्यु के समय उम्र --- 75 वर्ष
 18. धर्म --- हिन्दू
19. राष्ट्रीयता --- भारतीय

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म और परिवारिक जिंदगी | Birth and family life of Sardar Vallabhbhai Patel

वल्लभ भाई पटेल का जन्म का जन्म आज के भारत के गुजरात राज्य के नाडियाड नामक स्थान पर हुआ था। यह स्थान गुजरात राज्य के खेड़ा जिले का मुख्यालय है। वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में हुआ था। उनके पिता जी का नाम झावेरभाई पटेल और माता जी का नाम लाडबा था। वे मध्य गुजरात के लेउवा पटेल पाटीदार समुदाय से संबंधित थे। हालाँकि ऐसा माना जाता है कि पटेल के प्रशिद्ध होने के बाद दो समुदायों ने लेवा पटेल और कदवा पाटीदार ने बलभ भाई पटेल के लिए दावा किया था कि वे उनके पूर्बज थे।

वल्लभ भाई पटेल की पत्नी का नाम झावरदा पटेल था और उनकी मृत्यु 1908 में दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी। अपनी पत्नी की मौत के बाद पटेल ने विदुर रहने क विचार अपने मन में लाया और शादी नहीं की। वल्लभ भाई पटेल के दो बच्चे थे एक लड़का और दूसरी लड़की। लड़के का नाम दहयाभाई पटेल था जिनकी मौत 1973 मैं हुई थी। उनकी बेटी का नाम मणिबेन पटेल था जो गाँधी जी शिक्षाओं से प्रेरित थी और साडी उम्र देश सेवा में लगी रही।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा दीक्षा | Vallabhbhai Patel's education initiation

वल्लभ भाई पटेल ने गुजरात के नडियाद, पेटलाड और बोरसाड के स्कूलों में अपनी शिक्षा ग्रहण की। छोटी उम्र से वे एक रूखे स्वभाव के थे और अन्य लड़कों के साथ आत्मनिर्भर रूप से रह रहे थे। वे एक मेहनती इंसान थे स्कूली समय में उनके अध्यापक भी उनके रूखे स्वभाव को पहचान गए थे। वे स्कूल के लिए पैदल ही यात्रा करते थे वैसे तो उस समय सड़कों का कम ही विकास हुआ था। अपनी मिडल की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने दसवीं की परीक्षा भी अपने पैतृक गांव से पूरी की जब उन्होंने दसवीं पास की तब उनकी उम्र 22 वर्ष थी।

समय के साथ धन की जरूरत थी और उनका परिवार मध्यवर्गीय परिवार था इसलिए उन्होंने वकील बनने के इरादे सेी और इंग्लैंड की यात्रा की यात्रा करने की सोची। इंग्लैंड की यात्रा का मकसद उनका एक सफल बैरिस्टर बनना था। अपने परिवार से दूर रह कर उन्होंने बड़ी लग्न से पढ़ाई की। जब वे इंग्लैंड में एक बैरिस्टर बनने गए तो उनकी उम्र 36 साल थी। 

अपने दोस्तों से किताबें लेकर और उनके सहयोग से उन्होंने बड़ी ही लग्न से 2 साल में अपनी परीक्षा पास कर ली और भारत के लिए का मेधावी वकील के तौर पर सामने आये पटेल ने गोधरा, बोरसाद और आनंद में कानून का अभ्यास किया, जबकि करमसद में अपने घर के वित्तीय बोझ को उठाते हुए अपनी प्रेक्टिस पूरी की। अगर उनके कॉलेज की बात करें तो उसके बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।

वल्लभ भाई पटेल का राजनितिक जीवन | Political life of Vallabhbhai Patel

सितंबर 1917 में पटेल ने बोरसाद में एक भाषण दिया, जिसमें भारतीयों को ब्रिटेन से स्वराज, स्व-शासन की मांग करने वाली गांधी की याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। गाँधी जी के इस प्रोत्साहन से वे गुजरात सभा के सचिव बना दिए गए। अब पटेल राजनीति में कदम रख चुके थे और गाँधी जी उनके समर्थन में खड़े थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गुजराती शाखा में अपना नाम दर्ज करवाया और उनके लिए काम करने लगे। गाँधी जी के चम्पारण सत्याग्रह जैसे आंदोलन में साथ दिया। गुजरती शाखा में रहते हुए उन्होंने खेड़ा के लिए काम किये।

गुजरात में सत्याग्रह आंदोलन में पटेल का सहयोग | Patel's cooperation in the Satyagraha movement in Gujarat

गाँधी जी के नेतृत्व में पुरे भारत में सत्यागह आंदोलन की शुरुआत की गई थी। पटेल गुजरात के कांग्रेस सवंसेवकों में शामिल थे उस समय उन्होंने कांग्रेस के स्वयंसेवकों नरहरि पारिख, मोहनलाल पंड्या और अब्बास तैयबजी के समर्थन से खेड़ा जिले में एक गाँव-दर-गाँव दौरा शुरू किया और लोगों की मुश्किलें सुनकर उनके साथ सहयोग किया। 

 उन्होंने एक नेटवर्क बनाया जिस के तहत जो सामान अंग्रेजी सरकार द्वारा जब्त किया जाता था बलभ भाई पटेल उन्हें छिपाने में लोगों की सहयता करते थे। इस आंदोलन में पटेल ने गरीब किसानों की सहायता की और उनकी जितनी भी संपत्ति थी उन्हें अंग्रेजों से सुरक्षित किया। पटेल के इस कार्य से ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और गुजरातियों पर जितने भी का लगाए गए थे उन्हें स्थगित करने का फैसला किया। इस कार्य से कांग्रेस ने उन्हें गुजरात कोंग्रेस कमेटी का 1945 में अध्यक्ष चुन लिया। 

सरदार वल्लभ भाई पटेल का असहयोग आंदोलन में समर्थन का इतिहास | History of Sardar Vallabhbhai Patel's Support in Non-Cooperation Movement

वल्लभ भाई पटेल ने गुजरात में ही नहीं पर पुरे भारत में असहयोग आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने इस आंदोलन के समर्थन के लिए पैसे जुटाना शुरू कर दिया। उन्होंने लगभग तीन लाख से भी ज्यादा भारतीयों को इस अभियान से जोड़ा और ब्रिटिश का समर्थन न करने के लिए प्रोत्साहित किया। 

 गाँधी जी ने इस आंदोलन में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाई किसी भी चीज को न प्रयोग में न लाने के लिए ये अभियान चलाया था इसलिए वल्लभ भाई पटेल ने भी अपने जितना भी सामान जो ब्रिटश द्वारा था उन्हें फाड् दिया और आंदोलन का पुर जोर समर्थन किया। उन्होंने अपने बेटे और अपनी बेटी को भी खादी के वस्त्र पहनने के लिए वाध्य किया।

पटेल की सभी धर्मों के लिए सोच | Patel thinking for all religions

 बल्ल्भ भाई पटेल जब राजनीती में आये तो उस वक्त देश में अश्पृश्यता और हिन्दू मुस्लिम का आपसी टकराव शुरू हो चूका था। उन्होंने इन बीमारियों से लड़ने के लिए अपना सहयोग दिया और विवादास्पद प्रतिरोध निलंबन का भी समर्थन किया। गुजरात के लिए काम करते हुए उन्होंने शराब, अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लिए बड़े काम किये। उन्होंने स्कूल में हिन्दू मुस्लिम एकता को कायम करते हुए सभी को एक जुट रहने के लिए कहा ताकि आजादी की लड़ाई लड़ी जा सके। 

इन्ही कार्यो को लेकर उन्हें तीन बार अहमदाबाद नगरपालिका का अध्यक्ष भी सुना गया था। उन्होंने 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में शपथ ली। जब भी कोई सामाजिक बुराई सामने आती वे इस बुराई का हल करने के लिए अपने आप सामने खड़े होते और सफलता पूर्वक उसका हल करते थे। जब भी मुस्लिम और हिन्दू में आपसी कोई मन मुटाप होता था तो वे राष्ट्रवादी सोच को आगे लेकर उसका निपटारा करते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके भाई विट्ठलभाई का इतिहास | History of Sardar Vallabhbhai Patel and his brother Vithalbhai

विट्ठलभाई पटेल जो सुभाष चंद्र बोस के समर्थक थे और उन्ही का साथ आज़ाद हिन्द फौज के लिए काम करते थे। गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे इसलिए विट्ठलभाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस दोनों का गाँधी जी ने समर्थन नहीं किया और उन्हें यूरोप जाने के लिए भी इंकार कर दिया। जब अक्टूबर 1933 में जब विट्ठलभाई की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी संपत्ति सुभाष चंद्र बोस को दे दी। 

 इसके पीछे मकसद ये नहीं था कि उस संपत्ति को सुभाष चंद्र बोस अपने हित के लिए प्रयोग कर सकते थे पर विट्ठलभाई पटेल ने ये कहा था कि ये जो तीन चौथाई भाग मैने अपनी सम्पति का दिया है उसका प्रयोग अन्य देशो में क्रांतिकारियों के समर्थन के लिए प्रयोग में लाया जाये। पर जब वल्लभ भाई पटेल को इस बात का पता लगा तो उन्होंने वकील होने के नाते उनके भाई द्वारा दिए गए वसीयतनामे के ऊपर कई सवाल उठाये। 

 वल्लभ भाई पटेल की मौत जिनेवा में हुई थी। इसलिए भारत से बाहर होने के कारण पटेल के मन में कई संदेह भरे सवाल पैदा होने लगे और उन्होंने विट्ठलभाई की मृत्यु कि संपत्ति को लेकर कोर्ट में मामला दर्ज किया। केस लगभग एक साल तक चला और एक साल बाद कोर्ट ने ये फैसला किया कि जो विट्ठलभाई ने अपनी संपत्ति दान की है उसका असली हकदार उनका परिवार है और उन्हें सौंप दी जाये। बल्लभ पटेल ने ये संपत्ति अपने पास न रखते हुए इसे विट्ठलभाई मेमोरियल ट्रस्ट को सौप दिया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके भाई विट्ठलभाई का इतिहास | History of Sardar Vallabhbhai Patel and his brother Vithalbhai

विट्ठलभाई पटेल जो सुभाष चंद्र बोस के समर्थक थे और उन्ही का साथ आज़ाद हिन्द फौज के लिए काम करते थे। गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे इसलिए विट्ठलभाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस दोनों का गाँधी जी ने समर्थन नहीं किया और उन्हें यूरोप जाने के लिए भी इंकार कर दिया। जब अक्टूबर 1933 में जब विट्ठलभाई की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी संपत्ति सुभाष चंद्र बोस को दे दी। 

 इसके पीछे मकसद ये नहीं था कि उस संपत्ति को सुभाष चंद्र बोस अपने हित के लिए प्रयोग कर सकते थे पर विट्ठलभाई पटेल ने ये कहा था कि ये जो तीन चौथाई भाग मैने अपनी सम्पति का दिया है उसका प्रयोग अन्य देशो में क्रांतिकारियों के समर्थन के लिए प्रयोग में लाया जाये। पर जब वल्लभ भाई पटेल को इस बात का पता लगा तो उन्होंने वकील होने के नाते उनके भाई द्वारा दिए गए वसीयतनामे के ऊपर कई सवाल उठाये। 

वल्लभ भाई पटेल की मौत जिनेवा में हुई थी। इसलिए भारत से बाहर होने के कारण पटेल के मन में कई संदेह भरे सवाल पैदा होने लगे और उन्होंने विट्ठलभाई की मृत्यु कि संपत्ति को लेकर कोर्ट में मामला दर्ज किया। केस लगभग एक साल तक चला और एक साल बाद कोर्ट ने ये फैसला किया कि जो विट्ठलभाई ने अपनी संपत्ति दान की है उसका असली हकदार उनका परिवार है और उन्हें सौंप दी जाये। बल्लभ पटेल ने ये संपत्ति अपने पास न रखते हुए इसे विट्ठलभाई मेमोरियल ट्रस्ट को सौप दिया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का भारत छोड़ो आंदोलन में सहयोग | Sardar Vallabhbhai Patel's support in Quit India Movement

दूसरा विश्व यद्ध समाप्त हो चूका था और भारत में अब राजनितिक उथल पुथल का सिलसीला शुरू हो गया था। पटेल ने गाँधी जी का इस बात के लिए समर्थन नहीं किया कि वे केंद्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं से कांग्रेस को वापस लें। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू का समर्थन किया। पटेल ने वरिष्ठ नेता चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा पेश किये गए भरतीय स्वतंत्रता का पुर जोर समर्थन किया। दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश ने तुरंत एक लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की। जो राजगोपालाचारी ने पेशकश रखी थी उसको ब्रिटिश सरकार ने सिरे से नकार दिया। 

गाँधी जी के खिलाफ चलने का वल्लभ भाई पटेल का फैसला उनको गलत लगा और उन्होंने फिर से गाँधी जी का समर्थन किया। गाँधी जी ने 1942 में जो क्रिप्स मिशन लाया गया था उसका विरोध किया और पटेल ने उनका साथ दिया। 1940 में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अकेले क्रिप्स मिशन का विरोध किया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। उन्होंने इसके लिए नो महीने की जेल काटी।

गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पर सविनय अवज्ञा के एक चौतरफा अभियान को मंजूरी देने के लिए जोरदार दबाव डाला। पटेल ने गाँधी जी द्वारा चलाये भारत छोड़ो आंदोलन में अपना भरपूर साथ दिया और भारत के बड़े शहरों में बड़े बड़े भाषण भी दिए। भारत छोडो आंदोलन में उन्हें जेल भी जाना पड़ा जिसे उनके स्वास्थ्य में गिरावट आ गई पर उन्होंने इस आंदोलन का भरपूर साथ दिया।

वल्लभ भाई पटेल और देसी राज्यों या रियासतों के एकीकरण का इतिहास | History of Vallabhbhai Patel and the integration of native states or princely states

भारत देश की आजादी के समय भारत लगभग 562 देसी रियसतों में बंता हुआ था। अब उनका मकसद इन रियासतों का एकीकरण करना था और इन सभी रियासतों को भारत के साथ विलय करना था। उन्होंने इस काम के लिए वी पी मेनन को अपने साथ लिया और जगह जगह जाकर सभी रियासत के राजाओं को समझाया कि इस वक्त उन्हें स्वायत्तता जैसे नाम से दूर रहना चाहिए।

 वल्लभ भाई पटेल की कोशिशों से सभी रियासतों ने भारत में स्वीकार होने के प्रस्ताव को स्वीकार लिया पर भारत की तीन रियासतें भारत में शामिल नहीं हुई वे थी जूनागढ़ रियासत, हैदराबाद रियासत और कश्मीर रियासत। जूनागढ़ रियासत का उस वक्त राजा मुस्लिम था और जनता हिन्दू थी। जूनागढ़ की ज्यादातर जनता भारत में मिलना चाहती थी। जब पाकिस्तान देश बना तो जूनागढ़ रियासत के राजा ने पाकिस्तान में विलय की घोषणा की पर हिन्दू जनता ने इसका विरोध किया और भारतीय सेना ने उस रियासत को अपने कब्जे में ले लिया परिणाम स्वरूप जूनागढ़ भी 9 नवम्बर 1947 को भारत का हिस्सा बन गया।

 दूसरी तरफ हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी जिसने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया था। वहां का जो राजा था वह पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था पर 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने हैदराबाद रियासत को घेर लिया और तीन दिन के अंदर हैदराबाद के राजा को आत्मसर्पण करना पड़ा। नवंबर 1948 में इस रियासत का भी भारत में विलय कर दिया गया और ये रियासत भी भारत का हिस्सा बन गई। ये कार्य करने का पूरा ही श्रेय बल्ल्भ भाई पटेल को जाता है।

वल्लभ भाई पटेल ने तीसरी रियासत को भी अपने कब्जे में लेने की कोशिश की पर जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें इस बात से ये कह कर रोक लिया कि ये एक अंतराष्ट्रीय मामला है। कश्मीर एक आजाद राज्य बन गया पर 10 अक्टूबर 1949 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया और उसके बाद कश्मीर के राजा ने सहायता मांगी। भारतीय सेना ने पकिस्तान की सेना को वहीँ रोक दिया। जो पाकिस्तान ने अपने कब्जे में लिया उसे POK के नाम से जाने जाना लगा और बाकि भारत का कश्मीर।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन | Sardar Vallabhbhai Patel passed away) Death

1950 की गर्मियों के दौरान पटेल के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आने लगी उनकी बेटी मणिबेन ने पटेल की देखभाल के लिए एक व्यक्तिगत चिकित्सा कर्मचारियों की व्यवस्था भी की थी। उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि अब वे ज्यादा दिन जीवित नहीं रहने वाले हैं। नवंबर के पहले सप्ताह उनकी तवियत और ज्यादा ख़राब हो गई और कामकाज बंद करके वे बिस्तर पर लेट गए। 

डॉ रॉय उनके निजी डॉक्टर थे उन्होंने उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल में जाने की सलाह दी। 15 दिसंबर 1950 को बॉम्बे के बिड़ला हाउस में उन्हें एक गंभीर दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। आज भी उन्हें इतिहास में याद किया जाता है। 

सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम आज भी जिन्दा है.
Some Facts about Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
 
मौत के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर क्या कार्य किये गए उसके बारे में निचे पढ़ें। 

  • मेरठ उत्तर प्रदेश में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय खोला गया।
  • क्रिकेट को प्रोत्साहन देने के लिए अहमदाबाद में सरदार बलभ भाई पटेल स्टेडियम खोला गया।
  • गुजरात में उनके नाम पर सरदार पटेल विश्वविद्यालय खोला गया।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल नाम का तकनिकी संस्था सूरत में खोली गई।
  • सरदार वल्लभभाई पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जो वासद में है इसे कौन भूल सकता है।
  • सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक गुजरात के अहमदाबाद में उनकी यादों को ताज़ा करता है।
  • गुजरात में एक बांध का नाम भी उनके नाम से रखा गया है।
  • सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है उनकी कृतियों को ताजा करता है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति के रूप में कृतिमान स्थापित कर चुकी है वलभ भाई की याद को ताज़ा करती है। इसे दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति के रूप में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है। इस मूर्ति का काम 2013 में नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था और 2018 में बनकर ये पूरी हुई जिसे एकता का प्रतीक माना जाता है। और जब ये बनकर पूरी हुई तब भी इसका आरम्भ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।

अगर हम उनके कीर्तिमानों की लिस्ट बनायें तो कम पड़ जाति है हम सभी का इस महान नेता को प्रणाम और हम ये ही आस करते हैं कि ऐसे नेता जिन्होंने एक भारत का सपना देखा था फिर से पैदा हों।
 
ऐसा होना चाहिए था सरदार पटेल के सपनों का भारत ?
 
ये बात तो सत्य है कोई भी काम अकेले सपने लेने से पूर्ण नहीं होते हैं पर सरदार पटेल की बात करें तो उन्होंने सपने नहीं लिए थे और भारत को एक सशक्त और संवेदनशील राष्ट्र बनाने के लिए काम भी किया था। अगर उनके सपनो के भारत की बात करें तो उनका तो एक ही मकशद था कि भारत रियासतों में न बंटकर एक पूर्ण राष्ट्र हो। 

उन्होंने देश के एकीकरण करने के लिए प्रयास किये और उनमे सफल भी हुए। जब आजादी के बाद उन्हें पहली बार गृह, सूचना तथा रियासत विभाग दिया गया तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हो की भारत की 562 रियासतों को एकता के सूत्र में बांधना कितना मुश्किल काम था। पर उन्होंने ये काम कर दिखाया और भारत का एकीकरण करते हुए उड़ीसा की 23, नागपुर की 38 रियासतों, काठियावाड़ से 250 रियासतों और पंजाब समेत पुरे भारत की 562 रियासतों का एकीकरण किया ये एक कठिन कार्य था इसी लिए उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता है।

FAQ:
सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़े 10  महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न: सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म कब हुआ था?
उत्तर : सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ था।

प्रश्न :सरदार पटेल को 'लौह पुरुष' क्यों कहा जाता है?
उत्तर : सरदार पटेल को 'लौह पुरुष' इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारतीय विभाजन के समय देश की एकीकरण के लिए संघर्ष किया और एकीकरण की वजह से उन्हें भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।

प्रश्न :सरदार वल्लभभाई पटेल ने कौन-कौन सी पदों पर कार्य किया था?
उत्तर : सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में कई पदों पर कार्य किया है, जिनमें समितियों के सदस्य, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष शामिल हैं। उन्होंने भारतीय संघ के उपाध्यक्ष और भारतीय विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

प्रश्न : सरदार वल्लभभाई पटेल का महत्वपूर्ण कार्य क्या था?
उत्तर : सरदार वल्लभभाई पटेल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से देश की एकीकरण करना। वे "भारत के सरदार" के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं, जिन्होंने 1947 में भारत के 562 राज्यों को एकत्र करके भारतीय संघ बनाया। इसके फलस्वरूप उन्हें "लौह पुरुष" कहा जाता है।

प्रश्न :सरदार पटेल ने भारतीय संघ बनाने के लिए क्या किया?
सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय संघ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपक्रम चलाया था, जिसे "विभाजन के बाद की सबसे बड़ी संघर्ष" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय राजनीतिक और सामाजिक नेताओं को मनाने, राज्यों को एकत्र करने और विभाजन के समय उत्पन्न तनावों को समाधान करने के लिए कार्य किया।

प्रश्न : सरदार पटेल ने किस वर्ष भारतीय संघ के अध्यक्ष का पदभार संभाला?
उत्तर ; सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1950 से 1952 तक भारतीय संघ के अध्यक्ष का पदभार संभाला था।

प्रश्न ;सरदार पटेल का निधन कब हुआ था?
उत्तर :सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को हुआ था।

प्रश्न :सरदार पटेल को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है?
उत्तर :हां, सरदार वल्लभभाई पटेल को 1991 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

प्रश्न : सरदार पटेल की स्मारक भव्य स्थलों पर कहां स्थापित हैं?
उत्तर : सरदार वल्लभभाई पटेल की स्मारक भव्य स्थलों पर देश भर में स्थापित हैं। सबसे प्रमुख स्मारक में से एक 'सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय संग्रहालय' नामक स्मारक सरदार पटेल की याद में अहमदाबाद, गुजरात में स्थापित है।

प्रश्न : सरदार पटेल की जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर : सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती हर साल 31 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन उन्हें उनके योगदान की स्मृति में याद किया जाता है।

Rakesh Kumar

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