हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास : HP GK | Ancient History of Himachal Pradesh in Hindi
हिमाचल प्रदेश में होने वाली सभी परीक्षाओं में हिमाचल प्रदेश के इतिहास से सवाल जरूर पूछे जाता हैं इस लिए Gk Pustak के इस भाग में हम हिमाचल प्रदेश के "Ancient History of Himachal Pradesh in Hindi" के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के प्राचीन इतिहास के सामान्य ज्ञान की जानकारी आपके साथ साझा कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में होने वाली सभी परीक्षाओं में इससे सवाल अवश्य पूछे जाते है।
हिमाचल प्रदेश का इतिहास :- हिमाचल में विभिन्न यात्रियों की यात्रा, हिमाचल प्रदेश के इतिहास के स्त्रोत, आर्य, जनपद,कोल, किरात, नाग खस जाति,
हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास
लगभग हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव का अपना इतिहास पुराना है। हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास लगभग सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। इस बात के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन हिस्सों की गई खुदाई से मिले हैं। प्राचीन काल के इस राज्य में मे दास, दस्यु और निषाद जाति के लोग निवास करते थे।
हिमाचल प्रदेश के इतिहास के स्त्रोत
- पुराण -- विष्णु पुराण, मार्कण्डेय पुराण,स्कन्द पुराण में हिमाचल प्रदेश का उल्लेख है।
- रामायण, महाभारत,और ऋग्वेद में भी हिमाचल प्रदेश की विभिन प्रजातियों का विवरण मिलता है।
- कल्हण की राजतंगानी और कालिदास की रघुवंश कियाब में भी हिमाचल का विवरण मिलता है|
- फिरोजशाह की किताबें "तरीके -ए - फिरोजशाही" और "तारीखे -े - फरिस्ता" हिमाचल के नगरकोट का वर्णन किया गया है। चंबा जिले के भूरी सिंह संग्रहालय और शिमला के म्यूसम में सिक्के रखे हुए हैं जो हिमाचल प्रदेश के औदुंबर, त्रिगर्त, कुल्लुत और कुलिंद राजवंश के इतिहास को दर्शाते हैं।
- काँगड़ा जिले में मिले पठयार और कनिहारा के शिलालेख, हरकोटि में सुनपुर के शिलालेख,मंडी के सलोनु के शिलालेख, और चम्बा जिला के म्युजम में विराजमान 36 शिलालेख हिमाचल के इतिहास को दर्शाते हैं।
- काँगड़ा जिले में काँगड़ा का किला, भरमौर में मंदिर, और धर्मशाला में बुद्ध धर्म की शैली हिमाचल प्रदेश के इतिहास को दर्शाते है।
हिमाचल में विभिन्न यात्रियों की यात्रा
- 630 - से - 644 तक हेनसांग की यात्रा हिमाचल के इतिहास के स्त्रोत हैं।
- फास्टर की यात्रा का हिमाचल में आगमन।
- मूरक्राफ्ट की यात्रा और उसकी किताबे हिमाचल प्रदेश के इतिहास को बताता है।
- हिमाचल प्रदेश का इतिहास कितना पुराना है -- 30 लाख से 10000 बी सी का
- हिमाचल प्रदेश का पुरापाषाण काल कितना पुराना है -- 1000 बी सी से 4000 बी सी का
- हिमाचल प्रदेश का नव पाषाण काल कितना पुराना है -- 7000 बी सी से 1000 बी सी का
कोल जनजाति -- हिमाचल प्रदेश के ये मूल निवासी माने जाते है। जिनमे से वर्तमान में कोली, हाली, चनाल,डुम, और बाड़ी जाति के लोग प्रमुख हैं जो आज भी हिमाचल प्रदेश हैं। इस जाति के लोग यहां के निवासी थे इस बात के प्रमाण कुमाऊं में हिमाचल सरकार दुआरा की गई खुदाई से पता चलते हैं। आज भी इस प्रजाति के लोग यहां पर मौजूद हैं जिन्हे हिमाचल प्रदेश की सबसे पुराणी जाति मन जाता है।
किरात जाति के लोग -- ये हिमाचल प्रदेश बसने वाली दूसरी प्रजाति है। महाभारत में भी इसका वर्णन मिलता है। महाभारत काल में इन लोगो ने कौरवों का साथ दिया था। कुल्लू जिले में किरात जाति के लोग अभी भी हैं।
नाग जाति के लोग- हिमाचल प्रदेश में बसने वाली तीसरी जाति नाग थे। ये हिमाचल प्रदेश के दो जिलों में बसे हैं जिनमे चम्बा और कुल्लू हैं। ये लोग नाग को अपने पुरवज मानते हैं और ज़्यदातर नागों की पूजा करते हैं।
खस जाति के लोग -- खस हिमाचल प्रदेश में बसने वाली एक और जाति है जो मध्य एशिया से आये थे और धीरे धीरे पुरे हिमाचल प्रदेश में वस गए थे। निरमंड में मनाई जाने वाली "बूढी दीवाली" इन्हीं लोगों की देन है।
हिमाचल प्रदेश की और आर्यो का कूच
आर्य हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी नहीं माने जाते है। आर्य लोग हिमाचल प्रदेश में मध्य एशिया से होकर हिमाचल प्रदेश में आये थे। उन्होंने सिंध प्रान्त में लगभग 400 साल का समय बिताया था। पहले पंजाब को सप्तसिंधु के नाम से जाना जाता था।
किउकी यहां सात नदियां बहती थी। दो नदियों के सूखने के बाद इस क्षेत्र में पांच नदियां रह गई जिसके बाद इस क्षेत्र का नाम पंजाब पड़ा। आर्यों ने अपने पशु धन के साथ शिवालिक श्रेणी की और पलायन किया। देवोदास आर्यों का सबसे शक्ति शाली राजा था।
शाम्बर और दिवोदास का युद्ध
दिवोदास आर्य राजा था और शाम्बर दस्यु राजा था। दोनों के बिच में लगभग 40 साल तक युद्ध चलता रहा। दिवोदास ने यमुना नदी और व्यास नदी के बीच 99 किले बनवाये थे। इस समय भारद्वाज आर्यों के मुख्य सलाहकार थे। 40 साल के युद्ध के बाद आर्यों ने शांबर का वध कर दिया और उन्हें निचली घाटी में खदेड़ दिया। जो हिमाचल प्रदेश में ख़ास जाति रहती थी। उन्हें भी आर्यों ने निचली पहाड़ियों की तरफ खदेड़ दिया।
महाभारत काल और हिमाचल प्रदेश के चार प्रमुख जनपद
ऋग्वेद में हिमाचल प्रदेश को "हिमवत" कहा जाता है। महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के समय हिमाचल प्रदेश में अपना समय बिताया था और आज के कुल्लू जिले में हिडिम्बा नामक राक्षशी से विवाह किया था यह विवाह भीम ने किया था। महाभारत काल में हिमाचल प्रदेश के चार जनपद थे।
औदुंबर जनपद -- महाभारत काल के अनुसार ये जाति विश्वामित्र के वंसज हैं। काँगड़ा जिले, होशियारपुर जिले और ज्वालामुखी में मिले सिक्के इस जनपद की और संकेत करते हैं। ये शिव भक्त थे क्यूंकि इनके दुआरा चलाये गए सिक्के पर त्रिशूल की निशानी थी।
त्रिगर्त जनपद -- त्रिगर्त जनपद की स्थापना भूमिचंद ने की थी। भूमि चंद महाभारत काल के बाद 231 वीं संतान थी। पहला राजा सुशर्मा चंद था जिसने महाभारत काल में कौरवों का साथ दिया था। त्रिगर्त का नाम तीन नदियों की बीच की भूमि के कारण पड़ा था ये नदियां रावी,व्यास और सतलुज थी।
कुल्लुत जनपद -- कुल्लुत जनपद व्यास नदी का ऊपर का हिस्सा माना जाता है। इस जनपद का विवरण रामायण महाभारत और मार्कंड़य पुराण में मिलता है। महाभारत काल में इस जनपद पर अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी। कुलिंद जनपद व्यास,सतलुज और यमुना के बीच का क्षेत्र था।
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