उतर प्रदेश भारत का एक बहुत बड़ा राज्य है और इस राज्य भारत में अपना अस्तित्व है। अपना इतिहास है और अपना भौगोलिक स्थिति है। उतर प्रदेश में होने वाली विभिन्न सरकारी परीक्षाओं में अलग अलग क्षेत्र से सवाल पूछे जाते हैं। उनमे से सबसे महत्वपूर्ण है Famous Fairs and Festivals of Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश के मेले और त्योहारों का सामान्य ज्ञान। GK Pustak के इस भाग में हम आपके लिए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेले और त्योहारों के सामान्य ज्ञान की जानकारी हिंदी में लाये हैं। ये जानकारी पुरे विस्तृत तौर से दी गई है इसलिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें ताकि आप आने वाली उत्तर प्रदेश की किसी भी परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकें।
Famous Fairs and Festivals of Uttar Pradesh | उत्तरप्रदेश के मेले और त्योहारों का सामान्य ज्ञान
उतर प्रदेश में अयोध्या का राम नवमी मेला
हम सभी जानते हैं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। उन्होंने रावण को मार कर बुराई पर शके की जीत दिलाई थी। यह मेला भगवान राम चंद्र के 14 वर्ष के वन वास से वापस आने के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दिन लोग देसी घी के दिए जलाते हैं। यह मेला हर साल राम नवमीं के दिन मनाया जाता है। कहने का अर्थ ये है यह मेला हर साल मार्च महीने में मनाया जाता है।
सहारनपुर में शाकम्भरी देवी की याद में मेला
यह मेला भी उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में लगता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन नवरात्रि मे सहारनपुर के शिवालिक क्षेत्र मे शाकम्भरी देवी का विशाल मेला लगता है। इस मंदिर को 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। वैसे तो इस माता जी को चार भुजाओं के रूप में दिखाय गया है पर इनका असली रूप आठ भुजों वाला है। ये माँ ही वैष्णो देवी, चामुंडा, कांगड़ा वाली, ज्वाला, चिंतपूर्णी ,कामाख्या, चंडी, बाला सुंदरी, मनसा, नैना और शताक्षी देवी कहलाती है। भारत में अगर नौ देवी माता के दर्जनों की बात करें तो अंत में शाकम्भरी माता के ही दर्शन होते हैं।
उत्तरप्रदेश में गोविंद सागर मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश में अंबेडकर नगर में हर साल अगस्त महीने में लगता है। इस मेले में यहां के स्थानीय लोग बड़ी ही धूमधाम से भाग लेते हैं।
उतर प्रदेश के आगरा में राम बारात
वैसे तो राम बारात पुरे उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। पर आगरा में ये बारात सबसे अलग तरीके से मनाई जाती है श्री राम चंद्र जी सीता माता को विहाने के लिए जब निकलते हैं तो यहां का दृश्य देखने वाला होता है। ये मेला उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में मनाया जाता है। यह मेला हर साल अगस्त या सितम्बर में मनाया जाता है।
उतर प्रदेश में गोरख पुर मेला या खिचड़ी मेला
यह मेला उतर प्रदेश के गोरखपुर जिले में मनाया जाता है। यह मेला गोरखपुर की याद में मनाया जाता है। यह हर साल मकर सक्रांति के दिन दिन लगता है इस मेले में सभी स्नान करके पकवान खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
फ़र्रुख़ाबाद का श्रावणी मेला
यह मेला उतर प्रदेश में श्रावण के महीने के दौरान बाबाधाम में लगता है। इस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ मंदिर में इकट्ठा होते है। उनमें से ज्यादातर लोग सबसे पहले सुल्तानगंज जाते हैं, जो बाबाधाम से 105 किमी दूर है। सुल्तानगंज में, गंगा उत्तर में बहती है यह इस जगह से है कि भक्तों गंगा जल ले कर बाबा धाम की और पैदल आते है। वे बाबा बैधनाथ मंदिर तक 109 किलोमीटर की दूरी पर चलते हैं,लोग बोल बम बोलते हुए यहाँ तक बहुत ही श्रद्धा के साथ पहुचते है।
उतर प्रदेश में सोरों मेला
यह उत्तर भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसे शूकरक्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। शूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश में कासगंज से 15 किमी० दूर है। उत्तरप्रदेश के इस तीर्थ का पौराणिक नाम 'ऊखल तीर्थ' है। प्राचीन समय में सोरों शूकरक्षेत्र को "सोरेय्य" नाम से भी जाना जाता था।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में पांचाल घाट मेला या रामनगरिया मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के फर्रुखावाद जिले में हर साल लगता है। इस मेले में यहां के लोग बड़े ही उत्साह से भाग लेले हैं। इस मेले में यहां के लोग अलप वास रखते हैं और गंगा घाट पर पूजा करते हैं। यह मेला फरवरी महीने में लगता है।
उतर प्रदेश में चितरकुट में रामायण मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के चितरकूट नामक स्थान पर हर साल फरवरी महीने में लगता है।
आगरा का कैलाश मेला
यह मेला उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हर साल श्रावण के तीसरे सोमवार को लगता है।
उत्तर प्रदेश में अयोध्या में परिक्रमा मेला
यह मेला उतर प्रदेश की सरयू नदी के किनारे लगता है। यह मेला हर साल कार्तिक मास में लगता है इस को परिक्रमा मेला भी कहा जा सकता है किउकी इस मेले में 14 कोशीय परिक्रमा कर के यहां के श्रद्धालु सरयू नदी में डुबकी लगते हैं।
अयोध्या में कबीर मेला
यह मेला अयोध्या के संत कबीरनगर में हर साल मन्या जाता है। यह मेला कबीरपंथिओं के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
उतर प्रदेश में देवी पाटन मेला
यह मेला बलराम जिले में उत्तरप्रदेश में हर साल मनाया जाता है। यहां देवी पाटन का मंदिर है जहां हर साल मार्च महीने में मेला लगता है।
उतर प्रदेश में ढाई घाट मेला
यह मेला उतर प्रदेश के शाहजहांपुर में लगता है यह मेला हर साल माघ महीने में लगता है। यह मेला हर साल गंगा घाट के किणरे लगता है।
उतर प्रदेश में मकनपुर मेला
यह मेला फ़रुखाबाद के मकनपुर स्थान पर हर साल लगता है। इस मेले में घोड़े की नस्लों की प्रदर्शनी होती है और लोग अलग अलग घोड़े की बिक्री करते हैं।
उतर प्रदेश में नौचंदी मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले में लगता है और हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है। इस स्थान पर माँ नौचंदी माँ का मंदिर भी स्थित है। इसका पुराना इतिहास 350 साल से भी पुराना है।
उतर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर का मेला
उतर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर स्थान मेरठ जिले से 42 किलोमीटर दूर है। इस स्थान पर हर साल कार्तिक की पूर्णिमा को मेला लगता है। यह स्थान गंगा नदी की दहिने तरफ स्थित है।
उतर प्रदेश में कालिंजर मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के बाँदा जिले में मनाया जाता है। इस स्थान पर कार्तिक मास की पूर्णिमा को हर साल मेला लगता है। ये मेला माँ भद्र काली को समर्पित है।
उतर प्रदेश में माँ बाल सुंदरी मेला मेला
प्राचीन मां बाल सुंदरी देवी का चैती मेला यूं तो चैत्र मास के प्रथम नवरात्रों से आरंभ हो जाता है, लेकिन मां बाल सुंदरी की मूर्ति की स्थापना मंदिर के गर्भ गृह में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को की जाती है। यह मेला उत्तरप्रदेश में अनूपशहर में मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में गोला गोकर्ण नाथ मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में लगता है इस जगह को छोटा काशीपुर भी कहा जाता है। यहाँ पर हर साल अगस्त महीने में या सावन के महीने में मेला लगता है।
उतर प्रदेश में बटेश्वर मेला
इस मेले का इतिहास 374 साल से भी पुराना है अर्थात ये मेला मनाया जाता है इस स्थान पर भगवान भोले शंकर की मूर्ति भी स्थित है। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है। यहां पर हर साल कार्तिक सुकल को मेला लगता है। यह मेला उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में लगता है।
उतर प्रदेश में नैमिषारण्य मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में लगता है। यह स्थान गोमती नदी के किनारे स्थित है। यहां हर साल अमावश्य के दिन मेला लगता है।
उतर प्रदेश में कपिल मेला
कम्पिला या कपिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तह सील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अछनेरा – कानपुर शाखा के कायमगंज स्टेशन से 8 किमी दूर है। कंपिल एक जैन तीर्थ स्थल है। कंपिल 13 वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ का जन्म स्थान, तप स्थान है।
उतर प्रदेश में सैयद सालार मेला
यह मेला उतर के बहराइच स्थान पर लगता है। सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले जेठ मेले के पहले रविवार को परंपरागत विवाह की रस्म अदा की जाती है। इस रस्म अदायगी के लिए देश के विभिन्न अंचलों से बारातें आती हैं।
उतर प्रदेश में नवरात्रि मेला
यह मेला उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह मेला उत्तरप्रदेश में नवरात्रों वाले दिन हर साल लगता है। चित्र कूट पर माँ शारदा का मदिर स्थित है वहां से ही इसका आयोजन होता है। यह मेला हर साल अक्टूबर में लगता है।
उतर प्रदेश में गोविंद साहब मेला
अंबेडकर नगर और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित गोविंद साहब धाम आस्था का केंद्र है। यहां हर साल एक माह का मेला लगता है और मान्यता है कि बाबा को गोविंद दशमी के दिन खिचड़ी चढ़ाने से हर मुराद पूरी हो जाती है। यहीं वजह है कि इस दिन यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते है। यह मेला हर साल नवंबर में शुरू होता है।